भाग 8
ठाकुर साहब बाबा की आवाज सुन घबरा जाते है और कहते हैं " ये बाबा कौन आ गया भगाओ इन्हे ,"!! सीता देवी और बाकी लोग चौक कर ठाकुर साहब को देखते हैं, सीता देवी कहती हैं," आप ऐसा कह रहे हैं,!! अनंत महाराज तो आप ही के गुरु हैं आप स्वयं सहयाद्रि के जंगलों से इन्हे ढूंढें थे और आप ही ने इनका आश्रम बनवाया है ,और आप ही पूछ रहे हैं कौन हैं , ठाकुर साहब के अंदर का शैतान तिलमिला उठता है , क्योंकि वह जानता था कि जब बाहर वो शमशान का साधारण तांत्रिक उसे पहचान सकता है तो ये कोई पहुंचे हुए साधक है यह तो तुरंत ही पकड़ लेंगे पर वह कर भी क्या सकता था ,बाबा दरवाजे पर अलख जगाने लगे थे, अनंत महाराज दुबारा आवाज लगाते हैं तो सीता देवी जल्दी से बाहर जाती है ," और उनके चरणों में शीश नवाती हैं, बाबा उन्हे आशीर्वाद देते हैं, बाबा कुछ सूंघ रहे है ,बाबा को अंदाजा हो जाता है कि घर में कुछ गड़बड़ है ,तभी काली मीठा और पानी ले आता है तो बाबा कुछ भी लेने से मना करते हैं, वह ध्यान लगाते हैं तो उन्हे समझ आ जाता है , कि घर में कोई भयंकर आत्मा प्रवेश कर चुकी है जो बहुत ताकतवर है,और पूरे गांव को तबाह करनेl कि शक्ति रखती है,वह यह भी जान जाते हैं की अभी अगर उसे छेड़ेंगे तो उनके लिए भी भारी पड़ सकता है, सीता उन्हे पूरी घटना सविस्तर बताती हैं तो उन्हेबपक्का विश्वास हो गया कि ठाकुर साहब के शरीर में किसी शैतानी ताकत ने कब्जा कर लिया है ,पर वह सीता देवी से कुछ नही कहते हैं क्योंकि वह उन्हे अभी डराना नही चाहते थे, और उनकी बात पर तुरंत कोई भरोसा भी नही करता , क्योंकि ठाकुर साहब का रुतबा और इज्जत दोनो ही बहुत अधिक था,!!
अंदर शैतान बहुत बैचेन हो रहा था, उसे लग रहा था आज ही उसकी पोल खुल जायेगी और उसकी योजना चौपट हो जायेगी , वहां सौ मानव का रक्त पीकर बेताल बनना चाह रहा था, बेताल बनने के बाद वह असीम शक्तियां प्राप्त कर लेगा फिर तो वह कही भी रहकर कुछ भी पा सकता था, उसके पास दिल नही होने की वजह से वह अपने असली रूप में नही रह सकता था और छोटे मोटे जीव में प्रवेश कर उसका मकसद पूरा नहीं हो सकता था, !!
सीता गुरु जी से अंदर चल कर ठाकुर साहब से मिलने के लिए कहती है तो वह कहते हैं" अलख निरंजन अभी तो मैं जल्दी में हूं पर कल सुबह सुबह अवश्य आकर मिलूंगा, अलख निरंजन जो दे उसका भी भला जो न दे उसका भी भला, "!! सभी गुरु जी को प्रणाम करते हैं , गुरुजी आशीर्वाद देकर अलख जगाते हुए जाते हैं ,सीता देवी अंदर आज आकर ठाकुर साहब से कहती हैं,*" क्या हो गया है आपको, गुरुजी से मिलने भी नही आए ,"!! ठाकुर साहब कहते हैं " सब ढोंगी है, इन लोगो को मुंह मत लगाओ यह कोई साधु गुरु बाबा नही आना चाहिए , और आया तो अच्छा नही होगा, "!! इतना कह कर वह अंदर कमरे में जाते हैं, कचरू कहता है *" माली एकदम सेबदल गए हैं, और गुरुदेव ने तो जल भी ग्रहण नही किया ,और पहली बार बिना मालिक से मिले गए हैं , कुछ सम्मझ नही आ रहा है कि घर में क्या हो रहा है,"!! अंदर शैतान उसकी बाते सुन कर क्रोधित हो रहा है , उसका चेहरा भयानक होने लगता है,उसका बस चलता तो कचरू को अभी चिर फाड़ कर खा जाता, पर वह अभी किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहता था, बड़ी मुश्किल से उसे एक अच्छा और मजबूत शरीर मिला था , जाने के लिए तो वह किसी भी शरीर में जा सकता था, लेकिन गरीब के यहां जाकर कोई फायदा नही था , और गरीबों के शरीर उसका भार सह नही पाते , क्योंकि हल्का फुल्का शरीर तो उसके दो चार झटके और अंदर बाहर निकलने में ही चिथड़े हो जाते ,ठाकुर साहब साढ़े 6 फूट के दमदार आदमी थे , शैतान कुछ देर के लिए बाहर निकल आता है,वह बहुत ही भयानक दिख रहा है कल जो रक्त उसने पिया था उसका असर उसके शरीर में दिख रहा था ,उसने 2 लोगो का रक्त पी लिया था अभी 98 लोगो का रक्त पीना था प्रति दिन कम से कम एक मानव का रक्त वह पिएगा और वह भी बिना नागा किए 100 मानव का रक्त पीना था तभी वह बेताल बन पाएगा , इस लिए वह शरीर छोड़ना नहीं चाहता था ,पर ये कचरू तो पता नही क्यों उसके पीछे ही पड़ गया है बार बार अपनी मालकिन के कान उसके विरुद्ध भरने में लगा था, "!!
गुरुदेव गांव के बाहर पहुंचते हैं ,तो वह पागल तांत्रिक उनके सामने आकर प्रणाम करता है और अलख जगाता है जोर से कहता है" अलख निरंजन ,गुरुदेव की जय हो ,आदेश , गुरुदेव इस शैतान का कुछ करिए बहुत भयानक है , सभी गांव वीरान कर देगा, अब आप ही कुछ कर सकते हैं मुझे तो सभी पागल समझ मारने और भगाने लगते हैं, मेरे पास इतनी शक्तियां नही है कि उसे मार सकूं पर आप के पास तो बहुत सारी सिद्धियां है,"!!
क्रमशः