भाग 10
पुलिस वाले टॉर्च की रोशनी भेड़ियों कि ओर करते हैं तो चौक उठते है ,वहां एक लड़का और एक लड़की कि लाश पड़ी है और भेड़िए उन का मांस नोच नोच कर खा रहे थे, टॉर्च की रोशनी पड़ने पर भेड़ियों गुस्सा हो गुर्राते हुए इन पर हमला बोलते हैं तो दोनो सिपाही लाठी से दो को मारते हैं
बाकी लोग पिस्टल से गोली चला कर दो भेड़ियों को वहीं ढेर करते हैं बाकी दो भेड़ियों को वह सिपाही लाठी से मारते हैं तो वो चीख कर भागते हैं गोलियों की आवाज़ सुन कुछ गांव वाले भी भाग कर आ जाते हैं, वहां दो दो क्षत विक्षत लाशे पड़ी थी ,सभी हैरान होते हैं अभी दो दिन पहले ही इतना बड़ा कांड हुआ था और आज फिर वही हुआ ,अधिकारी थाने फोन लगा कर सूचना देता है ,थोड़ी ही देर में सभी डिपार्टमेंट कि गाडियां आ जाती है साथ ही सर्च लाइट भी ले आते हैं सभी अपने अपने काम पर लग जाते है ,फोटोग्राफर हर एंगल से फोटो खींचता है ,और फिर वीडियो भी बनाता है , पूरा गांव भी करीब करीब जमा हो गया था ,अभी रात के बज रहे थे ,अधिकारी के मुताबिक लाशे उस वक्त तक ठंडी नही पड़ी थी इसका मतलब भेड़ियों ने हो उन पर पीछे से हमला किया होगा, लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया,पुलिस वाले गांव के लोगो से पूछताछ शुरू करते हैं पर सभी कहते हैं कि उन्हें नही पता है और ये गांव के आस पास के नही हैं ,पुलिस उनके मोबाइल से नंबर डायल करती है पर कोई उठाता नही है ,इतनी रात में गांव वाले गहरी नींद में सोते हैं ,यहां भी अगर गोली नही चली होती तो किसी को कुछ पता नही चलता, उधर ठाकुर साहब चुपके से घर में घुसकर अपने कमरे में बंद होते हैं , अब उनकी तरफ का दरवाजा खुला छोड़ दिया जाता है ,क्योंकि अब उनके आने जाने का समय फिक्स नही था, अंदर जाकर ठाकुर साहब के शरीर को बेड पर लिटा कर शैतान खुद बाहर आता हैं इस बार उसने लड़के का दिल निकाल कर अपने दिल में लगा लिया था , परंतु वह अभी ठाकुर साहब का उपयोग करना चाहता है, उसे अपना कोटा पूरा करना है जिसके लिए ठाकुर साहब से बढ़ियां विकल्प कुछ नही था, उसके शरीर के कटे फटे जगह कुछ कुछ भर गए थे, शायद दो दिन जो रक्त पान जो किया उसका ही असर था, वह सबके कमरे में अदृश्य होकर नजर मारता है और सोचता है सबसे अंत में इन लोगो का नंबर लगाऊंगा ,जब कोई ना होगा तब इनका उपयोग होगा, उसकी ललचाई नजर ज्योति के यौवन पर भी पड़ती है, वह सर्वेश को विशेष अंतिम बलि के लिए उपयोग में लाना चाहता है और बाकी लोगो का तो कभी भी उपयोग कर सकता था ,वह देखता है कि भोलू और किटी उस से डर कर कोने में छुप रहे थे, तो वह उनके करीब जाता है तो किटी घबराकर उसके भद्दे चेहरे पर नाखून मार देती है, और उसके सड़े चेहरे का गोश्त उसके पंजों में आ जाता है ,तो वह गुस्से में किटी को गर्दन से पकड़ कर उठाता है और उसकी गर्दन मरोड़ कर बाहर फेक देता उसकी आवाज भी नही निकलती है, भोलू देख जोर जोर से भौकता हुआ भागता है, भोलू के भौंकने से सभी की नींद खुल जाती है , सीता देवी अपने कमरे से बाहर आती हैं और भोलू को चुप करते हुए कहती है, " भोलू क्या हुआ ,"? क्यों चिल्ला रहा है ,सबकी नींद खराब कर दी, चलो जाओ चुप चाप अपनी जगह पर सो जाओ, "!! भोलू डर के मारे उनके पैरो में आकर लिपटने लगता है ,और ठाकुर साहब के कमरे को देख भौकता है ,ज्योति और सर्वेश के साथ कचरू और काली भी बाहर आ जाते हैं, सीता देवी को लगता है कि ठाकुर साहब आजकल भोलू पर ध्यान नहीं देते हैं ,इसीलिए शायद वह गुस्से में भौंक रहा है , वह ठाकुर साहब को उठाने के लिए दरवाजा खटखटाते हैं तो अंदर शैतान ठाकुर साहब के शरीर में प्रवेश कर बाहर आकर पूछता है," क्यों डिस्टर्ब कर रही हो पता है ना मुझे नींद से जगना पसंद नही है,*"! भोलू उसे देख भौंक कर सीता देवी के कमरे में भागता है , और वहां जाकर छुप जाता है, सीता देवी को सब बड़ा अजीब सा लगता है ,ठाकुर साहब पूछते हैं" क्यों उठाया ,"!! कचरू कहता है ," मालिक वो भोलू बहुत परेशान कर रहा था ,वह शायद आपके कमरे में आप के साथ सोना चाहता था पर अभी फिर भाग गया ये भोलू भी बदल गया है ,कई दिन से चुप बैठा था आज सनक सवार हो गई,"!! सीता देवी उनसे कहती है ," आप सो जाइए ,में देखती हूं,"!! सभी अपने अपने कमरे में जाते हैं,!
सीता देवी अपने कमरे में आती हैं तो भोलू को बेड के नीचे छुप कर बैठा देखती हैं ,वह सोच में पड़ जाती है,"!!!
क्रमशः