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बैंक की छुट्टी कब होती है भारत विविधताओं से भरा देश है और उसी तरह यहाँ बैंकों की विविधता भी कम नहीं है. केन्द्रीय बैंक - रिज़र्व बैंक और भारतीय स्टेट बैंक के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, ग्रामीण बैंक, प्राइवेट बैंक, लोकल एरिया बैंक, स्माल फाइनेंस बैंक, पेमेंट बैंक और स

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गिनती 108 की 108 का आंकड़ा बड़ा रोचक और रहस्यमयी आंकड़ा है. इसे गणित में और बहुत सी धार्मिक मान्यताओं में काफी इस्तेमाल किया जाता है. जपने वाली माला ही लीजिये जिसमें 108 मनके होते हैं. इस तरह की माला हिन्दू, जैन, तिब्बती बौद्ध और जापान के ज़ेन बौद्ध के बहुत से अनुयायी इस्तेमा

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समय के बारे में सुनते रहते हैं कि समय बड़ा कीमती है. ये भी सुनते हैं कि समय पलट कर वापिस नहीं आता है. मतलब हम गुज़रे समय में वापिस नहीं जा सकते और आने वाले समय का भी पता नहीं भी केवल इन्तेज़ार ही कर सकते हैं. तो क्या केवल वर्तमान ही हमें समय उपलब्ध है ?प्राचीन समय से ही ऋषि,

विपत्ति में हीविजय कुमार तिवारीप्राचीन मुहावरा है,"विपत्ति में ही अच्छे-बुरे की पहचान होती है।"मानवता के सामने सबसे भयावह और संहारक परिस्थिति खड़ी हुई है।पूरी दुनिया बेबस और लाचार है।हमारे विकास के सारे तन्त्र धरे के धरे रह गये हैं।कुछ भी काम नहीं आ रहा है।स्थिति तो यह हो गयी है कि जो जितना विकसित ह

5 अप्रैल 2020,रात 9 बजे,9 मिनट का प्रकाश-पर्वविजय कुमार तिवारीविश्वास करें,यह कोई सामान्य घटना घटित होने नहीं जा रही है और ना ही आज का प्रकाश-पर्व एक सामान्य प्रकाश-पर्व है।ब्रह्माण्ड की ब्रह्म-शक्ति का आह्वान हम सम्पूर्ण देशवासी प्रकाश-पर्व मनाकर करने जा रहे हैं।हमारे भीतर स्थित वह दिव्य-चेतना जागृ

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आओ मिलकर दिया जलाएँकोरोना के संकट की इस घड़ी में प्रधानमंत्री जी ने कल समस्त जनता का आह्वाहनकिया कि सभी 5 अप्रेल को रात्रि 9 बजे 9 मिनट के लिए आइए अपने घरों की लाइट्स बन्द करके घरों के दरवाजों या बाल्कनीमें मोमबत्ती, दिया या टॉर्च जलाकर देश के हर नागरिक के जीवनमें आशा का प्रकाश प्रसारित करने का प्रया

मेरे आनन्द की बातेंविजय कुमार तिवारीकभी-कभी सोचता हूँं कि मैं क्योंं लिखता हूँ?क्योंं दुनिया को लिखकर बताना चाहता हूँ कि मुझे क्या अच्छा लगता है?मेरी समझ से जो भी गलत दिखता है या देश-समाज के लिए हानिप्रद लगता है,क्यों लोगों को उसके बारे में आगाह करना चाहता हूँ?क्यों दुनिया को सजग,सचेत करता फिरता हूँ

कभी खुला किसी के सामने,तो कभी बंद हो गयामेरा दिल एक अलमारी सा हो गयाहज़ारों तरह की किताबें छुपी हैं मेरे दिल मेकभी हंसी मज़ाक ,तो कभी तन्हाईकभी रहस्यमय परिस्थितियों मे कोई बात समझ ना आईकभी खुला किसी के सामने तो कभी बंद हो गयामेरा दिल एक

धिक्कार है ऐसे लोगोंं परविजय कुमार तिवारीमन दहल उठता है।लाॅकडाउन में भी लाखों की भीड़ सड़कों पर है।भारत का प्रधानमन्त्री हाथ जोड़कर विनती करता है,आगाह करता है कि खतरा पूरी मानवजाति पर है।विकसित और सम्पन्न देश त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।विकास और ऐश्वर्य के बावजूद वे अपनी जनता को बचा नहीं पा रहे हैं।आज

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*बस! सिर्फ पन्द्रह दिन और !!**डॉ दिनेश शर्मा*मुझे लगता है कि कोरोना के खिलाफ इस महायुद्ध में कुछ अपवादों कोछोड़कर जिस तरह देश की बड़ी जनता ने पिछले आठ दिनों में धैर्य, संकल्प और साहस का परिचय दिया है - वो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बननेवाला है । जिस कठोर व्यवस्था और लॉक डाउन को मात्र एक प्रोविन्स में

महर्षि अरविन्द का पूर्णयोगविजय कुमार तिवारीमहर्षि अरविन्द का दर्शन इस रुप में अन्य लोगोंं के चिन्तन से भिन्न है कि उन्होंने आरोहण(उर्ध्वगमन)द्वारा परमात्-प्राप्ति के उपरान्त उस विराट् सत्ता को मनुष्य में अवतरण अर्थात् उतार लाने की चर्चा की है।यह उनका एक नवीन चिन्तन है।गीता में दोनो बातें कही गयी हैं

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आज प्रथम नवरात्र के साथ ही विक्रम सम्वत 2077 और शालिवाहन शक सम्वत 1942का आरम्भ हो रहा है । सभी को नव वर्ष, गुडीपर्व और उगडी की हार्दिक शुभकामनाएँ...कोरोना जैसी महामारी से सारा ही विश्व जूझ रहा है - एक ऐसा शत्रु जिसे हमदेख नहीं सकते, छू नहीं सकते - पता नहीं कहाँ हवा में तैर रहा है और कभीभी किसी पर भी

जनता कर्फ्यू और हमारा देशविजय कुमार तिवारीप्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर आज २२ मार्च २०२० को पूरे देश ने अपनी एकता,अपना जोश और अपना मनोबल पूरी दुनिया को दिखा दिया।इस जज्बे को मैं हृदय से सादर नमन करता हूँ।राष्ट्रपति से लेकर आम नागरिकों तक ने ताली,थाली, घंटी,शंख और नगाड़े बजाकर अपना आभार

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कर्फ्यू में दिनचर्या इस रविवार जनता कर्फ्यू लगा दिया गया है. जाहिर है अब बाहर जाना तो मुश्किल है. मुश्किल क्या नामुमकिन ही है. तो अब फिर यार दोस्तों की सन्डे की गप्प गोष्ठी तो ठप्प हो गई. अब सीनियर सिटिज़न घर में रहकर घरवाली से कितना बतिया लेंगे वो तो आप जानते ही हैं. चलि

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🙏😊 एक विनम्र निवेदन 🙏😊आप सभी से निवेदन है कृपा करके कलघरों में ही रहें, और सम्भव हो तो घरोंमें आपकी सहायता के लिए आने वाली महिलाओं (यानी कामवाली बाई जिन्हें आमतौर पर बोलतेहैं), ड्राइवरों, प्रेस वालों, कार साफ़करने वालों आदि की भी हार्दिक धन्यवाद सहित कल छुट्टी कर दें - लेकिन उनका वेतन नकाटें । ऐस

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मानसिक रूप सेस्वस्थ समाज बनाएँ आज सुबह साढ़े पाँच बजे निर्भया के गुनाहगारदरिन्दों को फाँसी पर लटका दिया गया | निर्भया को न्याय दिलाने के लिए जिन लोगोंने भी एड़ी चोटी का जोर लगाया वे सभी बधाई के पात्र हैं | साथ ही समूचे देश की हीनहीं विश्व की भी निगाहें इस ओर लगी हुई थीं कि क़ानून का मखौल उड़ाकर बार बार

निर्भया के बहानेविजय कुमार तिवारीअन्ततः आज २० मार्च २०२० को निर्भया के दोषियों को फांसी हो ही गयी।१६ दिसम्बर २०१२ को निर्भया के साथ दरिन्दों ने जघन्य अपराध किया था।पूरा देश उबल पड़ा था और हमारी सम्पूर्ण व्यवस्था पर नाना तरह के प्रश्न खड़े किये जा रहे थे।हमारा प्रशासन,हमारी न्याय व्यवस्था,हमारा राजनै

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आत्मसंयमबन्धुरात्मात्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जितः |अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत्‌ ||जितात्मनः प्रशान्तस्य परमात्मा समाहितः |शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः || श्रीमद्भगवद्गीता 6/6,7जिसने मन को वश में करलिया उसके लिए उसका अपना मन ही परम मित्र बन जाता है, लेकिनजिसका मन ही वश में नहीं

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आज की नफ़रत की राजनीति पर डॉ दिनेश शर्मा की एक सकारात्मक सोच... सच में, कहीं न कहीं तो इस नकारात्मक नफरती माहौल को बदलना होगा...वरना इसका जो अंजाम होगा उसे सोचकर वाक़ई रूह काँप उठती है...कुछ और आग लगाओ - दिनेश डॉक्टरबदकिस्मती से कुछदिनों से फिर वैसे ही हिन्दू मुस्लिम वाले खतरनाक मैसेज आने शुरू हो गए थ

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