भाग 11
सीता देवी अपने कमरे में आती है तो भोलू को बेड के नीचे छुपा देख सोच में पड़ जाती हैं ,क्योंकि अक्सर वह उनके बेड के ऊपर चढ़ जाता था और जब तक वह उसे प्यार से दो ढोल नही जमाती थी तो वह नीचे नही उतरता था, पर आज ही क्यों भोलू किटी और ठाकुर तीनो ही बदल गए थे ,उनका व्यवहार एकदम से अपोजिट हो गया था,सीता देवी भोलू को खीच कर बाहर निकालती हैं , और उसे प्यार से पुचकारती है तो वह डरा सहमा सा उनके गले लगने लगता है, "!!
कचरू काली से कहता है , " यार ये मालिक एकदम से बदले हुए नजर नहीं आ रहे हैं,पता नही क्या हो गया है , "!! काली कहता है" चल सो जा फालतू की बाते मत सोचा कर वो मालिक हैं ,और अभी अभी तो मौत के मुंह से वापस आए हैं और वह भी 18 घंटे मरने का बाद जीवित हुए,तो हो सकता है कुछ दिमागी असर हुआ होगा "!!
सुबह सुबह गांव में गहमा गहमी मची है ,पुलिस की कई गाड़ियां आ गई थी ,
गांव वालो को फिर से पूरे चार दिन के बैठक का मसाला मिल गया था, वह लोग अपनी अपनी कहानी सुनाने लगे थे , कोई कह रहा था " , भेड़ियों को यहां से भगाना होगा ,उनका मन बहुत बढ़ गया है ,अब गांव के आस पास आकर हमला करने लगे हैं , "!! दूसरा कहता है" * अरे भैया तुम्हे कुछ नहीं पता नहर वाले पिचाश ने किया होगा ,उसे रात में नहर में किसी का आना पसंद नही है ,हमने तो एक बार रात में उसे देखा था ,करीब दस हाथ लंबा था ,बड़े बड़े दांत थे, खुरपी जैसे नाखून थे , आंखे तो खून से लाल थी , और नाईट बल्ब की तरह चमक रही थी , "! जितने मुंह उतनी कहानियां थी ,कई तो भूत से लड़ भी चुके थे, पुलिस सभी से पूछ ताछ में लग गई थी ,तीन दिन में इसी गांव में दो हादसे हुए थे , और दोनो की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी एक जैसी हो थी ,दोनो ही जोड़ी को मारने से पहले उनका एक एक बूंद खून निचोड़ा गया था ,और दोनो ही लड़कियों कि मौत विभत्स दुष्कर्म के कारण हुआ था ,हैं भेड़ियों ने तो अपना हाथ तो बाद में साफ किया था, रात के पुलिस ऑफिसर के अनुसार लोगो के लिए एक और चौकाने वाली खबर ये थी जब वह लोग पहुंचे थे तो उसके ठीक 10 मिनट पहले ही उनकी मौत हुई थी तो कातिल आस पास का ही हो सकता है जो जल्दी से अपने घर घुस गया हो ,पर भेड़िए इतने जल्दी कैसे पहुंच गए , और अगर भेड़िए यहां पर पहले से थे तो , उस आदमी पर हमला क्यों नहीं किया जिसने यह दुष्कर्म किया और फिर हत्या कर दी ,और फिर उसने खून कैसे निचोड़ा क्योंकि कुछ खून की बूंदे ही वहां पर थी जबकि भेड़िए मारे होते तो वह लोग चीखते बचाने की गुहार भी लगाते और मान लो ना भी मौका मिला तो उनके खून तो फैले होते,
अब इस बात पर भी गांव वाले अपनी अपनी राय रखने लगते हैं , हमारे देश की खासियत है ,आदमी अनपढ़ गवार हो या फिर पढ़ा लिखा अपनी राय जरूर देता है , विशेष तौर पर गांव के लोग तो शायद यही काम ही करते हैं ,कहती करते हुए भी उनके किस्से चलते ही रहते हैं ,और सबसे खास बात तो ये होती है कि वह सब अपने दुख से ज्यादा दूसरे के सुख से परेशान रहते हैं, "!!
ठाकुर साहब उठकर बैठे हैं , आज सुबह से बिजली कटी हुई थीं तो कचरू नहाने के लिए गरम पानी लाकर रखता है ,वह सोचता है इतने सालो से तो मालिक ठंडे पानी से ही नहाते थे ,वह तो अक्सर सुबह घूमने जाते थे तो पंपिंग सेट पर ही नहा कर आ जाते थे ,पर अब तो 3 दिन से उन्हे गरम पानी ही चाहिए ,वैसे मालकिन हमेशा गुनगुने पानी से नहाती हैं ,इसलिए हर बाथरूम में गीज़र लगा है कचरू पानी रख कर जाने लगता है तो गलती से उसकी नज़र ठाकुर साहब के नज़रों से टकरा जाती है ,तो पता नही क्यों कचरू की रूह तक कांप जाती है जैसे किसीने उसके शरीर में बरफ डाल दिया हो, वह घबराकर जल्दी से जाता है , ठाकुर साहब मन ही मन कहते हैं ,"* ये साला ठाकुर साहब का असली प्यादा है , इसे ठिकाने लगाना होगा ,"*!
कचरू रसोइए में जाकर काली से कहता है " भईया आज तो में अपने घर जाऊंगा ,कुचव्दी रुक कर आऊंगा मेरा मन बहुत ही घबरा रहा है, "!!
उसी समय बाहर से गुरुजी अलख जगाते हैं ," अलख निरंजन ,आदेश ,जो दे उसका भी भला जो न दे उसका भी भला, "!! बच्चों बाहर आओ , "!! सीता देवी उनका आदेश सुन तुरंत बाहर आती है और गुरुजी के चरणों को छूती है ,बच्चे भी बाहर आ जाते हैं , वैसे आज सर्वेश और ज्योति दोनो। ही शहर जाने वाले हैं , वैसे भी दोनो शहर में ही रहकर पढ़ते हैं ,पर छुट्टी के वजह से घर आ गए थे और फिर ये हादसा हो गया था , "!!
क्रमशः