भाग 13
ठाकुर साहब को बाहर बैठे हुए बैचैनी हो रही थी, दरोगारी वीर सिंह कहते हैं*" ठाकुर साहब आपको क्या लगता है यह सब कौन कर रहा है ,,"!! ठाकुर साहब कहते हैं ,"* अब मैं कैसे बताऊं मुझे तो कुछ भी पता नही क्या हुआ ,क्या हो रहा है,दरअसल मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं है ,
अभी अभी मैं मौत के मुंह से निकाला हूं,*"!? दरोगा साहब कहते हैं "* अजीब संयोग है, जिस दिन से आप मौत के मुंह से बाहर निकले उसी दिन से गांव में मौत का तांडव शुरू हो गया है,*"! इतना बोल कर वह ठाकुर साहब के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करता है तो ,उनके चेहरे पर कोई भाव ही नही दिखाई देता है, वैसे दरोगा के इस सवाल पर सभी चौक उठे थे , सभी इस बात का मतलब अपने अपने तरीके से निकाल रहे थे, केवल नाथ कहते हैं ,*" आप कहना क्या चाहते हैं जाता खुलकर कहिए ,आपको क्या लगता है इसमें ठाकुर साहब का हाथ है,*"!! गुरुदेव जन बूझकर यह सवाल कर दिए ताकि ठाकुर के अंदर का शैतान विचलित हो जाए , शैतान केवल नाथ के इस प्रश्न से तिलमिला उठा था, दरोगा हाथ जोड़कर कहते हैं *" गुरु देव क्यों मेरी शामत लाना चाहते हैं ,ठाकुर साहब के एक इशारे पर अभी मेरा ट्रांसफर हो जायेगा ,मैं तो एक संयोग की बात कर रहा था, क्षमा चाहता हूं ठाकुर साहब मुझे आपसे इस प्रकार से कुछ नही कहना चाहिए था , में चलता हुं फिर आपके दर्शन को आऊंगा, *"!! वह हाथ जोड़कर सबको नमस्कार करता है और जाता है, ठाकुर साहब केवल नाथ को गहरी नज़रों से देखते हैं और फिर अंदर जाते हैं ,केवल नाथ सभी को जंतर पहने रहने के लिए कहते हैं,उसी समय कचरू आकर कहता है*" मालकिन किटी कहीं भी दिखाई नही दे रही है ,लगता है कहीं बाहर चली गई,*"! सीता देवी कहती हैं*" हे भगवान पता नही कहां भटक रही होगी बच्ची, सुबह से कुछ खाया पिया भी नही है,( काली से ) काली तुम जरा पीछे कि तरफ देख आओ, वहीं कही चूहे के चक्कर में बैठी रहती हैं,*"! काली जाता है,केवल नाथ कहते हैं *" पुत्री सीता मुझे कुछ विशेष पूजा करनी है घर कि शांति के लिए ,उसकी व्यवस्था करनी होगी , "!! गुरु लोग हमेशा औरतों को अगर उनसे छोटी हैं तो पुत्री कहते हैं और बड़ी हों तो उसे मां कहते हैं ,सीता देवी कहती हैं "* जी गुरु देव जो भी है आप बता दीजिए सारी व्यवस्था हो जाएगी, या फिर आपको पैसे भिजवा दूं आप अपने हिसाब से सब देख लेंगे ,अब ठाकुर साहब को तो देख ही रहे हैं ,और वैसे वह तो इन सब कामों में सब मुझ पर ही छोड़ देते थे, बच्चे भी चले गए हैं, तो और कोई है नहीं ,या फिर मिल में से किसी को बुलवा लेती हूं,*"!! केवल नाथ कहते हैं*" आप चिंतित मत होइए मैं सारी व्यवस्था कर लुंगा आप धन की व्यवस्था करवा दीजिएगा ,जल्दी से जल्दी इस मुसीबत को घर से दूर करना होगा, और यह पूजा आज शाम से ही शुरू करनी होगी,*"!! सीता देवी उनको देखती हैं फिर हां में सर हिला देती है, केवल नाथ अलख जगाते हुए जाते हैं,*" अलख निरंजन जो दे उसका भी भला जो ना दे उसका भी भला, "!! वह जाते है ,!!
वह अभी गांव के बाहर ही पहुंचे थे तभी उनकी नजर किटी कि मृत शरीर पर पड़ती हैं वह चौंक कर उसे देखते हैं और फिर उसके करीब जाकर एक लकड़ी से उसे पलटने का प्रयास करते हैं, तो उसके गले में दो छेद दिखाई देता है, और कुछ नही वह समझ गए यह शैतान का ही काम है , वह खड़े होकर सोचने लगते हैं फिर गांव की तरफ देखते हैं और जोर से अलख जगाते हुए जाते हैं,*!
नहर के किनारे किनारे पुलिस कुछ निशान ढूंढने का प्रयास कर रही थी, उन्हे कुछ जोड़ी पैरो के निशान के अलावा कुछ और नहीं दिखता है , पैरो के निशान भी तो किसी काम के नही थे क्योंकि वहा पर कई लोग आ जा चुके थे, और बचे खुचे निसान भी मिक्स हो गए थे , उनका मोबाइल पुलिस के पास था उस पर एक कॉल आती हैं तो उठाते है,सामने से कोई बुजुर्ग पूछ रहा था बेटा कहां है ,कल शाम का गया हुआ अभी तक आया नही कहा रह गया तु ,*"!? पुलिस वाला उनसे सब बताता है तो सामने से रोने धोने कि आवाज आने लगती है ,थोड़ी देर में फिर फोन आता है और सब डिटेल्स में बात होती है इस बार किसी और ने कॉल किया था , ये दोनो लड़का लड़की , यहां से 25 km दूर से आए थे ,पुलिस वाले उन्हे पता बताते हैं, *"
ठाकुर साहब के अंदर से शैतान बाहर निकलता है और चारो ओर देखता है ,और फिर कुछ भुनभुनाता हैं और उसका शरीर एकदम लाल होने लगता है , और वह जोर से चिघाड़ना चाहता है पर रुक जाता है, *"!