" कभी किसी को किसी से, यू मत छिन लेना , जिससे किसी की सारी ,खुशियाँ ही छीन जाए । "आज मै दुखी बहुत हुई ,जब तुम्हारे जाने की खबर सुनी तो ।बहुत तकलीफ हुई, अंतरआत्मा में ,अजीब सी हलचल हो रही है
डायरी दिनांक ०१/०८/२०२२ शाम के पांच बजकर पचपन मिनट हो रहे हैं । आजकल डायरी लेखन नियमित नहीं हो पा रहा है। वैशालिनी को पूर्ण करने की इच्छा में डायरी लेखन से कुछ दूरी हो गयी है।पुनर्मिलन को पूरा
नगर के बस स्टेशन पर एक अधेड़ उम्र महिला बदहबास घबराई हुई सामने आ गयी ,रुंधे गले से बोली दद्दा ,मै बस के इंतज़ार में खड़ी थी अचानक एक आदमी भागता हुआ आया और मेरा बैग छीन कर भाग गया .मेरे पैसे कपडे
माँ सूरज की पहली "किरण" हो तुम... कड़ी धूप में घनी "छाँव" हो तुम... ममता की जीवित "मूरत" हो तुम... आँखों से झलकाती "प्यार" हो तुम... जग में सबसे "प्यारी" हो तुम... प्यार का बह
बात है सन 2016 की मैं और अवि वह अपनी सहेलियों के साथ घर जा रही थी और मैं उनके पीछे पीछे थोड़ी दूर चलने के बाद बारिश शुरू हो गई और हम सब ने उस पाक के बने दरवाजे की छत का सहारा लिया और इसके नीचे खड़े हो
(1) मै हार मे भी जीत का आनंद ले रहा हूँ मै कॉटो मे भी फूलों की सुगंध ले रहा हूँ
बेटियां नसीब से तोबेटे दुआओं के बाद आते हैं, अजी हम लड़के है जनाबहम कुछ जिम्मेदारियो के साथ आते है।आधी उम्र जिम्मेदारियांसमझने में गुजर जाती हैतो आधी उसे निभाने में,पूरा बचपन किताबो मेंगुजर जाता है तो
तुम्हारी यादे मन को बडा लुभाती हैएक नयी जगह ले जाती हैतुम्हारा एहसास सबसे प्यारादिवाना मुझे बना देता हैक्या है प्यार की कोई जादूमैं ये बात ना जानूलेकीन तुम्हारा पास होनाबहोत अच्छा लगता हैतुम हो त
कहते हैं लोग ख्वाब मे मै गीत लिखा करता हूँ अपने दुश्मन को भी मै तो मीत लिखा करता हूँ बदलकर जब दिनो के फेर आते हैं मकड़ी के जाल मे भी शेर आते हैं तक़दीर तेरे दिये हर पल को मैं रीत लिखा करता हूँ दोस्तों
दुल्हनिया एक तरफ रख दो एक तरफ रख दो माल मुंह भर भर के क्यो दूल्हा मांगे कैसे हो वो कंगालएक हाथ में हाथ दुल्हन का दूजे हाथ दहेज 10 तोले सोना देकर अपने साथ हमारी भेजकदमों में जो रख
(1) कहां-कहां ना भटका मैं एक हसीन शाम की खा़तिर जैसे भटका था भरत कभी अपने राम की खातिर एक वो ना मिला मुझे अरे वाह री ऐ तक़दीर मेरी
ek baar ek khushal parivar rehta tha mummy papa or do bacche papa ka naam ramesh tha or mummy ka poonam .ek din ramesh aapne office gya tha tab uska dost rakesh bolarakesh: arey bhai tum itna late kyu
मांजब मैं छोटा था तब तू थी जिसने मुझेअपना सपना समझा था मां।वो तू थी जिसने मुझे पहली बार भूख लगने पे सीने से लगाया था मां ।जब मैं सोते - सोते डरा या सहमा तो तू थी जो मेरे पास थी मां ।जब मैंने अपना पहला
जीवन परिचय कलाकार छात्र छात्राओं द्वारा संचालित किया गया है मेरा नाम प्रियांशु प्रजापति (लकी) का जन्म सन, 2003 ई० में उत्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर एक गांव रसूलपुर कंधवार (सरया) नमक ग्राम में हुआ मेरे
सुबह सवेरे गौरैया की चहचाहट है!आंगन में पाले से उजलाहट है!!नए वर्ष की आहट है!!!दिन भर खिलती धूप गर्माहट है!सर्द रात कम्पकपाहट है !!नए वर्ष की आहट है!!!अंगीठी कांगड़ी से ही राहत है !दूर गगन में लालिमा स
धौलीधारों री धारा पालमपुर है जो बसदा छोटी छोटी कुहलां इथु टेढ़े मेढ़े नालू सारा साल बगदे मगरू ते झरुडूबरखा दी बूँदा द है डेरा मेरा बन्दला इथु आयी कोई भी रहन्दा न ही पखला इ
गोल है खुब मगर आप तिरछे नजर आते हैं जरा आप पहने हुए है कुल आकाश तारे जड़ा । सिर्फ़ मुँह खोले हुए है अपना गोरा - चिट्टा गोल मटोल अपनी पोशाक को फैलाए हुए चारो सिम्त आप कुछ तिरछे नजर आते है ज
मुँह पर बखूबी मुस्कुराना जानते हैं लोग लगाना पीठ पर निशाना जानते हैं लोग जो चलना नहीं जानता दुनियाँ की चाल को सिखा के उसको गिराना जानते हैं लोग साँसे बहुत भारी होती हैं जिंदगी की शायद मुर्दा होते ही
मां के बचपन की यादों में रावी की याद पुरानी थी चंबा से कुछ दूर सरईघाट में वो रात घनी अंधियारी थी देर रात कोजमुना फूलां पुन्नी गउओं की आवाज़ लगी डराने थीरावी का पानी एकदमछो
21/7/22प्रिय डायरी, आज मैंने शब्द.इन में कागज़ की कश्ती शीर्षक पर कविता लिखी। हम सब ब