"जब आप टूट रहे होते हैं , तब आप जीवन के तहे खोल रहे होतें हैं और जब हम इन वेदनाओं से उबरने की कोश
उमड़ घुमड़कर जैसे कभी कभी नभ पे छा जाते हैं मेघ वैसे भावनाओं के ज्वार भी<
देसी चारपाई के दिन लदे
अब कोई नहीं पूछनवार
कभी तो यह बिछी रहती
थी
जब हो घनी अंधियारी रात
तो समझना रोशन सवेरा
आने वाला है पास
गीत : पापा , तुमनेमुझे कहाँ जा फंसाया पैसा, श
तेरे माथे की सुंदर सी बिंदिया।
तुझे बहुत गौरवशाली बना देतीहै।
💐दशहरा मनाये💐 आओ हम सब दशहरा मनाये रावण से दुर्गुणों को दूर भगाये
ये मन के परिंदे सबकी चाहत अलग
अलग सबके अरमान
कुछ की ख्वाहिश छ