भाग 22
वीर सिंह ठाकुर साहब से मिलने आते है तो केवल नाथ ठाकुर साहब के कमरे के दरवाजे पर आकर खटखटाते हैं तो अंदर से ठाकुर रूपी शैतान क्रोधित हो कहता है ,*" क्यों परेशान कर रहे हों मुझे ,ये मेरे आराम का समय है ,मिलना है तो शाम को आओ,*"! दरोगा वीर सिंह ठाकुर साहब कि आवाज सुन चौक उठता है क्योंकि वह ठाकुर साहब कि आवाज भली भांति पहचानता है, ठाकुर साहब कि आवाज ही ऐसी थी , जैसी उनकी शानदार पर्सनेलिटी थी उतनी ही शानदार आवाज भी थी , जो एक बार सुन ले ,वह भूल नही सकता है,
वीर सिंह केवल नाथ कि ओर देखता है और पूछता है, *" ये ठाकुर साहब की आवाज तो नही है ,अंदर कौन है, *"! केवल नाथ पागल तांत्रिक कि तरफ देखते हैं, और फिर धीरे से कहते हैं*" ,ये ठाकुर साहब की नही उनके अंदर प्रवेश किए शैतान की है जो उनके लाश पर कब्जा किए है, *"! वीर सिंह अचंभित हो कर कभी केवल नाथ को देखता है तो कभी पागल तांत्रिक को उसके मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहे थे ,
उसके आंखो के सामने ठाकुर साहब का चेहरा घूमने लगता हैं ,वह जब उस दिन उनको रोकने का प्रयास किया था तो वह रुके नहीं थे ,जबकि ठाकुर साहब तो ऐसे आदमी थे जो कानून कि बड़ी इज्जत करते थे, पर उसे उस वक्त इसलिए कोई शक नही हुआ था क्योंकि वह उस वक्त बीमार भी चल रहे थे, पर उनका हर घटना स्थल के आस पास देखा जाना भी अब वीर सिंह को खटकने लगा था,
वह केवल नाथ से पूछते हैं ,*" आप क्या कह रहे हैं गुरु देव जी ,ठाकुर साहब शैतान है ,*"! पागल तांत्रिक कहता है *" ठाकुर साहब नहीं है ,उनकी लाश है एक जिंदा लाश जिसमे एक शैतान घुसा है ,और वह उनके रूप में ही यह सब कांड कर रहा है, *"! वीर सिंह कुछ सोच कर खुद दरवाजा ठोकते हुए कहता है*" ठाकुर साहब दरवाजा खोलिए मुझे आपसे मिलना है, *!!
ठाकुर साहब कहते हैं ,*" तुझे पता चल गया ना मैं कौन हुं , अब चुप चाप चला जा , मुझे अब परेशान मत कर वरना मैं किसी को नही छोडूंगा, ,*"!
वीर सिंह हक्का बक्का सा बाहर आता है और कुर्सी पर धप्प से बैठता है ,वह सोच में पड़ जाता है , कि इंसान से तो लड़ा जा सकता है पर ये शैतान का क्या करे , कोई उनकी बात मानेगा नही ,बल्कि लोग उसी पर दोषारोपण करने लगेंगे ,की वह कुछ कर नहीं पा रहा है तो इस प्रकार के बहाने कर रहा है,और अंधविश्वास फैला रहा है ,वह यह भी समझ गया कि केवल नाथ जी को भी सब पता है पर वह भी इसी वजह से वह भी चुप चाप अपना कार्य कर रहे थे,वह केवल नाथ से पूछता है ,*" गुरु देव रात में तो यह फिर अपना काम करेगा ,इसको रोकने का कुछ तो उपाय होगा , *"!
केवल नाथ कहते हैं,*" उसी के लिए तो यह पूजा पाठ शुरू किया है ,अभी तो यह बाहर नहीं निकल पाएगा ,पर इसकी अधिक दिन रोक नही पाएंगे क्योंकि यह बहुत ताकतवर है, परसो अमावस्या कि रात इसका अंत करना पड़ेगा ,और उसके लिए ठाकुर साहब के शरीर से उसे बाहर निकलना होगा और ठाकुर साहब कि लाश को जलाना होगा ,*"! वीर सिंह कहते हैं,*" अगर हम ठाकुर साहब कि लाश को जला दे तो, *"! केवल नाथ कहते हैं *" तो ये गांव वाले हमे जला देंगे ,और न भी जलाएं तो आप ये कैसे साबित करोगे की अपने ठाकुर साहब को नही मारा ,यह इतना आसान नहीं है, अब आप अपनी गश्त ठाकुर साहब के आस पास ही रखिए, *"! वीर सिंह फिर सोचने लगता है ,तभी मुखिया उसके पास आकर पूछते हैं *" क्या हुआ दरोगा जी ठाकुर साहब ने क्या कहा ,*"!? वीर सिंह उसकी और देख कर कहता है *" वह दावा खा कर सो रहे हैं , बात नही हो पाई ,*"! मुखिया कहते हैं*" मैने कुछ लडको से बात कर लिया है , वो आपके साथ जाने को तैयार हैं , आप कहे तो मैं उन्हे बुलवा लूं , वीर सिंह कहते हैं *" बुलवा लो , यहीं बुलवा लो , आज से ही उन्हे गश्त पर लगा देते है ,*"!!
वीर सिंह सब जानने के बाद भी कुछ बोल नहीं पा रहें थे अगर वह यह कह देते की अब आवश्यकता नहीं है तब भी मुसीबत हो जाता ,मुखिया ही दस सवाल पूछ लेता ,मुखिया एक लड़के को फोन करके कहता है " * कि सब ठाकुर साहब के हवेली आ जाओ , हां अभी आना है,"*!! वह फोन रख कर वीर सिंह से कहता है, " " दरोगा साहब आप लोग फोर्स क्यों नहीं बुलवा लेते हैं, आप लोग इतनी कम संख्या में हैं ,फोर्स के आने से आप लोगो को भी तो आराम हो जायेगा, *"!
वीर सिंह कहता हैं, *" फोर्स की जरूरत देश के लिए है ,उन्हे वही रहने दो ,सरकार ने हमारा डिपारमेंट तो जनता की सेवा के लिए ही बनाया है ना ,तो हमे ही करने दीजिए, *"!!
क्रमशः