भाग 14
ठाकुर साहब का शैतान का असली शरीर अगर उस वक्त कोई भी देख लेता तो वहीं डर के मारे वहीं मार जाता , शैतान अपनी मस्ती में था तभी कचरू की आवाज आती है , और वह चिल्लाता हुआ कह रहा है *" मालकिन किटी मिली पर मरी हुई किसी ने उसको मारकर फेक दिया था, गुरुजी लेकर आ रहे थे ,तो मैने ले लिया गांव के बाहर मिली थी ,इस बेचारी ने किसी का क्या बिगाड़ा था , भोलू ठाकुर साहब के कमरे को देख भौंकने लगा था , सीता देवी कहती हैं*" हे भगवान ये क्या हो रहा है ,आज से पहले कभी ऐसी मैने ऐसी मनहूसियत कभी नहीं देखी ,जाओ ठाकुर साहब को भी बता दो उनकी प्रिय किटी नही रही , कचरू ने ठाकुर साहब का दरवाजा खटखटाया और कहता है *" मालिक , मालिक दरवाजा खोलिए आपकी प्यारी किटी नही रही ,*"! शैतान जल्दी से ठाकुर साहब के शरीर में घुसता है, और उठकर दरवाजा खोलता है तो सामने किटी का शरीर एक टोकरी में लेकर आया था , ठाकुर साहब कि आंखो में कोई रिएक्शन नहीं आता है, सीता देवी कहती हैं*" क्या हो गया आपको ठाकुर साहब , आपके चेहरे पर तो जरा भी रिएक्शन नहीं है, इस किटी के और भोलू के बिना एक पल भी नहीं रहते थे,और उसी किटी के मरने पर भी आप कुछ बोल नहीं रहे हैं,*"!! शैतान समझ गया की अब कुछ न कुछ तो बोलना होगा ,अन्यथा बात खराब हो जायेगी, वह कहता है*" मैं जबसे शमशान से वापस लौट कर आया हुं ,मेरे आंसु सुख से गए हैं , मैं अपने आप में बहुत परेशान हूं , मुझे हमेशा बैचेनी सी रहती है , मुझे माफ करिए आप सभी लोग मैं खुद अपने व्यवहार से शर्मिंदा हूं, मुझे माफ करिए *"! इतना कह कर वह सीधे अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर मुस्कुराता है और मन में कहता है ,*" मुझे तुम सभी का खून पीने की बैचेनी है ,जिस दिन मेरे 100 बलि पूरी होगी तब मैं अपनी असलियत दिखाऊंगा कि मैं क्या हूं ,तब तक मजा कर लो सभी , "*?! बाहर सीता देवी पति के इस बात से चिंतित हो उठती हैं की ठाकुर साहब का भी कहना सही है ,उनके स्थान पर कोई भी होगा तो उसका भी यही हाल होता, कचरू कहता है*" मालकिन ,मालिक को कुछ दिन के लिए शहर वाले घर ले कर चली जाओ शायद वहां के चमक दमक से इनका मूड कुछ ठीक हो जाए ,*"! सीता देवी सोचती हैं और कहती हैं ,*" गुरु जी की पूजा समाप्त हो जाए तो हम चले जायेंगे ,मुझे इनकी ऐसी हालत देखी नही जाती हैं,""!! शैतान मन में कहता है ,तब तक तो मैं तुम्हारे गुरु को मार दूंगा और तुम सबका रक्त पान कर लूंगा *"!
केवल नाथ अपने आश्रम में अपने शिष्यों के साथ हैं ,वह पागल तांत्रिक भी उनके साथ ही है,दरअसल वह पागल नही है ,पर लोगो ने उसकी भाषा कि वजह से पागल बना दिया था अन्यथा वह बहुत ही अच्छा तांत्रिक है , वह इस गांव में पिछले 10 सालो से रह रहा था ,एक बार गांव में कुछ आपदा आई थी कुछ लोगो ने उसका जिम्मेदार इसी तांत्रिक की साधना को बताया था तब ठाकुर साहब ने ही इसे बचाया था यहां तक कि ठाकुर साहब के यहां से एक वक्त का भरपूर भोजन उसके लिए जाता था, पर जब से दुर्घटना घटित हुई ,बेचारे को कोई पूछने वाला नहीं था,केवल नाथ कहता है ,*" उसे रोकना होगा ,और जल्द से जल्द उसे समाप्त करना होगा पहले तो यह साबित करना होगा कि वह ठाकुर साहब नही है उनकी जिंदा लाश है ,तभी हम उसे समाप्त कर पाएंगे ,*"! पागल तांत्रिक कहता है ,*" गुरुदेव यही तो समस्या है ,लोगो के सामने उसे कैसे साबित करे , वह बहुत ही होशियार है ,और मुझे तो उसका कुछ और ही प्रयोजन लग रहा है, वह अवश्य ही शैतान से बेताल बनने के फिराक में हैं,उसने उसकी शुरुवात भी कर दी है चार लोगो का रक्त पान कर दो दिन में प्रतिदिन उसकी शक्ति बढ़ती जायेगी ,और यहां के लोगो के लिए खतरा भी बढ़ता जायेगा , *"! केवल नाथ कहते हैं ,*" अभी जो साधना शुरू कर रहे हैं उस से हम कल उसका घर से निकलना बंद कर देंगे फिर अमावस्या के दिन ही ठाकुर साहब कि तेरहवीं करेंगे, *"!!
वीर सिंह अपने सीनियर के साथ बैठे हैं सीनियर उनसे कहता है , *" क्या हो रहा है ,दो दिन में चार लोगो की मौत और वह भी इतने भयानक तरीके से बलात्कार करके और खून तक निचोड़ लिया गया , ऐसा कौन हो सकता है ,कोई नया क्रूर अपराधी दल तो नही आ गया है , *"!!
वीर सिंह कहते हैं *" सर हमने कई दल बना दिए हैं जो लगातार घूम रहे हैं दूसरा कांड तो समझिए 10 मिनट पहले ही हुआ था पर आस पास कोई भी नजर नहीं आया और न ही कोई सवारी ,सर गांव वालो का कहना कोई नहर का पिशाच है ,*"!! वह अधिकारी वीर सिंह को डांटता है और कहता है ,*" तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है ,तुम भी फिजूल की बाती पर ध्यान दे रहे हो ,अब तुम एक काम करो पुलिस से रिजाइन देकर तांत्रिक बन जाओ,या फिर अपने डिपार्टमेंट में एक तांत्रिक डिपार्टमेंट बना दे ,*"!!
क्रमशः