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स्त्री विमर्श -

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अनुच्छेद  08      मेरी यादों के झरोखों..से                                       

 अनुच्छेद  07                 मेरी यादों के झरोखों से_______________________________________किशोर  अकेला कॉलिज के मुख्य गेट से लगभग 200 कदम

 अनुच्छेद 06                     मेरी यादों के झरोखों से________________________________________आज कालिज में पन्द्रह अगस्त का समारोह मनाया ज

      अनुच्छेद  05                  मेरी यादों के झरोखों से   _______________________________________ ....एक टक़ दृष्टि उस आवा

अनुच्छेद  04                  मेरी यादों के झरोखों से__________________________________________किशोर एक गम्भीर प्रकृति का छात्र था, वह अपने गांव से पै

अनुच्छेद 03        मेरी यादों के झरोखों से ------------------------------------------------------------------------------कालिज की पहली घण्टी वज रही थी, मधु अपनी सहेली रमा के इंतजार

द्रोण के पास किसी भी प्रकार की कमी नहीं ।घर भरा-भरा लेकिन तन्हाई थी।सुनैना तो  शासन पाकर खुश थी।विख्यात के हाथ खुल चुके थें।भय निकल चुका था।जुर्म करने में सकुचाता नहीं था।निर्भीक होकर ,मित्र मण्ड़

‌अंक  02                   मेरी यादों के झरोंखों से ___________________________________  अक्सर ग्रामींन आचंल में पलने बाले युवक युवतियों के

भाग 01                ★मेरी यादों के झरोखों से★                               घट

प्रथम शक्ति मां शैलपुत्रीपर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा नवरात्र के प्रथम दिन होती है। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। ये नंदी नामक

नृत्यांगना हर नारी के मन के अंदर, इक नृत्यांगना रहती है, नृत्य एक साधना है, हर भाव-भंगिमा सधी हुई, नृत्यांगना जब नर्तन करती है, हर अंग पर अंकुश होता है, मन साधक सा एकाग्रीत होकर, नृत्य साधना करता है,

10 वर्षीय बालिका ने पिता के समान उम्र वाले पुरुष के साथ दांपत्य जीवन की शुरुआत कीl ग्रामीण परिवेश जहां दिन की शुरुआत घर को गोबर से  लीपने से होती, और  रात पशुओं को चारा डालने और दूध  दु

मर्यादा में रहना हैं... क्योंकि तुम एक बहू हो...। घूंघट ओढ़ना हैं... क्योंकि तुम एक बहू हो..। बड़ों का कहना मानना हैं.. क्योंकि तुम एक बहू हो..। अदब से चलना हैं... क

मैंने भी आजमाया है तुम्हे कई बार। कभी चुप रहकर कभी कुछ कहकर, कभी यूं ही बेवजह तुमसे नाराज होकर, पर तुमने कभी पूछी ही नही वजह इन सब की, पूछते भी कैसे? तुम्हे फर्क पड़ा है क्या कभी मेरी खामोशी से।

लघु कथा उम्र के निशाने पर शोध दामिनी शर्मा जब कॉलोनी में आई तो 35 वर्ष की विधवा के रूप में उसे देख कर लोगों को बहुत दुख हुआ वह अक्सर रात को 11:00 बजे घर से निकलती और सुबह 7:00 बजे घर वापस लौटती इस तरह

पिछले भाग में आप सभी ने सिंधुताई के जन्म के बारे में पढ़ा ।इस भाग में आप सभी सिंधुताई के बचपन के संघर्ष के बारे में पढेंगें।             &nb

नवरात्र यानी मां अंबे के नौ रूपों की आराधना में डूब जाने के खास नौ दिन। खुद को पूरी तरह से उन्हें समर्पित कर देने का समय। आपके नवरात्र को खास बनाने के लिए हम लेकर आए हैं, मां की आराधना, आरती और आहार स

मन का डर मैं पहले डरती थी, लोग क्या कहेंगे ? इसलिए चुप रहकर, मन ही मन घुटती थी, मन की घुटन मन में, छुपाकर मुस्कुराती थी, लोगों को खुश, करने की जद्दोजहद में, अपनी ख्वाहिशों को, तिलांजलि देती थी, डर था

निशान्त उस युवती को लेकर सूनसान जगह पर पहुँच गया।जहाँ अकेले में जाने से भय लगता हैं।निशान्त मर्यादाओं की हर दहलीज लाँघ चुका था।उसके सामने दौलत की चमक ही चमक दिखाई दे रही थीं।मेहनत न करना पड़े और दौलत उ

 समय बाद आज उससे मिलने वाला हूँ इतने समय तक ना उससे कोई बात हुई ओ ना मैं उसको शादी में जा पाया था...इसी सोच में राहुल फ़्लाइट मे सो नहीपा रहा था उसकी आँखो से नींद ग़ायब थी,बस एक ख़ुशी थी इतने समय बादअ

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