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प्यार

hindi articles, stories and books related to pyar


कच्चे खिलाड़ी थे हम मोहब्बत के खेल में अपनी हार पर भी ख़ुश हुए क्योंकि उसमें ख़ुशी थी तेरी नज़रें मिलाई ना चुराई तुमनेबस इनमे कुछ ख़्वाब सज़ा के चले गए कुछ कहा, बहुत कुछ बोला नहीं तुमने बस हमें हमारे ख़यालों के सहारे छोड़ चले गए दिल दिया, ना तोड़ा तुमने बस उम्र भर इन्तेज़ार देकर चले गए कच्चे खिलाड़ी

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Dil ko mere humesha se sirf tujse hi pyar hai,Par mere raj kumar ko ye baat Mai bataaun kaise.Jiski aane ki aahat hi dil ko betab kar jaati hai,Dil ki ye halat tujse ab chhupaun kaise.Jiski hansi se labo pe mere hansi chha jaati hai,Dil ka ye pagalpan tujko dikhaun kaise.Aaine mai jab dekhu to galo

आग सूरज में होती है , तड़पना जमी को पड़ता हैं | मौहब्बत निगाहें करती हैं ,तड़पना दिल को पड़ता हैं || सीने में लगी है , आग दुनियां में लगा दूँगा | जिस दिन उठेगी तेरी डोली, उस दिन पूरी दुनियाँ को जला दूँगा ||

तुम ही हो मंज़िल मेरी तुम ही हो सब्रों क़रार मेरा प्यार तुम्हारा है, अब जीने का सहारा दिलों जान मेरा, हो गया है तुम्हारा आए हो जब से ज़िंदगी में मेरी मिल गया मुस्कुराने का बहाना ख़ुशी की मेरी, तुम वज़ह बन गए हो रातों का चैन, दिन का सुकून बन गए हो कट जाएगी ज़िंदगी, प्यार में तुम्हारेतुम इस क़दर, मेरी

दिल की आवाज़ निगाहों के इशारों मन की बात कब समझोगी तुम इन जज़्बातों कोइस बेक़रारी को इन उमंगो को कब समझोगी तुम इस रिश्ते कोइन उम्मीदों को इस प्यार कोकब समझोगी तुम १३ मई २०१७फ़्रैंकफ़र्ट

मिस रनर'एक मिनट,जरा मोबाइल और हेडफ़ोन ले लूँ' एकाएक मुझे याद आया।यूँ तो मैं रोज़ ही सुबह 5 बजे उठ जाता हूँ और मेरे दरवाजा खोलने की आवाज से शायद मेरे पड़ोसी भी।'मेरे पड़ोसी'नहीं समझे आप?मेरे पड़ोसी यानी मकान में रहने वाले दूसरे किरायेदार।हलो दोस्तों,मेरा नाम देव है।आप ही जैसा हूँ सिवाये इस बात के कि

चाहे फेरे लेलो या कहो क़ुबूल है....... अगर दिल में प्यार नहीं तो सब फिजूल है......

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जख्म ऐसा दिया की कोई दवा काम ना आई,आग ऐसी लगाई की पानी से भी बुझ ना पाई|हम आज भी रोते हैं उनकी याद में,जिन्हें हमारी याद गुजर जाने पर भी ना आई ||****************************************कांच चुभे तो निशान रहे जाते है,और दिल टूटे तो अरमान रहे जाते हैं |लगा देता हैं वक्त मरहम इस दिल पर,फिर भी उम्र भर ए

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आओ बैर मिटाये ... थोडा गुलाल लगाये ! में रंग दू तुझे लाल तू रंग दे मुझे गुलाल लाल पीला हरा गुलाबी जो चाहो ... बस प्यार से लगाये ! आओ बैर मिटायेअपनो को भिगाये ! नाचे ढोल बजाये बस खुशियां लुटाये ! ! जयति' रंग दो गुलाल गले मिलो लाओ बहार !!! त्यौहार है रंगों का द

हज़ारों की भीड़ में एक दीवाना वो भी था.... उसके नफरत से वाकिफ एक अनजान वो भी था... सच्चाई से परे अपनी ही दुनिया में... अनकही लफ़्ज़ों का एक फ़साना वो भी था... तो सुनते है आपको उस अधूरे प्यार की बात... रोज़ तनहाइयों में कट रही थी उसकी अकेली रात... बताने से कतराता था...छुपाने स

हार का उपहार बरसों परवानों को, दीपक कीलौ में जलते देखा है,शमा के चारों ओर पड़ेवे ढेर पतंगे देखा है. कालेज में गोरी छोरी कोघेरे छोरों को देखा है,खुद नारी नर की ओर खिंचे,ऐसा कब किसने देखा है. उसने क्या देखा, क्या जाने,किसकी उम्मीद जताती है,कहीं, ढ़ोल के भीतर पोल न हो,यह सोच न क्यों घबराती है. वह करती

बहुत हुआ यह खेलम-खेलापूरी हो बिछड़न की वेला अब तो मेरी जान में करार रहने दे ; मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे || हो बहुत लिए हम दूर , अब सहा नही जाता मुझसे मुझ बिन जिन्दा नही रही वो , देखा कैसे जाता तुझसे सुन ले मेरी अर्जी एक बार रहने दे ; मेरे प्यार के उस रूप को साकार रहने दे ||गर मुस्काई ज

याद सिर्फ सफ़र की होती है, मंजिल की नहीं! जानती हो- सुनो न! सुनो न! कहना, सुना देने से ज़्यादा अच्छा लगता है.... बार बार मिलने का बहाना, मिल लेने से ज़्यादा मज़ा देता है. ठीक वैसे ही, जैसे- बारिश के इंतज़ार में, लिखी नज़्म और कविता येँ, खुद, बारिश से ज़्यादा भीगी लगतीं हैं. बिलकुल जैसे- अधखिली कलि और उलझ

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वास्तव में बड़ी तकलीफ होती है, ऐसी खबरें पढ़ने के बाद। आज सुबह अखबार का पन्ना पलटा। पहले पन्ने पर खबर छपी थी 11 साल की बच्ची से 55 साल के सख्श ने दरिंदगी की। यह जानकारी हमें इसलिए हो गई कि बच्ची के घरवाले जागरुक थे। पर, अक्सर ऐसा भी होता है कि बेटियों के साथ दरिंदगी होती है। वह चीख समाज में बदनामी क

सच बताऊं तो ये प्रेम कहानी हकीकत की है। हमारे फेसबुक एकाउंट से वह साथी जुड़े भी हैं। इलाहाबाद के ही हैं। आज बातचीत के दौरान जानकारी हुई। बड़ी तकली फहुई। कहानी कुछ इस तरह है...कीर्ति और अंकित दोनों बचपन में बहुत अच्छे दोस्त थे। हों भी क्यों न एक ही मोहल्ले के जो थे। दोनों का दिनभर का अधिकांश समय एक स

बिन तुम्हें बताए, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हारा नाम लिए, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हें देखे, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हारे क़रीब रहकर, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हारी आवाज़ सुने, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हारी नज़रों में डूबे, मोहब्बत करते हैं तुमसेबिन तुम्हारे दिल में समाए, मोह

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सुनो ज़रा !जैसे बारिश की बूँदें ढूंढें पता,गरम तपते मैदानों का.जैसे माँ के आने का देता था बता,सुन शोर पायल की आवाज़ों का.वैसे ही गर महसूस कर सको मुझे आज,बग़ल की खाली जगह पर,हर हसने वाली वजह पर,बिन बात हुई किसी जिरह पर.कह दो न,जैसे,तुम ‘झूठमूठ’ का कहते थे,और हम ‘सचमुच’ का मान लेते थे.जैसे,तुम कह देते थे

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कौन जाने  आग पानी कब तलक,     बेवफ़ा ढलती  जवानी  कब तलक।  आज  खोलें चाहतों की सीपियाँ,मोतियों की महरबानी कब तलक।  रौशनी के पर लगाकर तितलियां,  खोजती अपनी निशानी कब तलक हाथ में खंजर उठाकर चल दिये,इस तरह रश्में निभानी कब तलक।  टूट जाते हो खिलौनों की तरह,अस्थि पिंजर हैं छुपानी कब तलक। क़ैद से बागी  परिं

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सजाए मौत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे ना जाने क्यों बो अब हमसे कफ़न उधार दिलाने की बात करते हैं हुए दुनिया से बेगाने हम जिनके इक इशारे पर ना जाने क्यों बो अब हमसे ज़माने की बात करते हैं दर्दे दिल मिला उनसे बो हमको प्यारा ही लगता जख्मो पर बो हमसे अब मरहम लगाने की बात करते हैं हमेशा साथ चलने की

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