भाग 23
दस मिनट में करीब 8 नौजवान लड़के ठाकुर साहब के घर के सामने पहुंच जाते है, उनमें से कुछ लडको को तो वीर सिंह भी पहचानता था , छोटी जगहों में यही तो फायदा होता है करीब करीब सभी एक दूसरे को पहचानते हैं,
मुखिया कहता है *" लीजिए दरोगा साहब ये आपके सिपाही अब इनका जहां भी उपयोग करना हो करिए *"! एक लड़का बीच में बोलता *" जहां भी का मतलब क्या है , हम सिर्फ और सिर्फ अपने गांव के लिए जो भी करना है करेंगे ,सब क्लियर करके बोला करिए ,नही तो पता लगा दरोगा साहब कही और उपयोग में ला रहे हैं,*"! सभी हंसते हैं ,!!
मुखिया डांटते हुए कहता है ,*" राम सिंह तुम अपनी बदतमीजी यह मत दिखाओ , इस वक्त गांव पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा है और तुम लोग मजाक कर रहे हो, *"!
वीर सिंह कहता है *" कोई बात नही ,जवान बच्चे हैं हंसी मजाक तो करेंगे ही ,( बच्चो से ) हां तो बच्चो तुम लोग दो दो की टोली में गांव का चारो मुहाना पकड़ लो ,यदि कहीं कोई खतरा नजर आए तो तुरंत सिटी बजा देना पुलिस वहां पहुंच जाएगी पर सावधानी से ,कहीं कोई जल्द बाजी में अपना नुकसान मत कर लेना, तुम लोग हमारे लिए बहुत कीमती हो*!!
मुखिया उन लडको को ले जाकर गांव के चारो मुहाने दिखा देते हैं जहां उन्हे रात में पहरा देना है,क्योंकि सभी घटनाए रात में ही हुईं हैं,लड़के भी पूरी तैयारी के साथ आने की बात कह कर जाते हैं,*"!
केवल नाथ जी अपनी पूरी विधि के साथ यज्ञ आदि कार्य में लगे हैं,धीरे धीरे कुछ गांव के लोग भी वहां जमा होने लगते हैं ,वह सब इस पूजा पाठ को लेकर भी अपनी अपनी राय रखने लगते हैं,वीर सिंह वही बैठे हैं तो एक आदमी चुटकी लेते हुए बोलता है,*" दरोगा जी आप ही पूजा करवा रहें हैं क्या ,पूजा पाठ से उस खूनी शैतान को पकड़ेंगे, *"! ? दूसरा कहता है *" बड़ा बुड़बक है, अरे दरोगा जी पूजा पाठ अपनी सुरक्षा के लिए कर रहे हैं इसी लिए तो यहां डेरा डाल दिए हैं ,अब उनके अंदर खूनी को पकड़ने की काबिलियत तो रही नही ,इसी सहारे बेड़ा पार हो जाए , ,*"! केवल नाथ जी भी सब सुन रहे थे ,दरोगा वीर सिंह उठकर सबको देखते हैं ,तो दोनो बोलने वाले खसकते हुए कहते हैं ,*" चल निकल ले भईया सांड खड़ा हो गया है,*"! वीर सिंह को उनकी बातो से क्रोध तो बहुत आता है पर वह सिचुएशन को देख चुप बैठे थे, और वैसे भी सभी लोग तो पुलिस डिपार्टमेंट की ही नाकामी बता रहे थे,!!
मंत्रो के प्रभाव से शैतान को बैचेनी महसूस होने लगती है ,वह सो नही पता है तो गुस्से में टहलने लगता है ,वह और अधिक इसलिए परेशान है, कि वह कमरे से बाहर नहीं निकल सकता है, वह बार बार ठाकुर साहब के शरीर को छोड़ कर बाहर निकल आता था, उसकी व्याकुलता बढ़ती है , वह कई बार दरवाजा खोलता है , और तो और मटन के भुने जाने की खुशबू भी उसे परेशान कर रही थी, !!
केवल नाथ जी बाहर से अंदर आते हैं,और ठाकुर साहब के कमरे के बाहर भभूत छिड़कते है तो वह एकदम से बौखला गया, वह दरवाजा खोल कर गुर्राते हुए कहता है ,क्यों अपनी मौत को दावत दे रहा है, जा जाकर अपनी साधना कर, *"! केवल नाथ कहते हैं,*" मेरी मान तो तू ठाकुर साहब को छोड़ कर चला जा,वरना तेरा खात्मा निश्चित है , मैं तुझे भस्म कर दूंगा ,*"!
वह ठहाका मारकर हंसता हुआ कहता है, *" तेरे जैसे टुच्चे तांत्रिक मेरा कुछ नही बिगाड़ सकता है , मैं तुम सबको एक झटके में समाप्त कर दूंगा ,जिंदा रहना चाहता है तो ,भाग जा यहां से ,मुझे परेशान मत कर,*"!! पागल तांत्रिक कहता है*" बहुत घमंड है तुझे अपनी शक्ति पर , परसो तेरा घमंड भी देखते हैं , और तेरी ताकत भी, हमने तुझे भस्म करने का इंतजाम कर लिया है,*"!
वह क्रोधित होकर दरवाजे को जोर से पटकता है तो उसके पल्ले टुकड़े टुकड़े होकर उड़ जाते हैं, और दहलीज पर लगे खिले भी बाहर आने लगते हैं तो केवल नाथ उसके ऊपर भभूत छिड़कते है तो वह पीछे हो जाता है ,तभी केवल नाथ किल को दुबारा ठोक देते हैं, दिन होने कि वजह से शैतान की ताकत काफी कम हो जाती है,इसलिए वह व्याकुल होकर चिंघाड़ता हैं, सबसे बड़ी समस्या तो यह हो गई थी की उसने दरवाजा भी तोड़ दिया था जिस कारण वह सो भी नहीं सकता था,*"!
बाहर खड़े गांव के लोग चिंघाड़ सुन हैरान होते हैं ,तभी केवल नाथ बाहर आते हैं, तो गांव के लोग पूछते हैं कौन चिल्ला रहा था भैंसे की तरह,तो केवल नाथ कहते हैं ,पागल तांत्रिक का सर दरवाजे से टकरा गया था ,वही चीखा था, लोग न चाहते हुए भी मान जाते हैं, !
काली भुना मटन बना कर केवल नाथ को आवाज देता है,*" गुरु जी प्रसाद तैयार हैं,*"! केवल नाथ थोड़ा सा लाने को कहते हैं ,काली एक प्लेट में थोड़ा सा भुना मटन ले आता है , केवल नाथ उसको भोग लगाकर ,उस पर मंत्र पढ़कर फुकता है, और सब में मिलाने के लिए कहता है, वह पागल तांत्रिक को पूजा फिर से शुरू करने के लिए कहता है, और खुद अंदर जाते हैं, !
अंदर जाते समय उनके हाथ में भुना गोश्त देख शैतान के मुख में पानी आता है और वह कहता है,*" अरे वो तांत्रिक ,मेरा भोग कहां है , *"! ? केवल नाथ कहते हैं *" तुझे भी दूंगा बस एक पल रुक जा, काली बाहर आता है और टूटा दरवाजा देख चौक उठता है ,अभी तक मटन भुनने में व्यस्त था तो उसे कुछ पता ही नही चला की घर में क्या क्या हुआ, सब कुछ करते शाम हो चुकी थी, केवल नाथ उस प्रसाद को सभी खाने में मिलते हैं और फिर उसमे से आधा मटन शैतान के सामने देता है,शैतान की आंखे चमकती है और वह हाथ से जितना अधिक हो सकता है उठा कर मुंह में डालता है और जैसे ही खाता है ,तो उसके चेहरे की रंगत बदलने लगती हैं,,!!
क्रमशः