पेड़ो की बात चल रही हो और गर्मी के दिनों में आम का जिक्र न हो ऐसा मुमकिन ही नहीं।आम के वैसे तो बहु
गुलाबी, हरा, नारंगी, नीला कहीं लालिमा में समाया नभ
धरा के अपर छोर चमकने,अस्ताचल म
एक दिन यूँही गुज़रना हुआ,नदी के किनारे से।आवाज़ कुछ सुनाई दी नदी किनारे से। पास कुछ जाना हुआ तो पान
बड़हल या बड़हर का पेड़ ,पीले गोल फूल वाला ये पेड़ उत्तर भारत ,पूर्वी भारत और मध्य भारत में बहुधा पाया
हर जगह बेवजह का मुद्दा उछाला जा रहा है,
*सनातन धर्म में श्राद्ध का बड़ा महत्त्व है | श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है | मृतात्मा के प्रति श
दोस्तो, "सूरजमुखी" यानी, उम्मीदों से भरा वो हंसता मुस्कराता फूल जो अपनी वफादारी, ईमानदारी, और अपनी&n
ये बारिश नहीं बीमारी है.
ये हवा नहीं बीमारी है.
बचकर रहना अपने घर में,
ये जान न सिर्
पौधों के विकास की अवस्था में मिट्टी चढ़ाना काफी मायने रखता है। आज के लेख में जानें पौधों में मिट्टी चढ़ाने से क्या फायदा होता हैऔर इसे किस तरह से करते हैं। किसान भाइयों, पौधों को मिट्टीचढ़ाने से उनको हवा,
हाल ही में इंटनेट पर दो तस्वीर सामने आयी है | जहाँ एक ओर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश हाथों में एक लौकी पकडे हुए है, जिसका आकर थोड़ा टेढ़ा है | वही दूसरी ओर यूपी के मुख्यमंत्री योगी भी एक तस्वीर में लौक
बहुतो ने गवयी अपनी जान कोआपकी राह देखतेआजा अबतो बरसआपके न आने सेधरती ओर जिंदगीबंजर सी हो गई हैआजा अबतो बरसआपकी बेरुखी नेकितनो की उल्झन बढाईअपनो से बिछडकेकितनो ने मिटा दिया अपने आपकोआजा अबतो बरस जबतक देखेंगे नलहरते खेत को धरती परन सुकून मिलेगा उनको जन्नत मे भीआजा अबतो बरसबहुतो का उजडा है चमनअबके
भूखों को भूख सहने की आदत धीरे - धीरे *भूखे को भूख, खाए को खाजा...!!भूखे को भूख सहने की आदत धीरे - धीरे पड़ ही जाती है। वहीं पांत में बैठ जी भर कर जीमने के बाद स्वादिष्ट मिठाइयों का अपना ही मजा है। शायद सरकारें कुछ ऐसा ही सोचती है। इसीलिए तेल वाले सिरों पर और ज्यादा तेल चुपड़ते जाने का सिलसिला लगाता
शिवराज सरकार के पशु चिकिसत्क डा.अजय सचान ने किसानो को कुत्ता कहा , दैनिक जागरण के पत्रकार से बात करते हुए डा. अजय ने कहा की किसान गली-गली घुमते है रमाकांत मिश्राटीकमगढ़ : प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी किसानो को देश का अन्नदाता कहते है और शिवराज सिंह चौहान किसानो के हित में बड़ी बड़ी बाते करते है लेकिन शि
एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसेतो घडी कीमती नहीं थी पर किसान उससे भावनात्मक रूप सेजुड़ा हुआ था और किसी भी तरह उसे वापस पाना चाहता था.उसने खुद भी घडी खोजने का बहुत प्रयास किया, कभी कमरे मेंखोजता तो कभी बाड़े तो कभी अनाज के ढेर में ….पर तामामकोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली. उसने निश्चयकिया