भाग 20
केवल नाथ सभी को एक एक ताबीज और बना कर देते हैं और सीता देवी से कहते हैं ,यदि हो सके तो आप तीन दिन अपने बच्चो के पास चले जाइए और सीधे अमावस्या वाले दिन आइए , में आपके घर में रहकर कुछ हवन करना चाहता हुं, ,उस दिन दोपहर से आपकी जरूरत होगी , सीता देवी कहती हैं,*" ठाकुर साहब कैसे रहेंगे उनकी हालत यहां से ले जाने के लायक नहीं है, *"! केवल नाथ कहते हैं *" काली तो यहां रहेगा , उनकी देख भाल कर लेगा ,हैं आप अपने भोलू को भी ले जाइए , यह को हवन होगी वह कल से तीन दिन लगातार चलेगी ,जिसमे आप परेशान हो जाएंगी ,आप को यदि मुझ पर विश्वास है तो मेरी बात मान लीजिए ,वैसे हवन मैं अपने आश्रम में भी कर सकता हूं ,पर यहां करने पर गांव वालो का भला होगा ,बाकी आपकी इच्छा, *"! सीता देवी सोच में पड़ जाती हैं ,वह फिर फोन पर बच्चो से बात करती हैं तो वह दोनो भी कहते हैं कि मां आप दो दिन के लिए आ जाइए फिर हम भी साथ चलेंगे , वह इस असमंजस में थी की ठाकुर साहब को अकेला छोड़ कैसे जाएं,*"! काली उन्हे समझाता है *" मालकिन वैसे भी ठाकुर साहब किसी से भी बात चीत करते नही ,खाना भी अंदर ही खाते हैं , वह में सब सम्हाल लूंगा ,आप चिंता मत करिए ,आप बेफिक्र होकर जाइए ,*"!! दरअसल केवल नाथ अब आर पार कि लड़ाई इस शैतान से लड़ना चाहते थे और वह सीता देवी के रहते संभव नहीं था, क्योंकि उनके सामने उनके पति को शैतान साबित करना आसान नहीं था ,और उन्हे बुरी तरह से हर्ट भी होता ,वह पहले ऐसा माहौल खड़ा करना चाहते थे कि सभी लोग ये समझ जाएं की ठाकुर साहब जिंदा नही उनके अंदर एक शैतान प्रवेश कर चुका है, अन्यथा कही लोग ठाकुर साहब को ही शैतान न समझ बैठे ,और ऐसा होने पर पुण्यात्मा ठाकुर साहब की आत्मा को बहुत दुख होगा ही साथ ही बनी बनाई प्रतिष्ठा भी खराब हो जायेगी,,!! सीता देवी सबके समझने पर मान जाती हैं , और वह शहर जाने को तैयार हो जाती हैं,*"! वह ठाकुर साहब के दरवाजे को खटखटाती है ,तो अंदर से आवाज आती हैं ,*" मुझे परेशान मत करो जहां जाना है जाओ,*" !!अंदर शैतान भी खुश होता है वह अब खुल कर खेलना चाहता था , क्योंकि अब वह और तांत्रिक केवल नाथ आमने सामने हो जायेंगे ,वह उन दोनो तांत्रिको को सबक सिखाना चाहता था ,सीता देवी के जाने के बाद दो दिन में वह उन सबको तहस नहस कर देने के मूड में आ गया था , सीता देवी अपना सामान लेकर ठाकुर साहब के कमरे को देखती हैं ,और भोलू को गाड़ी में बैठने को कहती है ,भोलू जल्दी से गाड़ी की तरफ जाता है ,उसे तो जैसे जेल से छुटकारा सा मिल गया था, सीता देवी काली को ठाकुर साहब का ख्याल रखने को कई बार ताकिद करती हैं, और जाती हैं ,,!!
दरोगा वीर सिंह अपने आस पास के जितने भी अपराधी थे सभी को पकड़ कर पूछताछ कर रहे हैं, पर कोई भी इस बात को मानने को तैयार नहीं था कि यहां का कोई अपराधी ये काम कर रहा है ,और कुछ तो यह भी कहते हैं कि ये काम कोई भी इंसान नही कर सकता है , अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो ,वह गलतियां करता ही है, और फिर भी न करे तो इतनी जल्दी हत्या और रेप करके गायब हो जाना यह कैसे हो सकता है , और अपराधी खून तो नही पी सकते हैं ना,*"!! खून पीने के नाम पर वीर सिंह चौकता है ,वह भी सोचने लगता है कि इनका कहना तो एकदम सही है ,कोई भी अपराधी ,खून निचोड़ने वाला मशीन तो लेकर चलता नही और एक इंसान के शरीर से पूरा खून निकलने में काम से कम 15 से 20 मिनट तो लगता ही है ,वह भी तब जब उसके सभी नसे एक साथ काटी जाए, यहां तो दस मिनट में तीन लोगो रक्त निचोड़ा गया या तथाकथित पीया गया और फिर उनका कत्ल भी हुआ ,सोच सोच कर उसके दिमाग की नसे दुखने लगती हैं ,*"!!
सीता देवी के जाते ही ,केवल नाथ काली से जोर से कहते हैं ,*" सुनो काली जरा बाजार से एक पूरा बकरा कटवा कर ले आओ आज उसका भुना गोश्त खायेंगे ,*"! काली को तो मालकिन ने कह ही रखा था की गुरु जी की सारी व्यवस्था देखना किसी बात कि कमी न होने पाएं और वह उसे पैसे भी दे गई थी, वह हां कह कर झोला लेकर निकलता है ,!! उसके जाते ही केवल नाथ कहते हैं *" क्यों बे शैतान भुना गोश्त खायेगा ,चल दरवाजा खोल और अपना असली रूप दिखा, *"!!शैतान गुस्से में आकर दरवाजा खोलता है ,केवल नाथ उसे देख मुस्कराते हैं ,पागल तांत्रिक कहता है ,*" क्या बे भुना गोश्त खायेगा , खाना है तो बाहर आ ,*"! शैतान गुस्से में कहता है ,*" दिन में तुम लोग मुझे परेशान कर लो ,रात होते ही देखना मैं क्या करता हूं ,*"!!
क्रमशः