भाग 5
सीता परेशान हैं ,उसे आज बड़ा अजीब से लग रहा है, वह बेटी ज्योति को कमरे में जाने के लिए कहती हैं जो उसके पास बैठी है, वह उठकर जाति है तभी कुत्तों के भौंकने और भागने की आवाजे आती हैं, जैसे वह किसी से डर कर भाग रहे हैं,सीता इस बात का भी आश्चर्य होता है कि उसका कुत्ता भोलू एकदम शांत हो गया है और एक कोने में दुबका पड़ा रहता है ,वह एकदम से डरा डरा सा लग रहा है ,वही हाल किट्टी का भी है, किट्टी जो दिन भर म्याऊ म्याऊ करते उनके आगे पीछे ही घूमती थी दो दिन से एक दम शांत थी दूध भी डर डर का पी रही थी ,सीता सोचती है कि कल वह गुरु जी को जरूर बुलवाएंगी ,पता तो चले अचानक घर में मनहूसियत सी क्यों लगने लगा है , इतने में ठाकुर साहब अंदर आते हैं और सीधे कमरे में जाते हैं और दरवाजा अंदर से बंद कर लेते हैं,उसके पीछे पीछे कचरू और काली भी आते हैं ,सीता पूछती हैं" कहां मिले तुम लोगो को ,और तुम लोग इतना घबराए हुए क्यों हो, "!! काली कहता है," मालकिन ये तो गांव के मुहाने पर ही मिल गए पर क्षमा करिएगा ,हमारे मालिक जैसे बदल से गए हैं , उनका स्वभाव एकदम से बदल गया है कहां दिन भर ठहाके लगाकर हंसने वाले ठाकुर साहब और कहां ये एकदम से शांत और गुस्से से आंखें लाल वाले ठाकुर साहब बहुत अंतर हो गया है ,"!! सीता देवी सोचती हैं और काली से कहती हैं ," शायद हादसे के बाद से कुछ दिमागी असर ठीक नही है सब ठीक हो जाएगा , तुम खाना ले आओ, और उनकी शराब भी, "!! दोनो जाते हैं और सीता देवी ठाकुर साहब का दरवाजा नॉक करती हैं ,तो अंदर से आवाज आती हैं " क्या काम है ,मुझे परेशान मत करो,"!! सीता देवी कहती हैं ," आपका खाना और रोज का शराब तैयार है ,थोड़ा खा लीजिए सुबह से कुछ नही खाया है आपने , "!! अंदर थोड़ी चुप्पी के बाद ठाकुर साहब कहते हैं " ठीक है दरवाजे पर रख दो मैं ले लुंगा और शराब कि पूरी बॉटल रख दो,"!! सीता देवी सोचती हैं कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह बिना उनके सामने बैठे शराब पिए हों या फिर खाना खाया हो, वह जब तक उन्हे दो चार जोक्स दो कहर कहानियां नही सुना लेते थे उनका दिल नही भरता था ,प्रति दिन वह शराब पीते हुए उनको चुटकुले और जोक्स जरूर सुनते थे ,कचरू और काली तो वही सुनने के लिए इधर उधर मंडराते रहते थे और खूब हंसते थे, फिर खाना खाने के बाद उनके साथ घर से बाहर थोड़ी देर टहलना और दिन भर के कारोबार कि बाते डिस्कस करते थे,उनका कहना है कि घर की हर छोटी बड़ी बातें पत्नी और बच्चों को पता होनी चाहिए ताकि कभी ऊपर नीचे हो तो मैटर बिगड़े न ,पता होगा तो कोई भी सम्हाल सकता है , ठाकुर साहब कि अपनी एक राइस मिल है ,और एक ऑयल का कारखाना है, जिस से अच्छी खासी इनकम हो जाती हैं, आसपास के सभी गांव उन्ही के यहां अपना राइस और तेलहन सामग्री बेचा करते हैं ,उन्हे भी ठाकुर साहब अच्छी कीमत देते हैं,ठाकुर साहब से आस पास के सभी गांव वाले खुश रहते थे और उनकी बहुत इज्जत करते थे, अगर ठाकुर साहब चुनाव लडे तो निर्विरोध चुने जाए पर उन्हे राजनीति में कोई इंट्रेस्ट नही था,काली खाना और शराब की बॉटल ले आता है ,तो सीता की तंद्रा टूटती है ,वह दरवाजे के पास रखवाकर आवाज देती हैं" सुनते है जी ,आपका सामान रख दिया और भोजन भी दरवाजा खोलिए तो अंदर लगवा दूं,"!! ठाकुर साहब कहते हैं" तुम सब रख कर जाओ मैं ले लुंगा, "!! सीता दरवाजे को देखती हैं फिर काली को फिर वह भी जाते हुए काली से कहती हैं " एक सुराही पानी का भी रख देना रात में उनको बहुत प्यास लगती हैं,"!! काली कहता है वाह तो कबका रख दीए हैं, "!! वह भी दरवाजा खटखटा कर कहता है " मालिक भोजन ठंडा हो जायेगा ,जल्दी खा लीजिए कुछ और चाहिए हो तो आवाज दीजिएगा, वह भी जाता है ,सभी के जाने के बाद दरवाजा धीरे से खुलता है और एक लंबा हाथ बाहर आता है और सारा सामान खीच लेता है,अंदर से दरवाजा बंद करके ठाकुर साहब घूमते हैं तो वह पूरे शैतान के रूप में थे, आज उसने दो दो इंसानों का खून पिया था वह पूरी तरह से तृप्त था , उसकी आंखो से तो जैसे खून टपकने वाला हो ऐसी स्थिति हो गई थी, उसकी सांप की तरह दो मुंह जीभ लप लपा रही थी ,उसके नुकीले दांतो में भी खून भरा हो ऐसा लग रहा था दांत भी पूरी तरह से लाल हो गए थे,"!!
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए" !! ??