आज प्रथम नवरात्र के साथ ही विक्रम सम्वत 2077 और शालिवाहन शक सम्वत 1942
का आरम्भ हो रहा है । सभी को नव वर्ष, गुडी
पर्व और उगडी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
कोरोना जैसी महामारी से सारा ही विश्व जूझ रहा है - एक ऐसा शत्रु जिसे हम
देख नहीं सकते, छू नहीं सकते - पता नहीं कहाँ हवा में तैर रहा है और कभी
भी किसी पर भी आक्रमण कर सकता है । और एक बात, जो बेचारा
ग़रीब फुटपाथ पर सो रहा है उसके लिए ये वायरस शायद इतना ख़तरनाक नहीं है जितना मध्यम
और उच्च वर्ग के लोगों के लिए हो सकता है । कारण ?
पहली बात तो उस ग़रीब का इम्यून सिस्टम बड़ा स्ट्रॉन्ग होता है क्योंकि न तो
वो हमारी आपकी तरह से आर ओ का पानी पीता है न बार बार हाथों पर सेनिटाइजर लगाता है
। हर दिन पसीना बहाता है तब कहीं जाकर दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ कर पाता है और इस
पसीने के साथ शरीर के बहुत सा विष बाहर निकाल फेंकता है | हम जैसे लोगों ने आर ओ
का पानी पी पीकर अपना इम्यून सिस्टम बहुत कमज़ोर कर लिया है । प्रकृति से दूर हो गए
हैं । सुख सुविधाओं के इतने अधिक अभ्यस्त हो चुके हैं कि पसीना बहाना हमें आता
नहीं – योग या कसरत भी करते हैं तो वो भी एयरकंडीशंड जिम या घरों के एयरकंडीशंड
कमरों में – पसीना कहाँ से बहेगा | दूसरे, उस ग़रीब का कोई परिचित या
सगा सम्बन्धी विदेश से वापस नहीं आया है । न ही उसे हम पास बैठाते हैं, न ही उससे हाथ मिलाते हैं कि उसे वायरस लग जाएगा । और हमारे जैसे समझदार लोग
जनता कर्फ्यू के दौरान शाम को पाँच बजे घरों से बाहर निकल कर जुलूस निकालते हैं,
भँगड़ा करते हैं - जैसे कोई उत्सव मना रहे हों । क्योंकि हम लोग
स्वयं को अनुशासन में रखना जानते ही नहीं । इसी कारण से देश भर में लॉकडाउन करना
पड़ा सरकार को । माना इसके परिणाम आर्थिक रूप से अच्छे नहीं होंगे, लेकिन अगर जीवन बच गया और स्वास्थ्य सही रहा तो अर्थ व्यवस्था फिर से सुधरनी
आरम्भ हो जाएगी ।
हमारे कुछ प्रिय मित्रों ने कहा “आप जैसे ज्योतिषी कुछ कर सकते हैं...” बड़ी
हँसी आई मैसेज पढ़कर | भैया, ज्योतिषी कोई भगवान नहीं होता | उसने जो कुछ
अध्ययन किया है उन्हीं सूत्रों और अपने अनुभवों के आधार पर फल कथन करता है कि
ग्रहों के गोचर इस प्रकार के हैं, दशाएँ इस प्रकार की हैं तो
इन सबके ये मिले जुले परिणाम हो सकते हैं | इसीलिये बार बार दोहराते हैं कि किसी अन्धविश्वास
का शिकार होने से कोई लाभ नहीं | समस्या सबको दीख पड़ रही है,
और इस समस्या का समाधान भी हमारे विचार से इस लॉकडाउन में ही है | तो, इस लॉकडाउन से घबराएँ नहीं । हमें ये 21 दिन का समय
मिला है कि बैठकर आत्ममन्थन करें, कुछ सकारात्मक और रचनात्मक
कार्य करें । कुछ स्वाध्याय में मन लगाएँ और मन को शान्त रखने के लिए तथा Positivity
बनाए रखने के लिए ध्यान का अभ्यास करें | साथ ही जैसा हमारे प्रिय
प्रधानमन्त्री ने कहा, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग रात दिन
एक किये दे रहे हैं इस बीमारी की रोक थाम के लिए | पुलिस के लोग न जाने कितने
लोगों के संपर्क में आते होंगे, लेकिन बिना किसी भय के अपनी
ड्यूटी का पालन मुस्तैदी से कर रहे हैं | मीडिया कर्मी हमें जागरूक बनाए रखने के
लिए पल पल की रिपोर्ट हम तक पहुँचा रहे हैं | हमारे घरों में राशन, दूध और दवाएँ आदि ज़रूरत के सामान पहुँचाने वाले लोग जो बिना डरे अपना
कार्य कर रहे हैं | इन सभी को हृदय से धन्यवाद देते रहें | और जब कभी मन में किसी
प्रकार की निराशा का भाव उत्पन्न हो तो उन लोगों के विषय में सोचें जो रोज़ कुआँ
खोद कर पानी पीते हैं - यानी रोज़ मज़दूरी करते हैं तब उनके घरों में चूल्हे जलते
हैं । हम लोगों के घरों में और कुछ भी नहीं तो इतना तो निकल ही आएगा कि नमक से
रोटी खा लें, लेकिन उन बेचारों के पास तो ये सुविधा भी नहीं
है ।
नवरात्र आरम्भ हो गए हैं, आवश्यक नहीं कि पूरे सामान के साथ कलश स्थापना
न कर पाने से दुःखी हुआ जाए, घर में बैठकर माँ भगवती का
ध्यान करें, जाप करें, पाठ करें और
प्रार्थना करें कि संसार को इस समस्या से मुक्ति प्राप्त हो ।
माँ भगवती अपने नौ रूपों के साथ सभी का कल्याण करें...