भाग 4
वह पागल तांत्रिक लोगो को समझाना चाहता है पर कोई उसकी बात मानने को तैयार नहीं है, ,"!
ठाकुर साहब वहां से निकल कर गांव के बाहर एक बड़ा सा बाग है उस तरफ़ जाते है , उस बाग में अक्सर प्रेमी जोड़े रात में बैठा करते हैं ,और खून के प्यासे ठाकुर साहब यानी की शैतान उसी बाग में घुसते हैं , वह बाग में उन्मुक्त हो घूमने लगते हैं अभी तक तो वह बंदिश में थे पर यहां अंधेरे में उन्हे देखने वाला कोई नहीं था ,और यही सोच कर एक प्रेमी जोड़ा अपने प्रणय लीला में मशगूल थे, तभी ठाकुर साहब की नजर उन पर पड़ती है तो वह उनके सामने जा कर खड़े होते हैं , दोनो ही अस्त व्यस्त कपड़े में पड़े थे ठाकुर साहब को देखते ही दोनो घबरा जाते हैं, लड़की को अर्धनग्न अवस्था में देख शैतान के अंदर कि वासना भड़क उठती हैं ,उसे भी सहवास करने का मन हो उठता है ,वह लड़का उनसे माफी मांगने लगता है " ठाकुर साहब माफी दे दो ये मेरी प्रेमिका है , बुधवा गांव कि है हमे माफ कर दो , "!! शैतान को वह उसके काम में बाधक लगता है तो वह उसे गर्दन से पकड़ कर उठाता है और उस समय उसकी आंखो से खून सा टपक रहा होता है और चेहरा भी भयानक हो उठता है,,यह देख लड़की डर के मारे बेहोश हो जाती हैं,
शैतान उस लड़के कि गर्दन नीचे लता है और फिर अपने नुकीले दांतो को उसके गर्दन में धसाता हैं और उसका गरम गरम रक्त पीने लगता है ,वह लड़का तड़पने लगता है पर शैतान की पकड़ इतनी मजबूत है कि वह आवाज तक नहीं निकाल पाया और मृत्यु की आगोश में चला गया , उसका पूरा रक्त पीने के बाद वह लड़की को देखता है और फिर उस पर झुक कर उसके साथ कुकर्म करता है वह मासूम कली उस शैतान को भला कैसे झेल पाती वह तो उसके पहले ही प्रहार से दुनिया छोड़ गई , उसको रौदने के बाद वह उसका भी खून पीता है और फिर उनकी लाशों को उठाकर तेज़ी से भागता है ,कुछ सेकंडों में वह गायब हो जाता है, "!!
सीता देवी परेशान हैं कि ठाकुर साहब कहां चले गए ,इस समय तक तो वह अपना ठेका लगा लेते थे और फिर मुर्गे के साथ पैग लगाते थे ,उन्होंने मुर्गे भुन कर रख दिए थे काजू बादाम भी भून कर रख दिया था ,ठाकुर साहब को भुनी हुई चीज बहुत पसंद थी , उसी समय अचानक बाहर पेड़ पर बैठे सारे पक्षी फड़फड़ा कर उड़ते है बाहर के कुत्ते भौंकते हुए भाग गए और उल्लू भी चीखने लगे ,कहीं दूर से सियारो के चिल्लाने कि भी आवाज़ सुनाई देने लगी थी ,वातावरण एकदम डरावना सा हो गया था, सीता देवी को भी अजीब लगता है , ठाकुर साहब इतना देर तो कभी करते नही थे पर शमशान से आने के बाद क्या वही से ही उनका व्यवहार एकदम से बदल गया था ,आज वह उनसे पूछेंगी कि ऐसा क्या हो गया जो आप एकदम से बदल गए ,ज्योति आकर पूछती है " मम्मी ये इतना अजीब सा क्यों लग रहा है, और डैड अभी तक नही आए ,"!! उसे क्या पता उसके डैड सचमुच के डेड हो चुके हैं,उसे क्या पुरे घर में किसीको भी तो नहीं पता है ,शिवाय उस पागल तांत्रिक के या फिर उन बेजुबान जानवरो के जो यह बता नहीं पा रहे थे की उनके मालक अब नहीं रहे,सीता बेटी को देखती है और कहती है ," मैं भी तो उन्ही का वेट कर रही हूँ बेटा , सर्वेश कहाँ है ,? ज्योति बताती है की वह लैपटॉप पर बैठा काम कर रहा है , सीता कहती है," जा जरा कचरू को बुला कर ले आ !!! ज्योति जाती है वह कचरू से कहती है की माँ बुला रही है ,कचरू आता है , सीता कहती है ठाकुर साहब अभी तक आये नहीं जरा देख तो कहाँ हैं अभी तक,"!!! कचरू कहता ही काली को साथ ले जाता हूँ ,
दोनों ही बाहर जाकर पुरे गाओं में ठाकुर साहब को खोजते हैं तो ठाकुर साहब कही नज़र नहीं आते हैं एक दो गाओं वाले भी उनके साथ हो लेते हैं तभी वह लोग देखते हैं गाओं के कुत्ते अपनी पूछें पिछवाड़े चिपकाये हुए छुपने की जगह धुंध रहे गाओं वालो का आश्चर्य होता है की ये कुत्ते ऐसे घबरा क्यों रहे हैं तभी सामने से मस्त हाथी कि चल चलते हुए ठाकुर साहब आ रहे हैं सभी उन्हें प्रणाम करते हैं ,ठाकुर साहब उन्हें देख सर हिला देते हैं कचरू पूछता है ,: साहब कहाँ चले गए थे मालकिन कबसे आपका राह देख रही हैं ,अभी तक खाना भी नहीं खाया , ठाकुर उनको हिकारत भरी नज़र से देखते है और चुप चाप आगे बढ़ जाते है , कचरू और काली के साथ साथ गांव वाले भी आश्चर्य से देखते हैं ,उन्हें ठाकुर साहब का व्यव्हार बड़ा अजीब लगता है,
आगे कि कहानी अगले भाग में पढ़िए :!!!!