मात्रा भार-17, काफ़िया- आर, रदीफ़ - दे मुझकोग़ज़ल, बह्र-22 22 22 22, काफ़िया-आर, रदीफ़ - दे मुझको....... ॐ जय माँ शारदा.......!"गज़ल"थोड़ा थोड़ा प्यार दे मुझकोकर्ज सही पर यार दे मुझकोपल आता इंतजार बिना कब कल की रात सवार दे मुझको।।बैठी नाव निरखती तुझकोदरिया पार उतार दे मुझको।
Aaj aap bas ek baar haa kar hi do,Apne dil mai thodi si jagah de do.Jis pyar ko dil mai chhupa rakha hai,Us pyar ko aaj aap abEk baya kar hi do.Kitna intezar kiya hai is pal ke liye humne,Aaj dil ke sare raaz aap ab khol hi do.Laila-majnu ki kahani jaise mashhoor hai
कब ,कहां ,क्यों और कैसे होता है प्यार ? इन सभी शब्दो से अलग ,अजब है प्यार. एक दरिया है भावनाओ का, दुआओ का,ढूंढती आँखों सी नाव, पानी की है पतवार.सागर से गहरा, नामुकिन जिस पर पहरा ,आजाद बेख़ौफ़ जांबाज हवा पर है सवार .ये कोई खेल नहीं, किसी का भी मेल नहीं, इसका अपना समय, लाडली भी है बहार .रुकता नहीं रोकन
मापनी- 2122 2122 , पदांत- पाना,समांत- जीत, ईत स्वर“गीतिका”प्यार खोना मीतपाना युद्ध को हर जीतपाना हो सका संभव नहींजग पार कर हद हीतपाना॥दिल कभी भी छल करेक्या प्रीत पावन चीतपाना॥ (चित्त)जिंदगी कड़वी दवा हैस्वाद मिर्चा तीतपाना॥ (तीखा) राग वीणा की मधुरहै तार जुड़ संगीतपाना॥दो किनारों की नदीबन क्यों भला ज
प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखेप्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सारा ये संसार हैप्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए है सभीप्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है प्य
मेरी ख़ामोशी की आवाज़,मुस्कराहट का अंदाज़, बंद पलकों का ख्वाब, और हर ख़ुशी का राज़, हो तुम एक सपने सा है साथ तुम्हारा, एक हकीकत है प्यार तुम्हारा, होठो पे हँसी, आँखों में नमी है तुमसे हर बात की दास्तान है तुमसे, और कहुँ कैसे कितना प्यार है तुमसे
छोड़ के राहें प्यारी चाहत की,जाने किस रास्ते पे चल निकले,तु गलत, मैं गलत, इन्ही सब में है खबर कितने अपने कल निकले ?लम्हें अनमोल कितने खो बैठें,किमती कितने अपने पल निकले ?इतनी सिद्धत से पाले हैं नफरत,कैसे उल्फ़त का कोई फल निकले,एक मौका दे एक -दूजे को,सब शिकायत की बर्फ गल निकले,ख्वाहिशे तो फन्ना हुई; रो
प्यार एक ऐसा शब्द है जो सुनते ही मन खिल उठता है.......प्यार से प्यारा इस दुनिया में कुछ भी नहीं है. .....प्यार दो दिलो की दास्ताँ है .....प्यार दो दिलो का संगम है .........प्यार के बिना ज़िन्दगी अधूरी है .........प्यार के बिना जीवन अधूरा है .........लेकिन प्यार में
Meri parchhai jaisa hai ye mera pyar,yu to humesha raheta karib mere fir bhi hai vo mujse bahot door,Yu to humesha hota saath mere fir bhi raheta hai vo kahi ghum,Yu to humesha roshni bikherta huaFir bhi andhero mai bhatkta hua,Yu to humesha muskurata hua,Fir bhi ander se
जैसेही माँ को पुकारा जाता है हमारी आखो में एक अलग ही चमक देखने को मिलती है । माँशब्द में असीम प्यार छुपा हुआ है । माँ को अनेक शब्द माँ, अम्मा,मम्मी, ममा, आई, माता, माई जैसे रूपों में पुकारा जाता है । माँ शब्दअपने आप में पूर्ण है
तलबगार है कई पर मतलब से मिलते हैं ये वो फूल हैं जो सिर्फ मतलबी मौसम में खिलते हैं रोक लगाती है दुनिया तमाम इन पर पर देखो मान ये इश्कबाज पक्के जो पाबंदियों में भी मिलते हैं मोहब्बत के रोगी को दुनिया बेहद बदनाम ये करती है जनाब क्यों फिर भी आधी दुनिया हाए इसी पे मरती है कहते हैं कई धोखेबाज भी लेन-देन द
साथ तुम दो जो अगर जिंदगी बदल जाये ,मुश्किलों के सभी हल आज ही निकल जाये, आये दिन लड़खड़ाते रहते हैं ये मेरे कदम,हाथ तुम थाम लो सारे कदम संभल जाये, इक तुम्हारी कमी से रब से गिले-शिक़वे हैं,तुम जो मिल जाओ शिकायत की शाम ढल जाये, यूँ मेरी राह को काँटों ने सजाया है मगर,साथ तुम जो चलो कलियाँ हजार खिल जाये, जि
बॉलीवुड के युवा अभिनेता ‘वरुण धवन’ का अब तक बॉलीवुड में सफलता का आंकड़ा 100 प्रतिशत रहा है । करियर की शुरुआत से ले कर अब तक ‘वरुण धवन’ की हर फिल्म हिट रही है, यही नहीं इनकी अब तक कोई भी फिल्म फ्लॉप नहीं रही । वरुण धवन की फैन फॉलोविंग भी हर दिन बढ़ती जा रही है, ऐसे में लोगों को इनकी पर्सनल लाइफ के बारे
गेरो की महफ़िल में वो गलत ही मिल गये शरीफो की बस्ती में वो जरा फिसल गये शानो शौकत ऊँची बाते तब जरा अजीब लगी जब वो इसी का हवाला देकर हमें अलविदा कह गए हुस्न तो इतना हममे भी नहीतोह फिर क्यों वो हमारे चेहरे पे मर गये और जब मुड़के न देखने की ठानली हमने तो फिर क्यों पलट क मुस्कु
नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता “You Start Dying Slowly” का हिन्दीअनुवाद... 1) * आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं,अगर आप :*- करते नहीं कोई यात्रा,- पढ़ते नहीं कोई किताब,- सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,- करते नहीं किसी की तारीफ़ । 2) * आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं,जब आप :*- मार डाल
अरसे बीत गए तुझे दिल की बात बताए अरसे बीत गए तेरे दिल की बात सुने चल चलें फिर आज वहीं हुई थी शुरू जहाँ से अपनी दास्ताँबैठे थे जिस जगह थामे हाथों में हाथदेख रहे थे सपने, आखों में एक दूजे कीउसी जगह जहाँ चुपचाप बैठे थे, सहमे से फिर किया था तुमने और मैंने साथ में ईज़हार अपने प्यार का और एक हो गए थे दो द
भले, सूरज पश्चिम से उग जाए मगर, कोई चाहें तुम्हें, मुझ से ज़्यादा यह हो नहीं सकताभले, चाँद उतर कर आ जाए धरती परमगर, कोई चाहें तुम्हें, मुझ से ज़्यादा यह हो नहीं सकता भले, रगों में बहता ख़ून पानी हो जाए मगर, कोई चाहें तुम्हें, मुझ से ज़्यादा यह हो नहीं सकताभले, सागर का नीर मीठा हो जाए मगर, कोई चाहें
कुछ अनकही बातों को कहने का मौक़ा ढूँढता हूँ दिल में छुपे राज़ का इजहार, करने का मौक़ा ढूँढता हूँ खुली आँखों से देखे ख़्वाबों को मुकम्मल करने का, मौक़ा ढूँढता हूँ इस मोहब्बत को तुझ पे लुटाने का मौक़ा ढूँढता हूँ ज़िंदगी के इस पड़ाव परतेरा साथ पाने का मौक़ा ढूँढता हूँतुझे फिर अपना बनाने कामौक़ा ढूँढता
खुद का सब्र आज़माया,उसके दर से पहले,रास्ते में थे कई मुकाम, उसके घर से पहले,ऊँचें बेशक़ कर लिए दर-ओ-दिवार अपने,यक़ीनन झुका था ईमान, खुद नज़र से पहले,बिना कहे-सुनेही जद्दो-जेहद बयाँ हो गयी,जी भर के रोया था जो, अपने फ़क़्र से पहले,शायद कुछ अधूरी सी ही रह गयी वो दुश्मनी,हमारी ज़िंदगी जो कट गयी, इक सर से पहले,
मुश्किल ना था यादों को तरो-ताज़ा करना,बैठे-बिठाये खुद का ही खामियाज़ा करना, पहली ही दस्तक पे जो खोल दिया था मैंने,फ़िज़ूल था उसका बंद वो दरवाज़ा करना, रुकता भी तो शायद ना रोकता कभी उसे,वक़्त से चंद लम्हों का क्