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स्त्री विमर्श -

hindi articles, stories and books related to Stri vimarsh -


**दहेज**देखो आज ईश्वर के दरबार में वक्त से पहले यह कौन आई है, फिर दहेज के भेंट चढ़ी इस अबला ने ईश्वर सेगुहार लगाई है।।हे ईश्वर मेरा क्या कसूर है मुझे बस इतना बतला दो, कोई मुझ जैसी फिर बलि न चढ़े सके उ

""अंजू ""आओ ऊपर चलें, वहाँ आराम से हम लोग खेल, खेल सकेगें lमैंने ढेर सारी चॉकलेट रखी हैं तुम्हारे लिए छत पर l चॉकलेट...... चलिए न जल्दी से मुझे चॉकलेट दे दीजिये, वो मुझे बहुत पसंद है l हाँ, हाँ पता ह

     बिन मंजिल चलते चलते  सिंधु  थककर सड़क के किनारे पेड़ की छांव में बैठ गईl एक तो प्रसव उपरांत की कमजोरी, दूसरे पेट में खाने का एक भी निवाले  का न होना l वह भूख और प्या

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-अनिल अनूप इशारे करती आंखों को देख गाड़ियां अक्सर यहां धीमी हो जाती हैं. काजल भरी आंखें, मेकअप से सजे चेहरे और चटकीले लिबास लपेटे सैकड़ों जिस्म रोज़ाना इन सड़कों पर किसी का इंतज़ार करते हैं.

मुस्तक़ीम ने महमूदा को पहली मर्तबा अपनी शादी पर देखा। आरसी मसहफ़ की रस्म अदा हो रही थी कि अचानक उस को दो बड़ी बड़ी.......ग़ैर-मामूली तौर पर बड़ी आँखें दिखाई दीं.......ये महमूदा की आँखें थीं जो अभी तक कुंवार

कुछ दिनों से मोमिन बहुत बेक़रार था। उस को ऐसा महसूस होता था कि इस का वजूद कच्चा फोड़ा सा बन गया था। काम करते वक़्त, बातें करते हुए हत्ता कि सोचने पर भी उसे एक अजीब क़िस्म का दर्द महसूस होता था। ऐसा दर्द

नईम टहलता टहलता एक बाग़ के अन्दर चला गया उस को वहां की फ़ज़ा बहुत पसंद आई घास के एक तख़्ते पर लेट कर उस ने ख़ुद कलामी शुरू कर दी। कैसी पुर-फ़ज़ा जगह है हैरत है कि आज तक मेरी नज़रों से ओझल रही नज़रें ओझल इ

ये उस ज़माने की बात है जब मैं बेहद मुफ़लिस था। बंबई में नौ रुपये माहवार की एक खोली में रहता था जिस में पानी का नल था न बिजली। एक निहायत ही ग़लीज़ कोठड़ी थी जिस की छत पर से हज़ारहा खटमल मेरे ऊपर गिरा करते थ

अनुच्छेद    20             मेरी यादों के झरोखों  से_________________________________________इंडिका  हवा में तैरती हुई अपने गनतब्य कि ओर लगातर अग्

अनुच्छेद 19            मेरी यादों के झरोखों से ________________________________________आज रवि वार होने के साथ ही कालिज चार दिनों के लिये अबकाश पर था।अतः वह स्वप्निल

अनुच्छेद 17               ● मेंरी यादों के झरोखों से● _____________________________________________एक लंबे अंतराल तक दोनों एक दूसरे  से लगभग दो मीटर क

मुजीब ने अचानक मुझ से सवाल क्या: “क्या तुम उस आदमी को जानते हो?” गुफ़्तुगू का मौज़ू ये था कि दुनिया में ऐसे कई अश्ख़ास मौजूद हैं जो एक मिनट के अंदर अंदर लाखों और करोड़ों को ज़र्ब दे सकते हैं, इन की तक़सी

      उस रात की कहानीआज शाम से ही मूसलाधार बारिश हो रही थी बारिश के साथ साथ तेज़ हवाएं भी चल रहीं थीं रह-रह कर बिजली कड़क रही थी बारिश को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे आज

बिना कुछ कहे सच जीत गया  सुचिता की ससुराल में आज पहली रसोई थी अषाढ़ का महीना था आज सुबह से ही रिमझिम फुहारों ने पूरे वातावरण को सोंधी खुशबू से महका दिया था।सुचिता की सास

माया के लड़का पैदा होने पर वह बहुत खुश थी। वह सोच रही थी कि वह एक भाग्यशाली औरत है। वह अपने घर पर रहने से जितनी दुखी थी। अब उसे उससे कहीं ज्यादा खुशी का अहसास हो रहा था। वह हरीश को भी बड़ा प्रसन्न रखत

सोचा था, जिंदगी के, सफ़र में, ऐसा मुकाम आएगा, दिल एक, आशियाना, होगा, आंखों में, सुनहरे ख्वाब, जज्बातों, की होगी, बरसात, लब मुस्कुराएंगे, प्यार के, खुशबू की, महक होगी, ऐसी, ख्वाहिश, दिल में, आईं थी, ख्

प्रेम क्या है ? इक अहसास है, जज्बातों का सैलाब है, जो सुनाया नहीं जाता, जिसमें डूबकर, ख़ुद को भुलाया जाता है, प्रेम करने वाले, डूब जाते हैं, प्रेम की गहराइयों में, उस सागर से, निकलने की, ख्वाहिश होती

भाग - 4 इधर... मोहनी को इसी शहर में शिक्षिका की नौकरी लग गई थी, जिसके कारण वह कुछ दिनों तक मायके में हीं रहने का मन बनाकर ससुराल से मायके आयी थी।और.... रोहन ने भी लगभग एक महीने की छुट्ट

‍भाग - 3लगभग पाँच दिन मोहनी को यूं ही मायके में निकल गया, लेकिन वह खिड़की एक - दिन भी नहीं खुली। मोहनी को यह समझ में नहीं आ रही थी कि उसे क्या हो गया है....? क्या वह कमरा खाली करके चला गया,

‍                       भाग - 2खैर बारात भी आयी, और मोहनी को रोहन से विवाह भी हो गया। कुछ दिनों के बाद मोहनी अपने ससुराल से वापस मायके 

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