भाग 18
सुबह के 4 बज रहे थे ,गुरु केवलनाथ पागल तांत्रिक के साथ मिलकर कुछ विशेष पूजा मे लगे हुए हैं उन्होंने हवन कुंड कुछ किले भी डाल रखी जो उसकी अग्नि में लाल हो चुकी है ,केवलनाथ उस पर पानी छिड़क कर ठंडा करते रहते हैं उनके मंत्रो उच्चार लगातार चल रहे है ,उनके दो शिष्य भी वहा खड़े हैं ,और गुरु जी के लिए जो भी चाहिए वह उठाकर देते जा रहे हैं,*"!!
सुबह सूर्य देव उदय होते है ,और अपने साथ इन दोनो गांव में एक नई किदवंती भी जगा देते हैं ,गांव में हर तरफ सिर्फ यही चर्चा चल रही है कि गांव पर नहर के शैतान कि साया पद गई है ,कोई कहता है कि उन्हें संतुष्ट करने के लिए कम से कम 10 बकरे चढ़ाने पड़ेंगे ,तो कोई कहता है पूरा भैसा चढ़ाना होगा ,तो कोई कहता है ये सब किसी बाहरी अपराधी दल का काम है जो गांव वालो को डराकर भागना चाहता है , ताकि यहां वह अपने अपराध का साम्राज्य स्थापित कर सके ,जितने मुंह उतनी बातें थी,विशेष तौर पर कचरू के मरने से गांव वालो को बहुत दुख था ,गांव के सभी लोग उसके हाथ कि बनी पकौड़े और चाय पी चुके थे,और कचरू जितना अच्छा बनाता था उतने ही अच्छे से खिलाता भी था,,!!
वीर सिंह अपने सिनियर के सामने खड़ा है , सिनियर कुछ कहे उसके पहले ही कहता है ,*" सर एक एक कोना छान मारा है, चप्पे चप्पे पर पुलिस लगी है, अब उसके बावजूद कौन आकर मार जा रहा है कुछ समझ नहीं आ रहा है, आप को बुरा भले लगेगा पर यह कोई इंसान नही हो सकता ,मारे दोनो साथी बहुत ही जीवट और दमदार सिपाही थे , उनका चार पांच लोग भी कुछ नही बिगड़ सकते थे, उन्हे भी बुरी तरह मारा है और सबसे बड़ी बात तो ये है कि सभी के खून निचोड़ लिए गए हैं किसी के शरीर में एक बूंद खून नही बचा था,और जिस जगह पर ये घटना हुई वहां से दस मिनट पहले ही हमारी टीम गुजरी थी और दस मिनट में दूसरी टीम जो मारे गए वो पहुंचे थे, और ठाकुर साहब का नौकर भी उसी समय हमारे सामने से गुजरा था, अब सोचने वाली बात ये है कि इन दस मिनट में इतना सब कुछ करके गायब होना इंसान के बस की बात नही है,*"!!
सिनियर सोच में पड़ जाता है,वीर सिंह कह तो सही रहा था ,पर अपने ऊपर वालो को कैसे समझाए सब के सब जान खाए हुए हैं ,उसी समय एक नेता वहां आता है और रूआब झड़ते हुए कहता है ,*" आप लोग यहां आराम से बैठे गपिया रहें हैं ,वहां आप ही के पुलिस वाले के साथ साथ आप आदमी भी मारा जा रहा है उसकी कुछ चिंता है, खाली वर्दी पहन लेने से काम नही चलता है , सुबह से गांव वालों ने मेरा घर घेर रखा है कि पुलिस खुश कर नही रही है ,जाकर बात करिए, *"! सिनियर और वीर सिंह दोनो ही एक दूसरे को देखते हैं और फिर वीर सिंह उस नेता को पकड़ कर अपनी कुर्सी पर बिठा देता है ,और कहता है,*" लो अब ये कुर्सी तुम्हारी हुई ,अब तुम बताओ क्या करें ,36 घंटे से सोए नही हैं, दिमाग खराब है ,ज्यादा बकवास करोगे तो यही ठोक के सारा ब्लेम तुम्हारे सर पर डाल देंगे , हम लोग जिन हैं क्या जो छड़ी हिलाया और अपराधी पकड़ लिया, चल तुझे मैं कहता हूं पूरा डिपार्टमेंट तेरे साथ है चल पकड़ के दिखा कातिल को ,*"! वह नेता हड़बड़ा कर कहता है*" यार तुम लोग पगला गए हो क्या ,अब हमी को धमकाने लगे मैं तुम लोगो की ऊपर गृह मंत्री से रिपोर्ट करूंगा ,*"! इतना सुनते ही दरोगा वीर सिंह उसे एक जोरदार थप्पड़ मारता हैं नेता वहीं गिर पड़ता हैं और फिर उठकर चिल्लाते हुए भागता है ,*" तुम लोगो को देख लूंगा आज ही सस्पेंड करवाता हूं ,*"!!
सीता देवी और काली हॉस्पिटल में पहुंचते हैं वहां कचरू के परिवार वाले पहले खड़े रोना धोना ,सीता देवी ने ठाकुर साहब को साथ लाने का बहुत प्रयास किया पर वह उठे ही नहीं और एक बार उठे भी तो चिल्लाकर उन्हे डांटा और फिर सो गए, सीता देवी हॉस्पिटल की कारवाई पूरी करती हैं,उन्हे अब ठाकुर साहब कि हरकतों से नाराजगी भी होने लगी थी,कचरू की विधवा तो उसके पैर से लिपट कर रोते हुए कह रही थी *" मालकिन मेरा मरद मुझे वापस दिला दो ,वह तो आपके यहां काम करने गया था , अब कौन करेगा आपका काम कौन बनेगा इन छोटे छोटे बच्चो का रखवाला ,*"! सीता देवी उसे उठाकर समझते हुए कहती हैं ,*" तुम शांत हो जाओ होनी को कोई टाल नही सकता है ,बाकी बच्चो कि और तुम्हारी जिम्मेदारी अब हमारी है,,,*"! उनकी आंखों में भी आंसु आते हैं,*"!!
केवल नाथ पागल तांत्रिक के साथ ठाकुर साहब के हवेली पर पहुंचते हैं, वह अलख जगाते हैं ,*" अलख निरंजन ,आदेश, जो दे उसका भी भला जो ना दे उसका भी भला, *"! गुरुजी कि आवाज से सोए शैतान कि आंख खुलती है ,वह गुस्से में उठता है ,"!!
क्रमशः