भाग 21
शैतान उन दोनों को धमकी देते हुए कहा की रात होने दो फिर दिखाता हूं ,की मैं क्या हूं, और हां मटन मेरे लिए भी भेज देना मरने से पहले तुम लोगो का भोग तो स्वीकार कर ही लूंगा,वह दरवाजा बंद करता है, पागल तांत्रिक कहता है,*" गुरु जी यह तो धमका गया ,और यह कर भी सकता है ,*"! केवाल नाथ कहते हैं ,*" उसका उपाय तो करना होगा ,हमे दो दिन तो निकालना होगा, और इसे रोक भी रहना होगा,हमे इसके लिए रक्षा कवच अभी बनाना होगा ,हम बचे रहेंगे तभी तो ,इसे मार पाएंगे ,चलो बहरा ही हवन कुंड बनाओ हम अभी से इसकी व्यवस्था करते हैं, केवल नाथ जी अपने शिष्य को फ़ोन कर कुछ सामान लेकर आने को कहते हैं,,*"!
गांव में तो आक्रोश बढ़ गया था ,लोग पुलिस वालो पर भी इल्जाम लगा रहे थे ,की वह लोग इतनी सारी संख्या में होकर भी अपराधी को पकड़ नही पा रहे हैं, उसी समय दरोगा वीर सिंह वहां आते हैं , और गांव के मुखिया से मिलते है ,मुखिया उन्हे देख नमस्कार करते हैं,और उन्हे बैठने के लिए कहते हैं,दरोगा वीर सिंह कहते हैं*" भाई साहब बैठने नही आया हूं, मुझे कुछ सहायता चाहिए ,*"!! मुखिया अरुण सिंह कहते हैं *" आप आदेश करिए ,मैं क्या सेवा क्या करूं, *"!
वीर सिंह कहते हैं *" मुझे कुछ साहसी नौजवान दीजिए जो पुलिस वालो के साथ गस्त कर सके , मैं चाहता हुं , आस पास के गांव से लेकर यहां तक एक भी कोना नही छोड़ा जाए जिस से उस अपराधी को मौका मिले,*"! मुखिया कहते हैं ,*" साहब जब वह लोग पुलिस वालो को नही छोड़े तो साधारण नौजवान क्या कर लेंगे,*"! वीर सिंह कहते हैं ,*" देखिए नौजवान लोगो को कुछ नही होगा ये मेरी जवाबदारी है ,*"! मुखिया कहते हैं,*" आप के अपने लोगो की जिम्मेदारी आप तो ले नही पा रहे हो तो हमारे लोगो की क्या जिम्मेदारी निभायेंगे फिर भी आप चाहते हैं तो मैं नौजवानों से बात करूंगा ,पर यदि ठाकुर साहब चाहें तो कोई भी ना नही कहेगा,*"!! दरोगा कहते हैं *" ठाकुर साहब का व्यवहार कुछ बदल सा गया है वह किसी से भी ढंग से बात नही कर रहे हैं, मैं उनसे मिला था वह कोई भी बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं, पता नही क्या हो गया है उनको, *"!? मुखिया कहता है*" सही कह रहे हैं,*" में भी दो बार मिलने गया था ,पर वह मिलने ही नही आए, इसके पहले वह स्वयं प्रति दिन मुझे स्वयं ही मिलने आते थे,चलिए हम चलते हैं उनके पास देखते हैं क्या स्थिति है ,अगर वह कह दे तो सभी नौजवान आ जायेंगे, *"! दोनो ही जाते हैं,!!
केवल नाथ और पागल तांत्रिक सारी तैयारी कर रहे हैं ,हवन वेदी बन कर तैयार हो गया था, उसी समय वीर सिंह और मुखिया आते हैं , दोनो ही गुरु जी को प्रणाम करते हैं ,मुखिया पूछते हैं,*" गुरु जी ये क्या कर रहे हैं यह कैसी पूजा पाठ की तैयारी चल रही है, *"?? केवल नाथ जी कहते हैं *" गांव की सुरक्षा के लिए ही ,सीता देवी जी यह हवन करवा रही है ,परसो रात यहां पर उस शैतान को दंड दिया जाएगा जो ,लोगो को मारकर उनका खून पी रहा है, *"!! दोनो चौकते हैं ,वीर सिंह कहते है ,*" आपको कैसे पता चला कि वह शैतान है जो यह सब कुछ कर रहा है, *"?? पागल तांत्रिक कहता है *" वह शैतान हमारे अपने बीच का ही है ,इसी गांव में डेरा जमाए हुए हैं,में तो पहले दिन से कह रहा हूं की यह सब साधारण मानव का कार्य नही है ,पर लोग मुझे ही दुत्कार कर भागा देते हैं,मेरी बात माने होते तो ये नौबत ही नहीं आती,*"!! वीर सिंह चौक कर मुखिया को देखते हैं तो मुखिया कहता है *" ये थोड़ा सनकी हैं, उस दिन ठाकुर साहब को शमशान से वापस ले आ रहे थे तो उन्हे ही शैतान कहने लगा ,अब आप ही सोचो इसकी बात का क्या भरोसा करें, *"! केवल नाथ मुस्कुराकर कहते हैं,*" बेटा भरोसा करना चाहिए ,आप जिसे पागल तांत्रिक कहते हो यह कोई साधारण तांत्रिक नही है ,बहुत पहुंचा हुआ औघड़ है, इसे सांसारिक ज्ञान काम है बस ,""!
वीर सिंह कहते हैं *" गुरु जी आप कहना क्या चाहते हैं,इसके हिसाब से तो ठाकुर साहब ही शैतान है, *"! बोलते बोलते वीर सिंह की खोपड़ी ठनकती हैं ,वह सोचने लगते हैं की यह बात तो कुछ कुछ सही भी लग रही है ,जहां जहां घटनाएं हुई हैं ,वहां वहां कुछ मिनट पहले ठाकुर साहब को अवश्य देखा गया ,कही नही कहीं उनका कनेक्शन तो है,वह पूछते हैं ठाकुर साहब घर में हैं , केवल नाथ कहते हैं *" हैं अभी इस समय केवल वही है ,आप मिलना चाहते हैं तो ,अकेले आइए बाहर दरवाजे से ही मिलिए*"!! ,वीर सिंह उसके साथ अंदर जाते हैं ,केवल नाथ ने ठाकुर साहब के कमरे का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से वह क्रोधित हो कहता है, *" अब क्यों परेशान कर रहा है , तुझे तो आज मैं निपटा दूंगा, *"! वीर सिंह उसकी आवाज़ सुन चौकता है,"!!!
क्रमशः