भले, सूरज पश्चिम से उग जाए
मगर, कोई चाहें तुम्हें, मुझ से ज़्यादा
यह हो नहीं सकता
भले, चाँद उतर कर आ जाए धरती पर
मगर, कोई चाहें तुम्हें, मुझ से ज़्यादा
यह हो नहीं सकता
भले, रगों में बहता ख़ून पानी हो जाए
मगर, कोई चाहें तुम्हें, मुझ से ज़्यादा
यह हो नहीं सकता
भले, सागर का नीर मीठा हो जाए
मगर, कोई चाहें तुम्हें, मुझ से ज़्यादा
यह हो नहीं सकता
३ जुलाई २०१७
जिनेवा