धिक्कार है ऐसे लोगोंं पर
विजय कुमार तिवारी
मन दहल उठता है।लाॅकडाउन में भी लाखों की भीड़ सड़कों पर है।भारत का प्रधानमन्त्री हाथ जोड़कर विनती करता है,आगाह करता है कि खतरा पूरी मानवजाति पर है।विकसित और सम्पन्न देश त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।विकास और ऐश्वर्य के बावजूद वे अपनी जनता को बचा नहीं पा रहे हैं।आज का आंकड़ा है कि पूरी दुनिया में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या आठ लाख से उपर है और सैंतिस हजार से अधिक लोग काल के मुँह मेंं समा चुके हैं।यह कहाँं तक जायेगा,पता नहीं।इसने धर्म,जाति,ऊँच-नीच,धनी-गरीब,वाद-विचारधारा किसी को नही छोड़ा है।कोई भी सीमा इसके लिए अलंघ्य नहीं है।
इसकी कोई दवा नहीं है।बचाव के कुछ उपाय हैं-घर में रहना,लोगोंं से दूरी बनाकर रहना,साफ-सफाई पर ध्यान देना,मुँह ढक कर बाहर निकलना(यदि निकलना अपरिहार्य हो)आदि-आदि।हर माध्यम से सरकार और समझदार लोग,चेतावनी दे रहे हैं।समय-समय पर नीतिगत फैसले लिये जा रहे हैं।सरकारें,प्रशासनिक महकमा,मेडिकल व्यवस्था,पुलिस, स्वयं-सेवी संस्थायें और जिम्मेदार,समझदार लोग सुरक्षा व्यवस्था में रात-दिन लगे हैं।इन सबने अपनी जान जोखिम मेंं डाला है।कुछ लोग इसकी चपेट में आये भी हैं।प्रधानमन्त्री जी ने जो तत्परता दिखाई है,जिस तरह सीमित संसाधन होते हुए भी साहसपूर्वक बड़ी धनराशि मुहैया करवायी है,लोगों में विश्वास जगाने का प्रयास किया है और हर आवश्यक कदम उठाया है,हृदय से मैं उनका अभिनन्दन करता हूँ।उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी जी को भी मैं नमन करता हूँ।उनकी निर्णय लेने की क्षमता की आज पूरी दुनिया कायल है।देश के सभी मुख्यमन्त्रियों को उनसे सीखना चाहिए।
इस विश्वव्यापी त्रासद स्थिति में भी कुछ पार्टियाँ और मुख्यमन्त्री अपने तिकड़मों से बाज नहीं आ रहे हैं।ये इतने जाहिल और गंवार हैं कि सारी सुविधा व्यवस्था होने के बाद भी हालात की समय से जानकारी प्राप्त नहीं कर पाते।विरोध में इतने पागल हैं कि अपना कर्तव्याकर्तव्य छोड़ बैठे हैं।यह समय काम करनेे का है।
चुनाव के समय राजनीति करो,बयानबाजी करो,जहर उगलो,प्रदूषण फैलाओ या आग लगाओ,जो मन में आये करो परन्तु चुनाव के बाद सरकार बन गयी तो प्रदेश की खुशहाली,तरक्की और राज्य में शान्ति की व्यवस्था करनी चाहिए।भीतर भीतर गन्दगी फैलाते हो,बेइमानी करते हो,जघन्य अपराधियों को प्रश्रय देते हो,जनता को परेशान करते हो,नेताओं की हत्या करवाते हो और सत्ता के मद में चूर रहते हो।लोकप्रिय होने के लिए हथकण्डे अपनाते हो,खास वर्ग को सुविधायें देते हो।तुमने जाति,धर्म,क्षेत्र के आधार पर जीत के लिए गणना कर ली है।तुम्हारी सोच उतनी ही आबादी तक जाती है,शेष की अवहेलना करते हो,रौंदते हो और दबा देना चाहते हो।जो करना चाहिए,वह नहीं करते और जो नहीं करना चाहिए उसमें पूरी उर्जा लगाते हो।ईश्वर ने उस मुकाम पर पहुँचाया है,जहाँ विरले पहुँच पाते हैं,फिर भी चूक जाते हो और अपयश के भागी बनते हो।
तुमने व्यवस्था को कमजोर और लचर बना दिया है,सही जानकारी समय से मिल नही पाती या उन्हें विशेष मुहिम में लगा रखा है।कुछ तो ऐसे हैंं कि फेडरल व्यवस्था को तहस-नहस करने पर उतारू हैं।संविधान का सुविधानुसार उपयोग करते हैं।मनोनुकूल निर्णय नहीं हो तो कुछ भी बोलने से नही हिचकते।पार्टियाँ एक विशेष समुदाय में ही अपना वोटबैंक क्यों देखती है?उनका सत्तर सालों में बहुत विकास होना चाहिए था,राजनीतिक चेतना,शिक्षा, संस्कृति का अभूतपूर्व स्वरुप उभरना चाहिए था,ऐसा तो नहीं है और जो है वह अब पूरी दुनिया समझ रही है।उनके और उनके संरक्षकों के चेहरों से आवरण हट रहा है,सच्चाई सामने आ रही है।
जातियों,धर्मों,विचारों में बंटी जनता से कहना है,"तुम क्यों सुनते हो जिन्होंने तुम्हें बढ़ने नहीं दिया,बरगलाया,भरमाया और टुकड़े फेंकते रहे।तुम्हें पढ़ने नहीं दिया,हिस्सेदारी नहीं दी।अपना इतिहाह देखो।तुम्हें,तुम्हारे ही खिलाफ खड़ा किया गया,तुम समझते रहे कि दुश्मन बगल वाला है।
अब तो जान पर आ पड़ी है।इतने जाहिल हो कि देश की व्यवस्था को चुनौती देते निकल पड़े हो,पैदल भूखे-प्यासे निकले हो,लाखों की भीड़ में निकले हो और जिन्होंने तुम्हें प्रेरित किया,उकसाया,मात्र निकलने ही नहीं दिया वल्कि साधन भी सुलभ करवाया ताकि उनकी सीमा से बाहर निकल जाओ।यह भयंकर बहुआयामी षडयन्त्र है।यह खेल सब समझ रहे हैं,परन्तु वे नहींं समझ रहे जिन्हें समझना और सावधान होना चाहिए।इतना ही नहीं,विशेष वर्ग के लोग अपने धार्मिक स्थलों में एकत्र हो रहे हैं,देश ही नहीं,अनेक देशों के प्रतिनिधि भी हैं।रिपोर्ट आ गयी है,बहुत लोग संक्रमित है,कुछ की मृत्यु भी हुई है।कार्र्वाई होने की सूचना है।
दिल्ली प्रयोगशाला बन गयी है और आज न कल इसके भयानक परिणाम होंगे ही।धिक्कार है ऐसे लोगों पर,ऐसे नेताओं पर,ऐसी पार्टियों पर जो जानबुझकर महामारी फैलाने में लगे हैं।इनकी मानसिकता आतंकवादियों की आत्मघाती सोच से मिलती-जुलती है।ऐसा भी हो सकता है कि बाहरी-भीतरी देश-विरोधी शक्तियाँ इनको प्रायोजित कर रही हों।गहरी छानबीन की जरुरत है और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
सत्तर सालोंं में इन गरीब लोगों के लिए कोई पालिसी धरातल पर नहीं उतरी।केवल नारा दिया गया।जनसंख्या नियन्त्रण पर कुछ नहीं हुआ।मुफ्तखोरी की आदत डाली गयी।पुरुषार्थ छिनकर इनके मस्तिष्क में जहर भर दिया गया।हमारा विपक्ष दिशाहीन हो चुका है।देश के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है और विरोधी ताकतों से हाथ मिला लेता है।आकंठ बेईमानी और भ्रष्टाचार में डूबा है।भाई-भतीजावाद को प्रश्रय देकर अयोग्य लोगों को देश का नेतृत्व देता रहा है और आगे भी देना चाहता है।ऐसे लोगों को पहचान लो।कब तक इनके झांसे में आते रहोगे? मीडिया का बड़ा वर्ग विरोधी ताकतों से मिला हुआ है और देश विरोध का काम कर रहा है।
सुखद है कि आज एक सजग नेतृत्व है जिसने पहली बार लोगों में उम्मीद जगायी है,दुनिया के मंचों पर भारत को सम्मान मिला है और देश सुरक्षित है।आज नहीं समझे तो स्वयं मरोगे और सबको मारोगे।