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गंगा दशहराआज गंगा दशहरा और कल निर्जला एकादशी | गंगा दशहरावास्तव में दश दिवसीय पर्व है जो ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होकर ज्येष्ठशुक्ल दशमी को सम्पन्न होता है | इस वर्ष तेईस मई को गंगादशहरा का पर्व आरम्भ हुआ था, आज पहली जून को इसका समापन हो रहा है | मान्यता है किमहाराज भगीरथ के अखण्ड तप से प्रसन

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आज पुनः ध्यान के अभ्यास परवापस लौटते हैं | ध्यान केलिए अनुकूल आसनों पर हम बात कर रहे थे | आज बात करते हैंध्यान के अभ्यास के लिए उचित समय की | ये बात सत्य है कि ध्यान के साधक कोब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर छोड़ देना चाहिए और दैनिक कृत्यों के बाद योग और ध्यानके अभ्यास आरम्भ कर देने चाहियें | 24 घंटे में 1

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कितने सालों से देख रहे थे , अलसुबह भारी - भरकम बस्ते लादे- टाई- बेल्ट से लैस , चमड़े के भारी जूतों के साथ आकर्षक नीट -क्लीन ड्रेस में सजा -- विद्यालयों की तरफ भागता रुआंसा बचपन --- तो नम्बरों की दौड़ और प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिले की धुन में- आधे सोये- आधे जागते किशोर

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लॉक डाउन के दौरान टाइम मैनेजमेंटहम आज बात कर रहे हैं टाइम मैनेजमेंट की | आज प्रायः लोगों को कहतेसुना जाता है कि हम अमुक कार्य करना चाहते हैं, लेकिन क्याकरें – हमारे पास समय ही नहीं है | कार्य की सफलता और लक्ष्य प्राप्ति की यदि बातकरते हैं तो हमें आज की समस्याओं को भी समझना होगा | आज केसमय में जो लोग

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प्रगति का सोपान सकारात्मकताव्यक्ति के लिए हर दिन - हर पल एक चुनौती का समय होता है | और आजकल केसमय में जब सब कुछ बड़ी तेज़ी से बदल रहा है - यहाँ तक कि प्रकृति के परिवर्तन भीबहुत तेज़ी से ही रहे हैं - इस सारे बदलाव और जीवन की भागम भाग के चलते मनुष्य केमन में बहुत सी शंकाएँ अपने वर्तमान और भविष्य को लेकर

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पति पत्नी दोनों जॉब करते हों तो अर्थ शास्त्र आसान हो जाता है. दोनों के खातों में पैसा दो पैसे जमा होते रहते हैं और जमा होते होते रुपए भी बन जाते हैं. पर इन सिक्कों की पिक्चर का दूसरा पक्ष भी है जिसमें बच्चे और मम्मी पापा भागते दौड़ते ही नज़र आते हैं. ऐसे में डबल इनकम ग्रुप

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जीवन में हर कार्य महत्त्वपूर्ण होता है | कोई भी कार्य छोटा या बड़ानहीं होता | किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए योग्यता केसाथ साथ आत्म विश्वास भी अत्यन्त आवश्यक है | और आत्मविश्वासकहीं बाहर से नहीं प्राप्त किया जा सकता | इसे स्वयं ही केप्रयास से अपने भीतर विकसित करना पड़ता है |सफलता प्राप्ति के लिए क

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सामयिक साहित्य____🖊महामारी / पैंडेमिक से बचने के लिये हमारे शास्त्रों में कतिपय (करणीय) निर्देशन उपलब्ध हैं:---मेरे सद् गुरु नियम दिए "सोड्ष विधि", जिसके अंतरगत् 'व्यापक सौच'★ और 'सौच मंजुषा'★★सर्वोपरी हैं।【1】 लवणं व्यञ्जनं चैव घृतं तैलं तथैव च।लेह्यं पेयं च विविधं हस्तदत्तं न भक्षयेत्।।धर्मसिन्ध

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कोरोना के कीटाणु तूने कहाँ लाके मारा रे!उधर लॉकडाउन की घोषणा हुई इधर हमारी सोसाइटी का मेन गेट भी बंद हो गया. आप बाहर नहीं जाओगे और फलां-फलां अंदर नहीं आएगा. फलां-फलां की लिस्ट में से काम वाली को तो बिलकुल नहीं आने दी जाएगी. इस पर पैंसठ जन्मदिन पार कर चुकी श्रीमती को क्रोध

श्यामा नाम था उसका, ठीक उसके श्वेत रंग केविपरीत, हर दिन हमारे घर के सामने आ खड़ी होती। ऐसा उसने करीब 10 दिन तक किया,हमने कहा ये तो अब पराए घर जा चुकी है फिर यहां क्यों आती है तो घर वालों ने कहाकि ये गाय है इंसान नहीं जो किसी को इतनी जल्दी भूल जाए, भूलना तो इंसानी फ़ितरतहै

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★★★★★देवाधिदेव ★★★★★"परम पुरुष" के बाहर कुछ भी नहीं।वे हीं देव हैं जो ब्रह्माण्डीय कार्यकीके कारण हैं। ब्रह्म रंध्र वा विश्व नाभिसे उत्सर्जित अभिव्यक्त महापँचभूत तरंगें हीं देवता हैं जो देव स्वरूपपरम पुरुष की सृष्टि नियंत्रित करते हैं।यहीं महाशक्ति ब्रह्माण्ड के अनवरतताण्डव का कारण है जिसक

डा0 नन्द किशोर नवल जी की यादेंविजय कुमार तिवारीपरमादरणीय मित्र,प्रख्यात आलोचक और साहित्यकार डा.नन्द किशोर नवल जी नहीं रहे।मेरा तबादला धनबाद से पटना हुआ था।9अप्रैल 1984 की शाम में बी,एम.दास रोड स्थित मैत्री-शान्ति भवन में प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से"राहुल सांकृत्यायन-जयन्ती"का आयोजन था।भाई अरुण कमल,ड

आज कोरोना आपदा वैश्विक आधार ले चुकी है। दुनिया भर में मौतों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। शक्तिशाली देश इस वायरस के आगे लाचार दिखते हैं। आगे क्या होगा, यह कहना बहुत कठिन है कोरोना ने मानव के विकास की पांच मौलिक आवश्यकताओं - स्वास्थ्य, शिक्षा, सुपोषण, सम्पोषण एवं संप्रेषण को एकदम ठप कर दिया है

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“खाओ मेरी कसम ना शराब को हाथ लगाओगे ना किसी लड़की के चक्कर में पड़ोगे जब तक तुम्हारी पढ़ाई पूरी ना होगी और मुझसे कुछ भी ना छिपाओगे” अपूर्व को बार बार अपनी मां की सौगंध याद आ रही थी, जब वो नाशिक से पुणे पहुंचा था इकोनॉमिक्स की पढ़ाई करने, ग

वासना,गद्दारों और नशेड़ियों से भरा देशविजय कुमार तिवारीवासना,गद्दारी या नशे में डूबे रहना यह सब मनुष्य के अधःपतन का द्योतक है और आज की स्थिति देखकर लगता है कि हमारे देश में बहुतायत ऐसे ही लोग हैं।मैं मानता हूँ कि हमे निराश नहीं होना चाहिए परन्तु ये परिदृश्य कोई दूसरी कहानी तो नहीं कह रहे।कल देश में

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पूर्ण मनोयोग सेकिया गया कर्म सफलता की कुँजीजो व्यक्ति अपने कार्य को पूरी निष्ठा औरगम्भीरता के साथ पूर्ण करता है वह कभी भी असफल नहीं होता, ऐसे लोग सम्मान के पात्र होते हैं | कार्य के प्रतिनिष्ठा और गम्भीरता के साथ यदि विनम्रता और सरलता जैसे गुण भी मिल जाएँ तब तो जैसेसोने पे सुहागा |विनम्रता एक ऐसा गु

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माधव और अजीत नाम केदो भाई अर्जुननगर नाम के गांव में रहते थे। दोनों भाईयों में काफी प्यार था वोदोनों गेंहू का व्यापार किया करते थे, उनके खेतों में उगाया गया गेंहू दूर दूर तकमशहूर था लेकिन अभी भी वो दोनों मध्यवर्गीय स्थिती में ही थे और सोचा करते थे किखेतों में दिन रात पसीना

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शीला देखने में काफी सुंदर है, बड़ी बड़ी आंखे,घुंघराले बाल और दूध सी दमकती त्वचा और साथ गुणवंती भी थी, उसके ससुर को वो देखतेही भा गई तो उसने अपनी बेटे मनोज का रिश्ता उसके साथ तय कर दिया, मनोज टॉप केकॉलेज से पढ़ा लिखा था और सिर्फ अंग्रेजी में ही बात करना पसंद करता था, तो वहीशीला संस्कृत में एम ए पास थ

महाशक्तियों में टकराव :शीतयुद्ध की शुरुआतआज पुरा विश्व कोरोना वायरस जेसी महामारी से जुँझ रहा हे इसी बीच दो महाशक्तियों के बीच टकराव अमेरिका ओर चाइना के बिछदिनो दिन बढ़ते जा रहे हे । जेसा की सर्वविविध हे नोवल कोविड-19 चीन के वुहान शहर से अपने प्रकोप की शुरुआत की थी ओर आज ये पूरे विश्व में अपने पेरपसा

हमारी शादी की सैंतीसवीं वर्षगांठविजय कुमार तिवारीआज 27 अप्रैल को हम अपनी शादी की सैंतीसवीं वर्षगांठ मना रहे हैं और सम्पूर्ण मानवता को बताना चाहते हैं कि परमात्मा के आशीर्वाद से,विगत सैंतीस वर्षों से चला आ रहा हमारा अटूट सम्बन्ध पूर्णतः उर्जावान और मधुर प्रेम से भरा हुआ है।आप सभी सुहृदजनों,सखा-सम्बन

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