
!! भगवत्कृपा ही केवलम् !! *इस संसार में जो भी घटनायें धटित होती हैं उनका निर्धारण पहले ही उस परमात्मा द्वारा कर दिया जाता है | कुछ घटनाओं का तो पूर्वानुमान लग जाता है परंतु कुछ घटनायें हम मनुष्यों को आकस्मिक लगती हैं , जबकि यह आकस्मिक नहीं बल्कि उस परम सत्ता द्वारा पूर्व निर्धारित होती हैं | इस धराधाम पर जिसका भी जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है | परंतु जन्म एवं मृत्यु में अंतर यह है कि जीव के जन्म का तो पूर्वानुमान हो जाता है परंतु मृत्यु का पूर्वानुमान सबको नहीं हो पाता है | जन्म लेने का मार्ग भी निश्चित है परंतु मृत्यु के अनेक मार्ग है | जैसे :- हत्या , आत्महत्या , दुर्घटना , रोग से एवं स्वाभाविक मृत्यु आदि | प्रत्येक जीव को गिनती की साँसें मिली हैं साँसों का भण्डारण समाप्त होते ही जीव इस लोक का त्याग कर देता है | रहना यहाँ किसी को नहीं है यह सभी जानते भी हैं परंतु फिर भी नैतिक / अनैतिक मार्गों का अनुसरण करके स्वयं को सुविधा सम्पन्न बनाने में लगे रहते हैं | इस संसार में यदि कुछ निश्चित है तो वह है मृत्यु | मरने के बाद जीव जन्म लेगा या नहीं यह तो निश्चित नहीं है परंतु जन्म लेने के बाद जीव की मृत्यु होगी यह निश्चित है | इसे नकारा नहीं जा सकता है | किसी आकस्मिक घटना पर लोग प्राय: कह उठते हैं कि यह बहुत बुरा हुआ | हमें देखने में तो यह आकस्मिक लगता है परंतु किसी की मृत्यु कब , कैसे एवं कहाँ होगी यह जीव के कर्मानुसार पूर्वनिर्धारित होता है | संसार में जिस व्यक्ति का जन्म हुआ, उसकी मृत्यु निश्चित है | जिस प्रकार हम लोग पुराने एवं जीर्ण वस्त्रों को त्याग कर नये वस्त्र धारण करते है, उसी प्रकार आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण करती है | यही इस मृत्युलोक का सत्य है |* *आज मनुष्य ने बहुत प्रगति कर ली है , समुद्र की गहराईयों एवं चन्द्रमा की सतह तक पहुँचकर धरती एवं जीवन के अनेक रहस्यों से पर्दा उठा देने वाला मनुष्य आज तक मृत्यु के रहस्य को नहीं समझ पाया | आधुनिक चिकित्सक एक असाध्य बीमारी से ग्रसित रोगी की मृत्यु का पूर्वानुमान तो लगा सकते हैं परंतु किसी हंसते - खेलते ,
यात्रा करते मनुष्य की मृत्यु कब हो जायेगी यह आज तक कोई नहीं जान पाया है | कभी - कभी यह चर्चा लुनने को मिलती है कि :- जिस प्रकार जन्म के कुछ महीनों पहले मनुष्य को नये जीव के आने का आभास हो जाता है उसी प्रकार ईश्वर ने मृत्यु का कोई संकेत क्यों नहीं बनाया ?? ऐसे सभी लोगों को मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" यही बताना चाहता हूँ कि ईश्वर का प्रत्येक विधान मंगलमय है हाँ ,यह सही है कि हमारी मृत्यु और उसका क्षण एकदम अटल है पर मनुष्य इसे नही जानता | एक बार विचार करके देखिए कि यदि मनुष्य को पता चल जाये कि वह केवल कुछ दिनों की मेहमान है | मान लीजिए कि किसी को कैंसर हो गया हो और अंतिम चरण हो चिकित्सक ने जवाब दे दिया हो | तो उस स्थिति के बारे में गौर कीजिए क्या मनुष्य तब अपने जिंदगी के बचे सुखों ,खुशियों का आनन्द ले पायेगा? शायद नही | क्योंकि हर पल उसे आभास होता रहेगा कि मैं इन सबसे वंचित होने वाला हूँ | उसकी जीने की इच्छा प्रबल होती जाएगी | जिंदगी की छोटी छोटी खुशियां का उसके लिए कोई मायने न होगा | हर समय उसकी आँखें नम होंगी | पर अगर यदि उसे यह न बताया जाय कि उसके कुछ दिन ही शेष बचे हैं तो निःसंदेह वह अपने शेष बचे दिनों को हंसी खुशी बिताता रहेगा | यदि व्यक्ति को यह पता चल जाय कि वह मरने वाला है तो यह भी हो सकता है कि वह परिश्रम करना,सफलता के प्रति व्याकुलता ,परिवार से लगाव और भी कई प्रयोजनों से दूर हो जाये |तो मेरे विचार से व्यक्ति का मृत्यु का समय न जानना ही उचित है |* *जीवन पाने के बाद मनुष्य पल - पल अपनी मृत्यु की ओर बढ़ता रहता है परंतु उसे इसका आभास नहीं होता और वह प्रसन्न रहता है | यही ईश्वर का मंगलमय विधान है |*