भाग 40
शैतान अचानक भेड़िया बन जाता है ,और सबको दूर से देख कर गुर्राने लगता है,वह जिस तरफ देखता है उस तरफ भगदड़ मच जाता है , सभी यह अच्छी तरह से जान गए थे की इसका कोई हथियार या किसी भी तरीके से अहित नही कर सकते हैं,!!!!
शैतान पूरी तरह से क्रोधित हो उठा था वह पीछे भागना चाहता है और केवल नाथ उसे जाने नही दे रहे थे ,केवल नाथ और उसके साथी अब पूजा में थोड़ा तेज़ी लाते है वह पांचों लोग एक साथ हवन कुंड और ठाकुर साहब के शव पर सरसो डालना शुरू करते हैं,तो शैतान बौखला जाता है , वह चीखता हुआ इनकी तरफ भेड़िए के रूप में आने लगता है ,केवल नाथ लडको को तैयार रहने के लिए कहते हैं , *"!!!
वीर सिंह और सर्वेश के साथ एस पी साहब और सभी सिपाही भी अपने अपने हथियारों के साथ रेडी हो जाते है , उन्हे ये तो पता है की इस हथियार से उसका कुछ नही होता पर उसको भटका जरूर जा सकता है ,*"!!!
शैतान जैसे ही इनके हद में आता है तो मटके के पास खड़ा लड़का उस पर सरसो वाली मटकी उस पर फेंकता है , जैसे ही मटकी उस से टकराती है ,और उस पर टूट जाती है ,और सरसों उस पर गिरता है तो उसके अंदर जल रहा दिया से उस पर आग
पकड़ लेता है तो वह एकदम से छटपटा कर फिर से वह रूप छोड़ भैंसे के रूप में आता है , तभी वीर सिंह उस पर दनादन गोलियां चलता है , जिस से उसका सर उड़ जाता है , !!!!
शैतान एकदम से चिंघाड़ता है ,और वीर सिंह की ओर दौड़ता है तो सर्वेश उस पर फायरिंग शुरू करता है तो उसके चिथड़े उड़ते है और उस भैंसे का आधा हिस्सा गायब सा हो जाता हैं , वह क्रोधित हो आगे बढ़ता है ,वह वीर सिंह पर झपटने वाला ही था की पागल तांत्रिक बीच में आकर उस पर अभिमंत्रित सरसो फेंकता है ,तो वह पलट के गिरता है , और दूसरे मटके के पास पहुंचता है , तो वहां खड़ा लड़का उस पर दूसरा मटका फोड़ देता है तो उसके पूरे शरीर पर आग पकड़ लेता है , तो शैतान भैंसे के जलते शरीर को छोड़ फिर से एक कुत्ता बन जाता है , !!!
कुत्ते के रूप में वह अचानक पागल तांत्रिक पर झपट पड़ता है ,और कोई कुछ समझ पाता वह उसकी गर्दन अपनी मुंह में दबोच लेता हैं, यह देख वीर सिंह और सर्वेश ठाकुर उस पर गोलियां बरसाते हैं , केवल नाथ भाग कर आते हैं और उस पर अभिमंत्रित सरसो फेंकते हैं ,तो वह विछप्त सा हो जाता है ,वह पागल तांत्रिक का आधा रक्त पी चुका था और गर्दन का आधा हिस्सा भी अपने मुंह में भर चुका था , !!!!
उसके छोड़ते ही पागल तांत्रिक गिर कर छटपटाने लगता है , !!!
शैतान केवल नाथ को देख गुर्राता है ,तो सिपाही लोग उस पर दनादन गोलियां चलाता है ,जिस से उसका शरीर पूरी तरह से बिंध जाता है ,पचासों सुराख से हो जाते हैं कुत्ते को नामोनिशान मिट जाता है , अबl शैतान अपने असली रूप में आता है ,तब तक केवल नाथ अपने स्थान पर पहुंच कर पूजा करने लगता है ,इतनी क्रियाओं से शैतान कुछ कमजोर अवश्य हो गया था ,!!!
केवल नाथ अब अंतिम पड़ाव की पूजा आरंभ कर चुके थे , और वह कुछ ही कदम दूरी पर थे , फिर भी वह जरा भी मौका शैतान को नही देना चाहते थे ,*"!!!
शैतान सब की और देखता है , मंत्रोच्चार से उसकी हालत और भी कमजोर होने लगती है , वह अब क्रोधित हो फिर से केवल नाथ की ओर बढ़ता है तो तीसरा मटका उस पर फूटता है , इस बार उस पर कुछ अधिक ही असर हो जाता है ,उसके शरीर के कुछ मांस गल कर गिर जाते हैं,!!!!
वह उसी तरह आगे बढ़ता है तो चौथा मटका उस पर फोड़ा जाता है ,इस बार वह मटका गोदने वाले पर झपटता है तो वह पहले से ही सावधान था वह कूदकर वीर सिंह के पीछे जाता है ,तो वीर सिंह उस पर फिर गिलोलिया दागता है , तो वह उसी जगह खड़ा हो जाता है ,क्योंकि एक तो मटके के अंदर अभिमंत्रित सरसो की मार फिर गोलियां और उधर से केवल नाथ के मंत्रो के मार से वह पुरीनतरः से विचलित हो गया था , *"!!!
उधर पागल तांत्रिक को लोग हॉस्पिटल ले जाना चाहते हैं पर वह बेचारा दम तोड़ देता है ,यदि वह बीच में नही आया होता तो वीर सिंह की मृत्यु निश्चित रूप में हो जाती , वीर सिंह को बहुत क्रोध आता है तो वह चीखते हुए उस पर कई राउंड गोलियां चला देता है ,तो शैतान फिर से रूप बदल कर सूअर बन जाता है ,*"!!!
सभी उसके मायावी व्यवहार से परेशान हो गए थे , एक बार फिर से सभी उस पर गोलियों की बौछार सा कर देते हैं ,पर उस पर कोई असर तो पड़ना ही नही था , उसी समय कुछ अधिकारी भी आ जाते हैं ,
क्रमशः