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शर्मशार होती इंसानियत

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प्राकृतिक संसाधन क्या है? वह संसाधन  जो प्रकृति ने दिया है जिसे मानव ने नही बनाया प्राकृतिक संसाधन कहलाता है । पृथ्वी के अन्दर कोयला पेट्रोलियम खनिज सम्पदा सीमित मात्रा में उपलब्ध है ।पृथ्वी के

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गुजरात मोरबी पुल हासदा गुजरात में हुए हासदे में 90 से 120 लोग मारे गए करीब 150 से अधिक लोग घायल हो गए ।घायल हुए अब भी दम तोड़ रहे है ।मोरबी में मच्छू नदी का केबल गिरा करोड़ो की लागत से रंग रोगन पु

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आदमी का मन पेण्डुलम की तरह हिलता रहता है ।जब वह अपनी मनमर्जी कर लेता है और पछतावा होता है तो सत्संग की तरह मुड़ने लगता है उसका मन ये सोचने लगता है कि अब बेईमानी बहुत हो गई अब कोई अच्छा कर्म किया

सबको आती है नज़र रोशनी मेरे अंदर, कितनी है, पूछे कोई तन्हाई मेरे अंदर मेरी आवाज़ में है शामिल इक सन्नाटा, सदियों से चीखती है ख़ामोशी मेरे अंदर भीगने से भला कैसे बचाऊं ख़ुद को बहती है ग़म की एक नद

कुछ भी बहुत ज्यादा, हानिकारक बन जाता है, आश्चर्य की बात है, कि, दयालुता भी हानिकारक हो सकती हैं, वो कहते है ना..."भलाई का ज़माना ही नहीं रहा हैं " ,ये एक ही तो स्वभाव था, जो ह

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ये आराम बहुतो को कम नसीब है । ये महल ये जमीन ये प्रॉपर्टी कितने लोगों के पास है;जो तुम्हें नसीब है । ये परिवार,पद तुम्हारा ऑफ़िस जो घर से नजदीक है बहुतो को कम नसीब है ।ये कम्युनिकेशन मोबाइल की द

किसको दें हम दोष, न कोई यहां समझने वाला है,जीवन की आपाधापी में, हर कोई मतवाला है।अपना स्वार्थ सिद्ध हो,चाहे फिर कुछ भी हो,क्या लेना,इसी सोच ने मानवता का चीरहरण कर डाला है।।...वक्त भले हो वक्र, समय का

किसी जानवर से टकराकर क्षतिग्रस्त हुई वंदे भारत ट्रेन की कुछ तस्वीरें कुछ राजनेताओं द्वारा ट्वीट कर भारत की made in India पालिसी का मजाक उड़ाया गया।कल को तेजस के साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो भी मुझे यकीन

पिछले मोहल्ले में अमरावती को अपनी कुबुद्धि के इस्तेमाल के लिए बहुत बड़ा साम्राज्य था यानि मोहल्ले की बहुत सी औरतें और बहुत से परिवार | पर नया मकान ऐसे मोहल्ले में था जहाँ अमरावती के लिए दूसरे परिवारों

समय अपनी रफ़्तार में था और देखते-देखते 3-4  बीत गए, पिछले 3-4  सालों से राधा मिश्रा अमरावती के बच्चों को पूरी लगन से ट्यूशन पढ़ाती रही और अमरावती ईष्या और जलन के स्वाभाव के कारण पूरी लगन से&nb

अमरावती का ध्यान घर और बच्चों में बिलकुल नहीं रहता था  और इस बात की गवाही घर खुद चीख-चीख कर दे रहा था | कभी कोई चीज़ उसकी सही जगह पर नहीं होती थी और ज्यादातर घर अस्त-व्यस्त ही होता था। कभी-कभी तो

गांव की सुन्दर बालिका प्यारा-सा नाम सारिका, ये कविता उसकी कहानी हैजो मुझे आपको सुनानी है,कहानी का पहला चरण है सूरज और उमा का आँगन है,एक कमरे में प्रसव-पीड़ा से उमा आज बेचैन सी है,आँ

किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है। अमरावती कोई बीस वर्ष की रही होगी और बिहार के एक गांव, अपने ससुराल में अपने पति राम अमोल पाठक, नवजात शिशु चन्दन और जेठानी क

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