shabd-logo

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 04

5 अप्रैल 2022

25 बार देखा गया 25
अनुच्छेद  04                  मेरी यादों के झरोखों से
__________________________________________किशोर एक गम्भीर प्रकृति का छात्र था, वह अपने गांव से पैदल चलकर कॉलिज आता था।
 उसका एक मित्र भाष्कर भी था जो हमेशा किशोर के साथ रहता था वह उसका सहपाठी होने के साथ साथ एक सच्चा मित्र था, किन्तु वह शुरू से ही मन्द बुद्धि होने के साथ साथ दिल फेंक भी था, कालिज में उन दोनों ने इसी वर्ष दाखिला लिया था,इस कॉलिज में ।
उस समय पूर्व माध्यमिक कक्षा की परीक्षा आज के जूनियर हाई स्कूलों में जिला स्तर पर होती थी , जिसका रिज़ल्ट अखबारों में उसी तरह प्रकाशित किया जाता था जैसे कि हाई स्कूल की परीक्षाओं का परिणाम आज नैट पर  समय पर दिखाते है।
अतः किशोर पूर्व माध्यमिक बोर्ड की जिलास्तरीय परीक्षा में अंग्रेजी विषय में अनुत्तीर्ण होने के बाद उसने अपनी टी.सी. गांव के स्कूल से लेकर कालिज में एडमीशन ले लिया था , अतः वह अब शुरू से ही मेहनत करना चाहता था जिस से उसके अच्छे नम्बर आयें और उसके पिता जी खुश हो जाये।
किशोर बैसे भी अपने पिताजी से कम ही बात करता था, उसके पिता शुरू से ही कटु स्वभाव के अनुशासन प्रिय थे, वह किशोर की हरेक एक्टिविटी पर नजर रखते थे, जब वह घर आते थे तो किशोर उनके सामने कम ही नज़र आता था,अतः माँ के साथ उसकी वहुत पटरी खाती थी,उसकी माँ एक आदर्श गृहणी थीं वह किशोर को समय पर तैयार कर स्कूल भेजती थीं।
साथ ही उसे समाज की सभी अच्छी बुरी बातों से उसे अवगत कराती रहती थीं।किशोर की दो वहिंन राजी और शालिनी थी,दोनों बहनों के बीच वह अकेला भाई सभी को प्रिय था, 
किशोर को अभी दाखिला लिए चन्द दिन ही हुए थे कि उसके साथ कुछ ऐसा हुआ कि वह उसका मतलब शुरू शुरू में नहीं समझ सका, हुआ कुछ इस तरह की वह अपने कक्षा में बैठा हुआ था ,सब्जेक्ट्स टीचर अभी तक कक्षा में आये नहीं थे ,उसकी कक्षा के अधिकांश छात्र वाहर निकल कर गैलरी में खड़े थे, तभी सोपान से चढ़कर  कक्षा 10 द में कुछ लड़कियों का झुण्ड गैलरी से होकर गुजरा उस समय कालिज का छटा घण्टा चल रहा था, उस लड़कियों के झुंड के साथ कला अध्य्यापक श्री के.एम.लाल सक्सैना जी भी थे , वह वहुत ही प्रिय और सौम्य मूर्ति थे, कला के क्षेत्र में वह अति प्रिय थे, अतः कुछ बालिकाएं उनसे बातें करती जा रहीं थीं वह उनके प्रश्नों का उत्तर भी देते जा रहे थे, अचानक किशोर के कानों में एक मधुर आवाज पड़ी और वह उस आवाज की ओर सम्मोहित सा होकर आश्चर्य से उस आवाज की दिशा में देखने लगा।
वह लड़की  जिसकी सम्मोहन कारी आवाज़ थी वह प्रथम दृष्ट्या उसे एक साधारण सी लड़की दिखी उसे पर दूसरी बार ध्यान से देखने पर वह, गौरवर्ण, सुंदरी जिसके कानों में गोल मकराकृति  के गोल गोल कुंडल ,प्यारे से होंठ स्वेत दंतपंक्ति और उसकी वह मधु भरी आवाज उसके कानों में रहष्य मय संगीत घोलती हुई गूँजती रही , जब वह बोल रही थी तो किशोर उसकी ओर निहारता रह गया , उसके मधुर स्वर में वह खो सा गया , किशोर की जव नजरो ने उस मधुर कोयल सी आवाज की स्वामिनी को प्रथम नजर देखा, बस उसे लगा उसका अपना सब कुछ बजूद उस बालिका में सिमट कर रह गया है।
पता नहीं कैसा आकर्षण था  यह? 
वह उसे अपलक निहारता रहा, यह शायद किशोर की उस किसोर उम्र का दोष  था या कोई परमात्मा की भावी इच्छा,? वह  नहीं समझ सका उसे। बस वह उसे अपलक निहारता रहा, मन नहीं अघाता था उसे देखने से, तभी वह बालिकाओं का झुण्ड आगे निकल चुका था, किन्तु किशोर का मन बार बार उस सम्मोहनकारी आवाज़ की स्वामिनी को देखने का होता,।
 इसी उहा पोह में कुछ दिन और बीत गए, किन्तु उसके मन की छिपी लालसा दिनों दिन घटनें के बजाए और भी प्रबल होगई ,।
            वह जब भी कॉलिज में  छटा पीरियड लगता वह वस सब काम छोड़कर उसको एक झलक पाने को वह लालाइत रहता , वस इस से आगे वह नहीं बढ़  सका, क्यों कि उसके रास्ते में माता पिता का अनुशासन, गुरुओं की लज्जा और साथ ही उस अनिंद्य सुंदरी की मान मर्यादा का भी प्रश्न था उसके सामने।
किन्तु वह उसे अब दूर से ही देखता रहता, वह  अनिंद्य सुंदरी जब भी वह नींचे बालिका कक्ष में होती तो किशोर उसे अपने खाली पीरियड में ऊपरी मंज़िल के गवाक्षों से  तलाश कर लेता ,पता नहीं कैसा था यह विचित्र लगाव ,वह इसे कभी नहीं समझ सका। 
एक दिन उसका आमना सामना उस सम्मोहिनी से अचानक सोपान पर चड़ते समय हुआ, एक दूसरे ने एक दूजे को ध्यान से देखा , और पल भर को दोनों मौन खड़ें एक दूसरे को देखते रहें। वस न कोई संवाद न कोई अनर्गल क्रिया बस दोनों एक दूसरे को मूँक दर्शकों की भाँति कुछ पलों तक  देखते रहे ,और पता नहीं वह  क्रिया कब तक  इस तरह देखते रहनें की चलती पर ,तभी उस स्वप्न सुंदरी की सहेली  रमा ने उसका वह जादुई आकर्षण भङ्ग  कर उसे अपने साथ कक्षा में जबरदस्ती साथ ले गई, बस तभी से   उन दोनों को ऐसे ही पुनः किसी अबसर की तलाश दोनों   ही को  रहने लगी। 
शेषांश आगे अंक में पढ़ें।
‌    Written By H.K.Joshi                 कृ.प.उ.
27
रचनाएँ
★ मेरीं यादों के झरोंखों से ★
0.0
यह उपन्यास ग्रामीण आँचल से एक प्रेंम की विशुद्ध गाथा है, जिसका प्रारम्भ नाइक और नायिका के अचानक प्रथम बार आमना सामना होनें से होता है, दोनों एक दूसरे को देखकर सोचतें हैं कि वह दोनों तो पहिलें कभी मिलें हैं पर नायक किशोर अपनीं नायिका को देख कर अपनीं सुध बुध खो बैठता है, उसे लगता है , वह उसे वहुत पहिलें से जानता है पर उसे याद नहीं। यहीं से दोनों एक दूसरें को देखनें हेतु लालायित रहते हैं, पर कॉलिज की भी अपनीं एक मर्यादा है, अतः दोनों मन लगाकर पढ़ते हुए भी दोनों हैं
1

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 01

5 अप्रैल 2022
1
0
1

भाग 01 ★मेरी यादों के झरोखों से★ घट

2

★मेरीं यादों के झरोंखों से ★ भाग 02

5 अप्रैल 2022
0
0
0

‌अंक 02 मेरी यादों के झरोंखों से ___________________________________ अक्सर ग्रामींन आचंल में पलने बाले युवक युवतियों के

3

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग03

5 अप्रैल 2022
1
0
0

अनुच्छेद 03 मेरी यादों के झरोखों से ------------------------------------------------------------------------------कालिज की पहली घण्टी वज रही थी, मधु अपनी सहेली रमा के इंतजार

4

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 04

5 अप्रैल 2022
2
1
0

अनुच्छेद 04 मेरी यादों के झरोखों से__________________________________________किशोर एक गम्भीर प्रकृति का छात्र था, वह अपने गांव से पै

5

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 05

5 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 05 मेरी यादों के झरोखों से _______________________________________ ....एक टक़ दृष्टि उस आवा

6

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 06

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 06 मेरी यादों के झरोखों से________________________________________आज कालिज में पन्द्रह अगस्त का समारोह मनाया ज

7

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 07

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 07 मेरी यादों के झरोखों से_______________________________________किशोर अकेला कॉलिज के मुख्य गेट से लगभग 200 कदम

8

मेरीं यादों के झरोंखों से। भाग08

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 08 मेरी यादों के झरोखों..से &nbsp

9

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 09

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 09 मेरीं यादों के झरोखों से --------------------------------------------------------------

10

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग10

6 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 10 मेरीं यादों के झरोखों से ________________________________________प्रातः काल की

11

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 12

7 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 12 मेंरी यादों के झरोखों से -----------------------------------------------------------------------वह अनाम सुन

12

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 13

7 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 13 मेंरी यादों के झरोखों से ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~कालिज में इस वर्ष जिला स्तरीय खेलों की प्

13

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 14

7 अप्रैल 2022
2
0
0

अनुच्छेद 14 ● मेरी यादों के झरोखों से ● ------------------------------------'------------------------------अरे मैं कब से बक बक किये ज

14

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 17

8 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 17 ● मेंरी यादों के झरोखों से● _____________________________________________एक लंबे अंतराल तक दोनों एक दूसरे से लगभग दो मीटर क

15

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 19

8 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 19 मेरी यादों के झरोखों से ________________________________________आज रवि वार होने के साथ ही कालिज चार दिनों के लिये अबकाश पर था।अतः वह स्वप्निल

16

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 20

8 अप्रैल 2022
1
0
0

अनुच्छेद 20 मेरी यादों के झरोखों से_________________________________________इंडिका हवा में तैरती हुई अपने गनतब्य कि ओर लगातर अग्

17

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 45

17 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 45 मेरी यादों के झरोखों से -------------------------------------------------------------------------------मधु से मिलकर किशोर पार्क से

18

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 56

18 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 56 मेरी यादों के झरोखों से*__________________________________________________________________________________मधु को

19

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 58

18 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 58 मेरी यादों के झरोखों से ______________________________________________________________________________ पिछले अंक मे

20

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 69

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 69 मेरी यादों के झरोखों से----------------------------------------------------- ----------------------------------------------------------------------

21

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 70

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 70 मेरी यादों के झरोखों से ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ "मानव जीवन भी बड़ा

22

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 72

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 72 मेरी यादों के झरोखों से------------------------------------------ - ------------------------------------------------------------------

23

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 74

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 74 मेरी यादों के झरोखों से-------------------------------------------------------------------------------------------सेठ रविशंकर जी का उनके परिजन

24

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 75

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 75 मेरी यादों के झरोखों से ----------------------------------------------------------------------------------------- मधु की जिद के आगे परिवार के

25

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 77

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 77 मेरी यादों के झरोखों से ______________________________________________संसार मे आना जाना यह लगा हुआ है इसीलिये इसे सांसारिक नियम माना है, जिसकी मृत्यु हुई

26

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 78

19 अप्रैल 2022
0
0
0

अनुच्छेद 78 मेरी यादों के झरोखों से -------------------------------------------------------------------------------------मधु क

27

मेरीं यादों के झरोंखों से भाग 79

19 अप्रैल 2022
1
0
0

अनुच्छेद 79 मेरी यादों के झरोखों से ------------------------------------------------------------------------------------------- सेठ जी की कोठी आज रंग बिरंगे बल्बों की

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए