भाग 16
अधिकारी वीर सिंह को लताड़ता है , और उसे कहता है ,जल्दी से अपराधी पकड़ में आना चाहिए वरना तुम्हारा डिमोशन फिक्स है, वीर सिंह कहता है *" सर अगर ईमानदारी से काम करने का यही नतीजा है तो जो करना है करिए और आप में दम है तो आप ही पकड़ कर दिखा दो ,आप भी तो मेरे सिनियर है ,आपका फर्ज सिर्फ ऑर्डर करना नही है , मैं भी ऊपर अर्जी भेज कर सकता हूं कि सीनियर्स का सपोर्ट नहीं मिल रहा है जिस वजह से यह सब कुछ हो रहा है और हां तुम मुझसे एक रैंक ही ऊपर हो इतना रूआब मत दिखाओ , मेरा दिमाग खराब हुआ तो सारा ब्लेम तुम पर थोप कर इस्तीफा दे दूंगा , सिनियर हड़बड़ा जाता हैं ,उसे इतना बात बिगड़ने कि उम्मीद नहीं थी ,वह तो सिर्फ अपनी सिनियर गिरी झाड़ने में लगा था,पर अब उल्टा हो गया था ,वह बात सम्हालते हुए कहता है *" अरे यार वीर तुम तो हत्थे से ही उखाड़ गए मुझे भी ऊपर से उतना ही प्रेशर आ रहा है तो क्या करूं ,तुम अपने हिसाब से करो जो भी करना है,*"!!
शाम हो गया थी सूरज ढलने लगे थे ढलने क्या कही और उदय होने कि तैयारी में थे,ठाकुर साहब के अंदर का शैतान व्याकुल हो रहा था वह बाहर निकलने कि तैयारी में था,कचरू सीता देवी के पास जाकर कहता है *" मालकिन आज मुझे घर जाना है तो मैं सभी काम निपटा चुका हूं ,थोड़ा सा बाकी है वह भी करके चला जाऊंगा सुबह जल्दी आ जाऊंगा छोटे मालिक की मोटर साईकिल लेकर जाऊंगा, *"! सीता देवी उसे देख कहती है *" सर्वेश को पता चला कि तू उसकी बाइक लेकर घूमता है तो आफत मचा देगा , तु बड़े मालिक कि ले जा वह बहुत दिन से ऐसे ही खड़ी है, और सुबह जल्दी आ जाना पिछली बार कि तरह बहाने मत बनाने लगना, *"!! वह हां में सर हिलाता है और फिर अपने काम में लग जाता है ,तभी ठाकुर साहब के कमरे का दरवाजा खुलता हैं और वह बाहर आकर सबको देखते हैं , सीता देवी उन्हे देख कहती हैं ,*" आप बाहर जा रहे हैं, जल्दी लौट आइएगा ,आजकल माहौल ठीक नही है ,*"! ठाकुर साहब मुस्कराकर बोले*" मुझे कुछ नहीं होगा ,इतनी हिम्मत किसमें है जो मुझे छू भी दे,*"! और वह धड़धड़ाते बाहर निकल जाते हैं,सीता देवी सर हिलाती हैं ,ठाकुर साहब के बाहर जाते ही भोलू आकर सीता देवी से लाड करने लगता है ,सीता देवी सोचती ये अब ठाकुर साहब से इतना दूर क्यों रहता है, कुछ तो बात है ,आज मैं जबरन उनके साथ कमरे में बिताऊंगी वैसे भी कई दिन हो गए वह मुझसे अलग ही सो रहे हैं,*"!
गांव के बाहर पुलिस गश्त बढ़ा दिया गया है,वीर सिंह खुद रात आज घूमने का प्लान बना चुके थे, वीर सिंह सिनियर के व्यवहार से बहुत ही दुखी थे,आज वह ऐसी कोई अप्रिय घटना नही होने देना चाहते थे,वह कई टीम बना दिए थे दो दो लोगो को मोटरसाइकिल से राउंड मारने के लिए कहते हैं तो दो पेट्रोलिंग जीप को राउंड अप में लगा दिया था ,उन्होंने दूसरे थानों को भी अपने अपने तरीके से प्लान करने को कहते हैं, उनके ही अंडर में 5 गांव थे, पर विशेष तौर पर जगत पुर ,माधो पुर ये दो गांव को उन्होंने टारगेट किया था, वीर सिंह सभी को समझा रहे थे , तभी ठाकुर साहब हाथी जैसे झूमते हुए आते दिखाई पड़ते हैं ,उनके पास आते ही वीर सिंह कहते हैं*" ठाकुर साहब कि जय हो ,जनाब कहां निकल लिए ,अभी कुछ दिन गांव में ही घूमे तो अच्छा होगा ,*"!! ठाकुर साहब को उसे देख बहुत गुस्सा आता है क्योंकि वह उसके काम में खलल डालने कि व्यवस्था में लगा था फिर भी ऊपरी तौर पर कहते हैं,*" आप लोगो के रहते हमे कौन छू सकता है ,अब जमाने कि आदत है पूरा दो गांवों का चक्कर लगाए बिना दिल नही लगता ,और इसी बहाने आप लोगो के क्रियाकलाप भी देख लूंगा कि कितने चाक चौबंद इंतजाम किए हैं,*"!! वीर सिंह मन ही मन सोचता है कि"" अब ये भी हमारे सीनियर बन रहें हैं ,बड़े लोग हैं बड़ी बाते,*"!! ऊपर से कहता है, *" जरूर देखिए आप लोग ही तो हैं जिनके भरोसे हम लोग भी हैं ,*"! दोनो जोर से हंसते हैं,ठाकुर साहब आगे बढ़ते हैं,वीर सिंह उसे जाते देखते हैं,*"!
नहर के किनारे कुछ जोड़े बैठे थे पुलिस वाले उन्हे भगाते हुए कहते हैं,*" तुम लोगो को पता है कि आजकल जोड़ों पर विशेष कृपा हो रही हैं ,फिर भी मारने के लिए आ गए ,कमीनो कुछ दिन रात में शांत रहो, दिन में जितना चाहे मजा करो कौन रोकता है,सभी जोड़े भागते हैं ठाकुर साहब यह देख बहुत क्रोधित होते हैं उनके अंदर का शैतान अब पुलिस वालो को खा जाने वाली नजरो से देख रहा था,उसके सामने दो सिपाही एक हवलदार खड़े थे , वह उनकी तरफ बढ़ते हैं ,*"!! वही पास घूम रहे कुछ कुत्ते ठाकुर साहब को देखते ही भौंकते हुए दुम दबाकर भागते हैं, तभी कुछ भेड़ियों के चिल्लाने कि आवाज सुनाई पड़ती हैं ,जैसे उन्हे पता चल गया था कि उन्हें ताजा भोजन मिलने वाला है*"!
क्रमशः