भाग 25
सीता देवी का रो रो के बुरा हाल था ,सर्वेश और ज्योति मां को चुप कराने में लगे हैं , दोनो भी अपने पिता के दोबारा मौत कि खबर को लेकर दुखी हैं पर वह दोनो मां के लिए खुद को शांत रखे हुए थे, !!
सीता देवी रोते हुए कहती है ,*" वो जबसे मुझसे अलग सोने लगे तभी मुझे उन पर शक होने लगा था पर दिल नही मानता था , ये बेचारा भोला उसके करीब नही जाता था ,उन्हे देख भौंकने लगता था तब भी मैं अपने मन को समझा लेती थी , हे भगवान ये हमारे साथ ऐसा क्यों किया*"!?
शाम हो गई थी सूरज महाराज यहां के लिए अस्त हो गए और अपनी रोशनी कहीं और बिखेरने चले गए थे, अंधेरा छा गया था, केवल नाथ और पागल तांत्रिक अपनी व्यवस्था में लगे थे ,काली डर के मारे घर में अकेले नहीं जा रहा था , उसका बस चलता तो पूरे गांव में अब तक बता चुका होता कि मालिक मर गए ,और उनके शरीर में शैतान का वास है ,पर केवल नाथ ने उसको समझा कर चुप करा रखा था और डरा भी दिया था कि अगर कहीं किसी को बोला तो शैतान तुझे पहले मारेगा ,*"!!
दरोगा वीर सिंह अपने सीनियर से सारी सच्चाई बताता है तो उसे भी भरोसा नहीं होता है,वह कहता है *" असंभव है ,ये कैसे हो सकता है ,तुम भी इस अंधविश्वास में अटके हो ,*"!?
वीर सिंह कहता है *" ,मैने अपनी आंखो से देखा है ,दूसरो की सुनी बात नही कर रहा हूं,*"!!
सिनियर कहता है *" अभी चलो मैं भी देखना चाहूंगा,*"!!
दोनो हवेली पर जाने के लिए निकलते हैं,
केवल नाथ और पागल तांत्रिक के अलावा केवल के दो शिष्य भी सहायता के लिए आ गए हैं, सिनियर वीर सिंह के साथ हवेली पहुंचता है , वीर सिंह केवल नाथ जी को प्रणाम करता है, सिनियर भी प्रणाम करता है,केवल नाथ को सभी जानते ही हैं उनकी एक सिद्ध पुरुष के नाम पर पहचान भी है, उन्होंने कइयों का भला भी किया है,एक दो बार उन्होंने पुलिस के अपराधी को पकड़ने में सहायता भी कि है, पर बाद में उन्होंने वह सब करने से मना कर दिया,उनका कहना था की विधि के विधान को छेड़ने से उनका नुकसान होगा पुलिस का जो काम है वो करे, *"!
वीर सिंह कहते है,*" गुरु जी ठाकुर साहब यानी कि वो शैतान क्या कर रहा है ,*"!
पागल तांत्रिक कहता है,*" खुद जा कर देख लो अब तो उसने दरवाजा भी तोड़ दिया है, पर सम्हाल के अब रात में उसकी ताकत बहुत बढ़ गई होगी ,*"!! दोनो अंदर जाते हैं,!!!
हाल में जाने के बाद वीर सिंह ठाकुर साहब के कमरे की तरफ देखते हैं तो वह खड़े होकर उन्हे ही घूर रहा था,वीर सिंह की नजरे मिलते ही वह मुस्क्रता है ,उसके साथ सिनियर को देख वह एकदम पलटी सा मार देता है ,और कहता है*" एस पी साहब नमस्कार ,अरे कहां इस गधे दरोगा को लेकर घूम रहे हैं, *"! वीर सिंह हड़बड़ा कर एस पी कि ओर देखता है, एस पी भी वीर सिंह को देख फिर ठाकुर साहब से कहता है,*" नमस्कार ठाकुर साहब!! ये दरवाजा क्यों तोड़ दिया आपने ,*"!? ठाकुर कहते हैं ,*" मैने नही तोड़ा ,ये सब तुम्हारे इस दरोगा की करामात है ,अब ये और गुरु जी दोनो मिलकर मुझ बीमार आदमी को जबरन शैतान बनाने में लगे हैं,अब आप बताइए मैं आपको कहां से शैतान लग रहा हूं*"!!
एस पी साहब वीर सिंह को देखते हैं तो वह कहता है*" आप इसकी बातो पर मत जाइए सर ,मैं अभी गुरु जी को बुलाता हूं वो अभी इसे असली रूप में ले आयेंगे ,*"!!
ठाकुर साहब कहते हैं ,*" वो केवल नाथ तो दो कौड़ी का तांत्रिक है ,वो क्या बताएगा, मैं सामने खड़ा हूं ,आप खुद तो देख ही रहे हो, आप अंदर आइए हम बैठ कर बात करेंगे,*"!!
एस पी, वीर सिंह को देखता है और कहता है *" क्यों वीर सिंह चलो अंदर बैठ के इत्मीनान से बात करते हैं , *"!! वीर सिंह कहता है*" अरे नही सर ,आप इसकी बातो में मत आइए,आप इसी को बाहर आने के लिए बोलिए हम बाहर बैठ के बात करेंगे ,आ जा भाई बाहर आ जा साहब से बात तो कर ,*"!!
वह कहता है *" एस पी साहब मुझे बहुत प्रोब्लम है, चल फिर नही पा रहा हूं बाहर जाते ही मेरे शरीर में दाने निकलने लगते हैं,
इसलिए कमरे से बाहर नहीं निकलता हूं तो इस बात का ये लोग फायदा उठाने में लगे हैं,*"!
एस पी साहब कहते हैं *" ठीक है मैं अंदर आता हूं मुझे आपसे और भी बहुत सारी बाते करनी है, *"!
वह वीर सिंह को भी अंदर चलने को कहते हैं,तो उसे भी मजबूरी में अंदर जाना ही पड़ेगा जब साहब उसकी बात पर भरोसा ही नहीं कर रहे हैं तो वह भी क्या कर सकता है,वह केवल नाथ जी को आवाज देता है ,गुरु जी हम उसके कमरे में जा रहे हैं,*"!!!!
क्रमशः