भाग 19
केवल नाथ ठाकुर साहब के हवेली पर पहुंच कर अलख जगाते हैं,तो ठाकुर साहब के अंदर का शैतान जो सो रहा था गुस्से से उठता है, और वह हॉल में आकर कहता है ,*" बंद कर अपनी बकवास ,चुप चाप चले जा यहां से ,*"!? केवल नाथ पागल तांत्रिक के साथ अंदर आते हैं और कहते हैं,*" क्यों तुझे डर लग रहा है, तु एक शरीफ आदमी के शरीर में प्रवेश कर उसे क्यों बदनाम करना चाह रहा है , तूने अब तक जो भी किया सब माफ तु ठाकुर साहब के पवित्र शरीर को छोड़ कहीं और चला जा,*"! शैतान भड़क कर कहता है नही जाऊंगा जो करना है कर ले ,तुझ में हिम्मत है तो बता दे सबको की मैं शैतान हुं,आज के बाद दुबारा मुझे परेशान किया तो मैं तुम दोनो को कच्चा चबा जाऊंगा, जाओ यहां शोर मचाने कि आवश्यकता नहीं है, *"!
पागल तांत्रिक कहता है ,*" 5 दिन, 5 दिन तु और रह ले, इसके बाद अमावस्या की रात तेरा क्रियाक्रम हम करेंगे,*"!! शैतान कहता है,*" 5 दिन में तुम सब जिंदा बचोगे तब तो मेरा कुछ बिगाड़ पाओगे , तभी केवल नाथ अभिमंत्रित भभूत निकाल कर उसके ऊपर छिड़कते हुए कहते हैं, *" पहले तु खुद को तो बचा *"! भभूत पड़ते ही शैतान चीख उठता है उसके पूरे शरीर में जलन होने लगती है जैसे किसी ने शोले छिड़क दिए हो, वह कूदने लगता है और कमरे में घुस जाता है, केवल नाथ अपने झोले से अभिमंत्रित किले निकालकर उसके दरवाजे पर गाड़ देते है , और कुछ किले उसके खिड़कियों और बाकी के दरवाजों पर भी गाड़ता हैं, शैतान कि जलन कम होती हैं और वह अंदर से चीख कर कहता है ,तुझे नही छोडूंगा आज रात तुम दोनो का ही रक्त पान करूंगा, पागल तांत्रिक कहता है *"अब तू कमरे से बाहर निकलेगा तब तो कुछ कर पाएगा, *"! वह चौक कर दरवाजा खोलता है और बाहर निकलने लगता है कि दरवाजे से लपटे जैसी निकलने लगती है उसे पीछे होना पड़ता है ,यह साधारण आग नही थी, यह मांत्रिक आग थी वह सभी को नही दिखाई देती थी वह सिर्फ शैतान या फिर भूत प्रेतों को रोकने के लिए ही साधना कर प्राप्त कि जाती हैं इसे केवल नाथ ने कील में डाल दिया था , शैतान अचंभित सा उन्हे देखने लगता है , तभी सीता देवी घर में आती है ,वह बाबा जी को घर में देख थोड़ी प्रसन्न होती है ,और ठाकुर साहब को दरवाजे के अंदर खड़े देख कहती है, *" आप अंदर क्यों खड़े हैं ,आइए बाहर गुरुजी घर की मनहूसियत को समाप्त करने के लिए कुछ विशेष पूजा अर्चना कर रहे थे ,*"! ठाकुर गुस्से में कहते हैं,,*" मैने तुमसे कितनी बार कहा कि इन ढोंगियों को नही बुलाया करो, फिर भी बार बार यह आ जाते हैं ,*"! सीता देवी आश्चर्य से ठाकुर साहब को देखने लगती हैं , वह सोचती है कि इनको हो क्या गया है, तभी केवल नाथ कहते हैं*" चलिए मैं ढोंगी हूं तो आप बाहर निकल कर आइए ,और हमारी पोल खोलिए, अंदर से व्यर्थ में क्रोधित होने का क्या अभिप्राय ,*"! सीता देवी भी कहती है *" आप बाहर क्यों नहीं आ रहे हैं,आइए बाहर, बहुत दिन हो गए आपके साथ बैठ कर चाय पीए, अब इतना भी गुस्सा क्यों करते हैं आइए *"!! शैतान कहता है *" मुझे नींद आ रही हैं ,शाम की चाय साथ पिएंगे ,*"! गुरुजी सोचते है, कि वह सब कुछ सीता देवी को अगर बता दे तो वह घबरा जायेगी ,और पहली बात वह मेरी बात मानेगी भी या नहीं इसका कोई भरोसा नहीं है , अभी सही समय नही है ,अभी थोड़ी शक्ति और इक्कठी कर ले तब इसका खात्मा करने के पहले सीता देवी को सब बता दिया जायेगा, अभी तो इसे बाहर जाने से रोक ही दिया है ,पर ये बहुत ताकतवर हैं, तभी सीता देवी गुरु जी से कहती हैं ,*" गुरु जी हमारे नौकर कचरू को भी कल किसी ने मार दिया ,उसके साथ दो पुलिस वाले भी मारे गए हैं, ऐसा लग रहा है जैसे पूरे गांव पर बुरी नजर लग गई , आज कचरू के पूरे परिवार को रोते कलपते देख मेरा मन विचलित हो गया ,*"!! उसी समय काली चाय और नमकीन लाकर रखता है ,सीता देवी कहती है, *" में चाहती हूं आप जो भी पूजा पाठ करना चाहे करिए और ठाकुर साहब को भी ठीक करिए और गांव को भी इस मुसीबत से बचाए,*"! पागल तांत्रिक कहता है ,*" सबसे पहले ठाकुर साहब को ठीक करना होगा ,उसके बाद गांव को ठीक करेंगे ,हमे तीन दिन लगातार पूजा करना होगा ,और अमावस्या कि रात उसकी पूर्णाहुति करनी होगी तब जाकर इस गांव का भला होगा *"! सीता देवी कहती है *" ठीक है ,आपको जो करना है करिए ,आपको जो भी चाहिए होगा मिल जायेगा बस अब कुछ भी करिए इस मुसीबत से छुटकारा दिलाइए , पता नही क्या हो गया है, *"! गुरु जी कहते हैं *" आप चिंतित मत होइए ये मेरा वचन है अमावस्या तक मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा ,*"! अंदर शैतान यह सब सुनकर क्रोधित होते हुए बड़बड़ाता है ,*" तु मुझे नही सकता ये तेरे किले में तेरे सीने में ठोकूंगा ,*"!!
क्रमशः