दिन भर की थकान के बाद सभी पर्यटक अपने अपने कमरों में सोने चले जाते हैं lपरंतु ध्रुव की आंखों में नींद नहीं थी वह बालकनी में खड़े होकर आकाश में चमकते चांद को देख रहा थाl दूधिया सफेद चाँद उसके ह्रदय की पीड़ा को बढ़ा रहा था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे अवनी उस से बहुत दूर चली जा रही है बेचैनी और दर्द से वह भावनात्मक रूप से कमजोर होता जा रहा था। अकेले में अपनी भावनाओं को आंखों से बहा कर सुकून पाने का प्रयास कर रहा था, तभी वहां मयंक आ जाता है ।
"क्या हुआ ध्रुव ! नींद नहीं आ रही है क्या ?"यहां पर क्यों खड़े हो "
"नहीं.... बस यूं ही, आकाश में चमकते चांद को देखने चला आया, कितना खूबसूरत है न वह और हमसे उतना ही दूर भी। हम उसे देख सकते हैं लेकिन उसे छू नहीं सकते उसे पाना तो केवल एक ख्वाब ही हो सकता है।""
"" सच बोल.... चांद की बात कर रहा है कि अवनी की"
" तुमसे क्या छिपाना, मेरे लिए तो दोनों ही मेरी पहुंच से दूर है मैं चाह कर भी किसी को नहीं पा सकता ।"
" देख मेरी तरफ .....जब कोई चीज पहुंच से दूर हो तो उसे भूल जाना ही बेहतर है। उसके पीछे खुद को खत्म कर लेना यह कहां की समझदारी है। जब वह तुझे नहीं समझती तो तो तू क्यों उसके लिए अपनी खुशीयाँ दांव पर लगाए बैठा है। तुझे उससे भी बेहतर दोस्त मिलेंगे एक बार तू प्रयास करके तो देख।"
"कह तो उस तू सही रहा है ,परंतु मैं अवनी के अलावा किसी और को प्यार नहीं कर सकता। मेरी हर सांस में केवल उसी का नाम है जीना है तो उसी के लिए और मरना भी उसी के लिए"
" तू पागल हो गया है वह तुझे नहीं चाहती और ना ही तेरे प्यार को समझती है । पत्थर पर सर पटकने से कोई फायदा नहीं पत्थर को कोई फर्क नहीं पड़ता है, चोट खुद को ही लगेगी ।तुझे अपना रास्ता बदलना ही होगा जिंदगी इतनी मामूली नही है कि तू किसी पत्थर दिल के लिए घुट घुट कर गवा दें।"
"मेरी जिंदगी, मेरी कहा है उसे तो मैंने किसी और के नाम कर दिया है। अब वह उसे बचा रखे या खत्म हो जाने दे उसकी मर्जी।"
" मुझे तेरी हालत देखकर रोना आ रहा है, डर लग रहा है कहीं तू दूसरा देवदास ना बन जाए ।....चल अभी सोने कल मैं अवनी को समझाने प्रयास करूंगा
" नहीं मयंक तुम कुछ भी नहीं बोलोगे, मैंने उससे वचन दिया है जब तक उसे उसका प्यार नहीं मिल जाता मैं उसके साथ परछाई की तरह रहूंगा। वरना आखरी सांस तक इंतजार करूंगा।
"अच्छा जी कर लेना तुम उसका इंतजार, अभी तो चल सोने"
मयंक ध्रुव को लाकर रूम में सुला देता है सुबह सभी उठकर टूरिस्ट बस से बाकी बचे हुए जगहों पर घूमने के लिए जाते हैं। सारा जयपुर विजिट करने के बाद वापस आते हैं।
"अब तो हम लोगों ने जयपुर के सभी पर्यटन स्थल देख लिए हैं। अब हमें वापस चलना चाहिए" स्वीटी ने कहा
"हाँ मै भी यही सोच रही हूँ ,इस बार के लिये इतना काफी था,ज्यादा घूम लूँगी तो कुछ भी याद न रहेगा दिमाग में खिचडी बन जायेगी वो अलग ।" अल्का ने कहा।
क्रमशः