वीर सिंह जोर से चिल्लाकर गुरु जी केवल नाथ को आगाह करता है कि वह लोग शैतान से मिलने अंदर जा रहे हैं , !!
केवल नाथ या सुन चौकते हैं ,और तुरंत अंदर की ओर भागते हैं ,पर तब तक एस पी साहब कमरे में वीर सिंह के साथ जा चुके थे, !!
शैतान बहुत खुश होता है, तब तक केवल नाथ और पागल तांत्रिक अंदर आ जाते हैं ,गुरु जी को बहते देख पागल भी उनके साथ चल दिया था,!
एस पी शैतान से कहते हैं *" आपको अंदर पड़े रहने पर घुटन महसूस नहीं होती है ,आप जैसा शेर आदमी अचानक पिंजरे में बंद हो गया ये अच्छा नही लगता है ,*"!! वह हाथ मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ते है ,तभी बाहर से केवल नाथ चिल्लाते हैं,*"!
केवल नाथ कहते है *" नही एस पी साहब उस कमीने से हाथ मत मिलाइए वह ठाकुर साहब नही शैतान है, ठाकुर साहब की लाश में वह घुसा हुआ है, *"!!
शैतान जोर से अट्टाहास करता है और कहता है*" अब तो अंदर आ ही गए हैं ,अब तो मेरी मर्जी पर है की इन्हे छोडूं या फिर इनके रक्त पी जाऊं, *"!!
एस पी साहब यह सुन एकदम से हिल जाते है, वह हकबका कर पूछते है*" तुम कौन हो ,ठाकुर साहब की आवाज कैसे बदल गई,*"!
शैतान कहता है,*" तुम इंसान भी बहुत बड़े मुर्ख होते हैं , उसने इतना समझाया तुम्हे समझ नही आया तो मरने चले आए ,*"!!
शैतान केवल को देखता है और कहता है*" कहा था ना रात होने के बाद तुझे नही छोडूंगा, अब तेरा भी नंबर है *"!!
वह ठाकुर साहब का शरीर छोड़ कर बाहर आता है, उसे देख एस पी साहब की सिट्टी पिटी हम हो जाती है ,डर के मारे उसके मुंह से एक शब्द नही निकलता है ,तभी वीर सिंह उन्हे खींचकर बाहर जाने कि कोशिश करते हैं तो वह सामने आकर खड़ा होता है और अपनी लपलापति जिव्हा से एस पी साहब को चाटने लगता है , एस पी साहब की पैंट गीली हो जाती है , !!
शैतान को देख तो अच्छे अच्छे तांत्रिक हिल जाते हैं यह तो साधारण इंसान थे, उन्हे सीधे सीधे मौत नजर आने लगीं थी,और वह बेहोश होने लगते हैं ,वीर सिंह थोड़ा अधिक जीवट वाला इंसान था और वह पहले भी उसे देख चुका था ,वह पिस्टल निकाल कर उसकी चेहरे पर गोली दागता है तो उसका जबड़ा उड़ जाता हैं ,तब तक केवल नाथ मंत्र पढ़ कर उस पर अभिमंत्रित अक्षत फेकते है। तो वह तड़प उठता है ,उसकी तड़प का फायदा उठा कर वीर सिंह एस पी साहब को खीच कर बाहर निकल ले जाता है,!!!
शैतान एकदम से चिढ़ जाता है,और वह लपक कर उनको पकड़ना चाहता है पर वह लोग दहलीज के बाहर पहुंच गए थे,वह गुस्से से देखता है, और चिल्लाता है,उसी समय कुछ लोग और गोली चलने के आवाज सुन कर अंदर आते है , तो वीर सिंह उनको बरगला कर भेज देता है ,लोगो को देख शैतान भी एक तरफ को हो जाता है ,वह भी इतने जल्दी लोगो के सामने नहीं आना चाहता है ,वह अपने 100 लोगो का रक्त पान कर ही खुलकर आना चाहता है, ताकि वह बेताल बन जायेगा ,और फिर उसे किसी का डर नही रहेगा,*"!
वीर सिंह एस पी साहब को लेकर हाल के एक कोने में बैठते हैं बाकी लोगो को वह बाहर जाने के लिए कहता हैं, लोग एस पी साहब की हालत देख कर सब पूछना चाहते हैं क्या हुआ पर वीर सिंह सबको भगा देते हैं,!!!
केवल नाथ अभिमंत्रित कर अक्षत फेंकता है, तो वह एकदम तिलमिला जाता है, उसके शरीर में जलन होने लगती है ,वह गुस्से में पीछे की दीवाल तोड़ कर बाहर जाता है , केवल नाथ ने तो यह कभी नहीं सोचा था की वह दीवाल तोड़ कर निकल सकता है,उन्होंने तो दरवाजे और खिड़कियां ही रोक रखा था ,!!
केवल नाथ वीर सिंह से कहते हैं *" दरोगा साहब जल्दी से कुछ कीजिए वह तो दीवाल तोड़ कर भाग निकला सब को होशियार कर दीजिए कि कोई उसके सामने ना आने पाए ,*"!!
दरोगा वीर सिंह एस पी के मुंह पर पानी चिड़कता है , तो उसकी बेहोशी टूटती है तो वह घबराकर देखता है तो खुद को सही सलामत पाकर खुश होता है , और फिर अपनी हालत देख शर्मिंदा होता है ,!!
वीर सिंह कहते हैं*" सर आप टेंशन मत लीजिए हम किसी से कुछ नही कहेंगे , आपको जगह कोई भी होता तो उसकी भी हालत यही होती , आप खुद को सम्हालिये में उस शैतान को सम्हालता हूं ,*"!!
काली गरमा गरम कॉफी लेकर आता है , वह एस पी साहब ,केवल नाथ और पागल तांत्रिक के साथ वीर सिंह को कॉफी देता है ,!!
वीर सिंह मोबाइल पर सबको सतर्क रहने का इंस्ट्रक्शन देता है, वह लड़को को भी अपने अपने जगह पर लोगो को एकत्रित करने को कहता है ,उन्हे बता देता है कि शैतान ठाकुर साहब के रूप में घूम रहा है, उस के सामने मत पड़ना और अगर कहीं दिख भी जाए तो उस से दूर हो जाना वह अभी बहुत ही क्रोधित अवस्था में है,,*"!!!
क्रमशः