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शापित संतान - भाग 22 अंतिम भाग

22 जून 2023

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छमिया ये सब देखकर समझ गई कि ये सब भाऊ के घरवाले हैं और भाऊ किसी वजह से अपना घर छोड़कर आए थे और ये लोग उन्हें मनाने आए हैं ।वो बैठे बैठे सब सुनने लगी।

"उठो,उठो,उठो,श्रीनिवास।" श्रीनिवास को उठाते हुए सुबोध चंद्र राव बोले -"ये सब क्या हो रहा है !आप लोगों को कैसे पता चला कि मैं यहाँ हूँ,, शिवा,अनन्या ,, तुम दोनों को कैसे पता चला कि मैं तुम दोनों का बाबा,नाना हूँ !! मैं यहाँ हूँ ये तो किसी को न पता था !!"

"मैं सब बताती हूँ बाबा ।" कहते हुए शिवा ने सुबोध चंद्र राव को सारा वृत्तांत बता डाला ।
" पापा जी ,घर वापस चलिए ।" अर्पिता ने सुबोध चंद्र राव से कहा ।
गीतिका भी बोली -"पापा घर चलिए ।"
सुबोध चंद्र राव  अपना सिर पकडे़ हुए बोले -"कैसा घर !कौन सा घर और किसका घर ???  मैं तो दुनिया की नज़रों में मर चुका हूँ !! 
आह !!मेरी शापित संतान ,,, 

मेरी परवरिश में कहाँ कमी रह गई थी !! मेरी ये शापित संतान और गीतिका बच्चे ही थे जब इनकी माँ गुजर गई थीं , मैंने इन दोनों को बाप और माँ दोनों का प्यार देकर इनकी इच्छाओं की पूर्ति में ,इनके लालन-पालन में , कोई कसर न छोडी़ , पर इसने मुझे सदा निराश किया ,, 
मेरी शापित संतान ने मुझे क्या क्या दिन दिखाए !! 
दुनिया की नज़रों में मैं मर ही चुका हूँ ,, मुझे मेरे हाल पर छोड़कर तुम लोग घर लौट जाओ ।"

" नहीं पापा जी , इनकी करनी की सजा आप हम लोगों को न दीजिए ,पापा जी हमें आपकी जरूरत है ,घर चलिए पापा जी ।"अर्पिता रोते हुए बोली और गीतिका भी सुबोध चंद्र राव के घुटनों पर सिर रखकर रोते हुए बोली -"हाँ पापा घर चलिए ।"

सुबोध चंद्र राव ने गीतिका के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा -" अब बहुत देर हो चुकी है गीतिका,समझो ,मैं यहीं ठीक हूँ ,यही मेरी नियति है ।"

" बडे़ सर मुझे क्षमा कर दीजिए ,, मैं विवश था बडे़ सर !" श्रीनिवास गिड़गिडा़कर बोला ।

"तुम्हारी कोई गलती नहीं है श्रीनिवास ! मेरे बंधक बनाए जाने के बाद मेरी शापित संतान ही तुम्हारी मालिक थी और तुम्हें अपने मालिक का हुक्म तो बजाना ही था ,,जाओ तुम सब घर लौट जाओ ।"श्रीनिवास से कहते हुए सुबोध चंद्र राव ने सबसे कहा ।

बाबा जी उस इंसान की सजा ,जिसको मुझे पापा कहते हुए भी शर्म आ रही है, आप हम सबको मत दीजिए ,, पापा की तरफ से मैं आपसे क्षमा माँगती हूँ ,, उनके कारण आप मुझे व अनन्या को अपने स्नेह से वंचित न कर सकते हैं  ! 
आप घर नहीं चलेंगे तो पापा तो अपनी मनमानी करते ही रहेंगे और माँ और मैं बरबाद हो जाएंगे !! बुराई जीत जाएगी बाबा ,, आप चाहते हैं कि आपकी खून पसीने की कमाई पर पापा गुलछर्रे उडा़ते रहें !! 
घर चलकर आपको अपना स्थान वापस लेना है बाबा ,, 

,, आपको घर चलना ही होगा वरना मैं, अनन्या ,माँ और गीतिका बुआ यहीं आपके समक्ष आत्मदाह कर लेंगे ,, क्यों अनन्या !!" शिवा ने रोते हुए सुबोध चंद्र राव से कहते हुए अनन्या की तरफ देखकर कहा और अनन्या भी आगे बढ़कर बोली -"हाँ नाना जी ,आपके बिना हम सब अधूरे हैं आप नहीं चलेंगे तो हम सब आत्मदाह कर लेंगे ।"

" ऐसा मत कहो मेरी बच्चियों ,, मेरी शापित संतान ने मुझे जीते जी मार डाला है और इस चलती फिरती लाश को घर ले जाकर क्या करोगी तुम सब !! 
मैं यहीं सही हूँ ।" सुबोध चंद्र राव बोले ।

" पापा जी अगर आप घर नहीं चलेंगे तो मुझे यही लगेगा कि आप इनके किए की सजा मुझे दे रहे हैं ,, घर चलिए पापा जी ,,, " अर्पिता हाथ जोड़कर रोते हुए बोली और शिवा ने कहा -" बाबा वो आपका घर है आप घर चलें और मेरे पिता ने जो किया उसकी सजा तो उन्हें मिलकर रहेगी ,घर पहुँचने के बाद उनकी रिपोर्ट करूँगी और कडी़ से कडी़ सजा दिलवाऊँगी ।" 
"नहीं शिवा ,तुम ऐसा कुछ न करोगी ,, औलाद कुमार्गी होकर अपने माँ और बाप को प्रताडि़त कर सकती है मगर वही कार्य माँ और बाप करें तो उनमें और उनकी औलाद में अंतर क्या रह जाएगा !! 
मैं बाप होकर औलाद को कारागार भेजकर उसका घर बरबाद कर दूँ ये कहाँ उचित है ! " सुबोध चंद्र राव ने कहा ।
" आपकी बात से सहमत हूँ बाबा ,मगर शरीर के जिस हिस्से में कैंसर हो जाता है उस हिस्से को काटकर स्वयं से अलग किया ही जाता है ,वरना पूरे शरीर में विष फैल जाता है ,पापा हमारे जीवन के वही कैंसर हैं जिन्हें अपने से काटकर अलग करना अत्यावश्यक है ,, ये कार्य बहुत पहले हो जाता तो आपको ये दिन न देखने पड़ते ।"
अनन्या,अर्पिता,गीतिका सबने शिवा की बात से सहमति जताई और सुबोध चंद्र राव से घर वापस चलने के लिए बिलख बिलखकर मिन्नतें करने लगे ।
सुबोध चंद्र राव सबके आँसुओं और व्यथा को देखकर बोले -"ठीक है ,मैं चलता हूँ घर ,चलो ।"
सुबोध चंद्र राव के ऐसा कहते ही सब  हर्षित होकर वापस कानपुर जाने के लिए उठे और सुबोध चंद्र राव भी उठकर खडे़ होकर दो कदम बढाए ही थे कि छमिया ने अपनी बडी़ बडी़ आँखों में मोटे मोटे आँसू भरकर कहा -"भाऊ मुझे किसके सहारे छोड़कर जा रहे हो ??"

" तुम्हें छोड़कर कैसे जा सकता हूँ छमिया !! मेरे बुरे दिनों की तू ही तो साथी रही ,, तू भी साथ चल और मेरे साथ मेरे घर में रह ।" सुबोध चंद्र राव बोले ।

सब कानपुर के लिए निकल लिए थे और उधर कानपुर में सुबोध चंद्र राव की शापित संतान ,शिवा के पिता घर पर ताला देखकर क्रोध से आग बबूला हो रहे थे कि सबके सब कहाँ चले गए!! 
उसने श्रीनिवास को फोन मिलाया , मगर श्रीनिवास ने फोन ही काट दिया जिससे उसके क्रोध का पारावार न रहा और वो क्रोध में घर के बाहर टहलने लगा ।

सुबोध चंद्र राव को लेकर सब घर पहुँच गए और उसे घर के बाहर टहलता हुआ पाया ।उसने सबके साथ सुबोध चंद्र राव को देखा तो वो हैरान रह गया कि ये वापस आ गए !!और श्रीनिवास की तरफ आग्नेय नेत्रों से देखा मगर श्रीनिवास बोला -" ऐसे घूर कर मत देखो मुझे ,, तुम्हारा खेल अब खत्म हो चुका है ।"
शिवा और अनन्या ने रास्ते में ही पुलिस को फोन करके सारी बात बता दी थी और कुछ क्षण  पश्चात पुलिस आ  गई और सुबोध चंद्र राव को मृत घोषित कर उनकी चल व अचल संपत्ति का दुर्पयोग करने के आरोप में शिवा के पिता को गिरफ्तार करके ले गई।

अगले दिवस एक नवीन रवि उदय हुआ था ।सुबोध चंद्र राव के जीवन पर ,शापित संतान  का जो ग्रहण लगा था वो मिट चुका था और उनका महाविद्यालय  जिसपर नकल कराने व अनैतिक गतिविधियां संचालित करने का जो दाग लगा था वो धुलकर पुनः शिक्षा के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध हो गया था जहाँ नकल के लिए कोई स्थान न था ।

समाप्त।

Deepak Singh

Deepak Singh

कहानी अंत तक प्रभावी थी। मुझे आपकी लेखनी अत्यंत सुंदर लगी।

6 फरवरी 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

6 फरवरी 2024

धन्यवाद आपका 🙏 कृपया कचोटती तन्हाइयां पढ़कर अमूल्य समीक्षा व लाइक दे दें हर भाग पर 🙏

Pintu

Pintu

आपकी कहानी शापित संतान बहुत सुंदर कहानी है ।आगे भी आप अपने पाठको को ऐसे हीं कहानियो से तृप्त करती रहेंगी ?बबिता कुमारी

12 नवम्बर 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

12 नवम्बर 2023

धन्यवाद आपका, कृपया कचोटती तन्हाइयां के भागों पर अपना लाइक 👍 कर दें 🙏🙏

Papiya

Papiya

👌🏼👌🏼👏🏼

21 सितम्बर 2023

लता सुमन 'नमन्'

लता सुमन 'नमन्'

बहुत सुंदर कहानी 👌👌

10 सितम्बर 2023

AZAD AAINA

AZAD AAINA

रोचकता से भरपुर दिलचस्प है मार्मिक कहानी 👌👌🙏🙏

1 अगस्त 2023

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

1 अगस्त 2023

धन्यवाद भैया 😊😊🙏

 Dr.Jyoti Maheshwari

Dr.Jyoti Maheshwari

Very nice 👍

2 जुलाई 2023

22
रचनाएँ
शापित संतान
5.0
मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ -'शापित संतान '।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक पिता अपनी संतान के लिए हर त्याग करता है मगर जब उसकी संतान गलत राह पकड़ ले तो उसका सुख ,चैन छिन जाता है ,ऐसी संतान शापित संतान ही होती है ।ऐसी ही शापित संतान अपने पुत्र से त्रस्त पिता को क्या क्या सहना पड़ता है वो पढ़कर एक पिता की पीडा़ महसूस करिए मेरी कहानी -'शापित संतान'पढ़कर ।
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शापित संतान --भाग 1

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शापित संतान -भाग 2

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"अच्छा वो सब छोड़ ,,,सुन न शिवा,हमको मिले छह महीने हो गए और हम अभी एक दूसरे के बारे में कुछ न जानते हैं सिवाय इसके कि तू कानपुर और मैं बरेली से हूँ,चल पहले तू अपने बारे में बता फिर मैं अपने बारे में त

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शापित संतान -भाग 3

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,,,,, मुझे छोटे से ही जयपुर के हाॅस्टल डाल दिया गया ,जयपुर जहाँ मेरा ननिहाल है , मुझे धुँधला -धुँधला याद है वहाँ माँ मिलने आती थीं और मुझसे मिलने मेरे बाबा भी आते थे ,,,, वहीं मेरी सारी शि

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शापित संतान भाग -4

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"वो,,, शिवा अनन्या की तरफ देखकर कहते हुए रिक्शेवाले बाबा से बोली -" बाबा आज वापसी में हमें लेने न आइएगा , हमें काॅलेज में आज समय लगेगा ,कब वापसी हो पाएगी !कह न सकती तो आपको कितने समय बुलाऊँ !!तो हम वा

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शापित संतान -भाग 5

18 जून 2023
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दोनों के मन में प्रश्न थे पर उन्होने उस रिक्शेवाले बाबा से कुछ भी पूछना उचित न समझा ।शिवा ट्रेन में बैठी जयपुर जा रही थी ।जितना ट्रेन आगे बढ़ रही थी उतना ही उसका मन उसको पीछे की ओर खींच रहा था। उसका म

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शापित संतान भाग -6

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इंसान अपने भीतर किसी बात का बोझ लेकर कैसे चल लेता है ,,, मन की गाँठें किसी से तो खोलकर अपने मन का बोझ हल्का कर सकता है ,, उसे करना चाहिए वरना उस बोझ के तले सबकुछ दबकर रह जाता है ,, होंठों की हँसी,आँखो

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शापित संतान भाग 7

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"कुछ भी !! पर मुझे तो लगता है कि रिक्शेवाले बाबा का कानपुर से कुछ तो नाता है ,, वरना वो ऐसे चौंकते नहीं पर वो कुछ बताते भी तो नहीं !!"शिवा ने कहा और दोनों अंदर प्रवेश कर गईं ।" अनन्या ,शुभ्रा काकी को

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शापित संतान भाग 8

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"नहीं ,वो नहीं मैं सोच रही थी कि रिक्शेवाले बाबा कितनी मेहनत करते हैं ,दिन रात रिक्शा खींचते हैं तब जाकर उनके घर चूल्हा जलता होगा ।"अनन्या ने कहा।"हाँ वो तो है पर हम कर भी क्या सकते हैं !!"शिवा बोली।"

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शापित संतान भाग 9

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कितनी भीड़ है लोगों की !!मैं कैसे ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दूँगी !!उस आदमी ने सुना तो मेरे पास आकर बोला कि आप मरना क्यों चाहती हैं !! मैंने रोते हुए सब बताया तो वो सुनकर उदास होकर आँसू ब

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शापित संतान भाग 10

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शिवा चुपचाप सिर झुकाकर मामा के साथ घर के अंदर चली गई ।नानी उसको देखकर खुश भी हुई और कुछ सोचकर उनकी आँखों के कोर भी भीग गए थे ।वो याद करने लगी - जब वो पिछली बार नानी के घर आई थी तब एक दिन मामा के

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शापित संतान -भाग 11

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शापित संतान -भाग 12

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श्रीनिवास आया और चाय व नाश्ते के जूठे बर्तन ले जाने लगा ।"माँ मैं जाकर पूरा घर देखकर आती हूँ ।"शिवा ने कहा और वो अपने कमरे से निकलकर रसोंईघर देखकर फिर रसोंईघर के बगल वाले कमरे में गई। विशाल रसोंई के ब

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शापित संतान -भाग 13

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" माँ बस अभी ही तो आई ! पापा से नमस्ते करने को हाथ जोडे़ मगर पापा ने तो मुझे स्नेह से देखा तक नहीं !! अपनी बेटी से मिलकर लगता है पापा को खुशी न हुई !!" शिवा ने ये प्रकट करते हुए कहा जैसे उसने कुछ सुना

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शापित संतान -भाग 14

21 जून 2023
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शिवा स्नान करके अपने कमरे में आई ही थी कि उसके फोन की घण्टी बजी ।शिवा ने फोन उठाकर कहा -" हाँ अनन्या ,कैसी है तू ?" उधर से अनन्या की आवाज आई -"मैं सही हूँ तू बता तुझे कारण पता चला कि तेरी माँ तुझ

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शापित संतान -भाग 15

21 जून 2023
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शिवा पलटी तो देखा कि पीछे माँ खडी़ थीं और उनके चेहरे पर घबराहट थी ,तभी शिवा को याद आया कि उसने रसोंई के बगल वाले कमरे के भीतर वाले दरवाजे की कुण्डी़ बंद कर दी थी वो अभी खोली नहीं !!"एक मिनट माँ !"कहती

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शापित संतान -भाग 16

21 जून 2023
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मैंने अपने घर में बात की तो तुम्हारे नाना,मामा तैयार हो गए और तुम्हें उनके यहाँ पढ़ने भेज दिया गया ,तब तुम्हारे मामा का विवाह न हुआ था पर तुम्हारे मामा के विवाह होते ही ,चेतना ने साफ कह दिया कि मैं कि

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शापित संतान-भाग 17

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सोचते हुए शिवा ने श्रीनिवास के कमरे की तरफ देखा - नित्य की तरह श्रीनिवास के कमरे का दरवाजा उड़का हुआ था और उसके कमरे की लाइट जल रही थी ।ये श्री कमरा बंद कर लाइट जला कर कुछ करता है या इसकी लाइट जलाकर स

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शापित संतान-भाग 18

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"हाँ यही करती हूँ फिर तुझे बताती हूँ ,अब सो जा बहुत रात हो गई है ,, शिवा ने कहा और फोन रखकर स्वयं से कहने लगी श्री से कुछ भी करके उन दोनों कमरों की चाभियां लेकर कमरे खोलकर देखूँगी ,, &

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शापित संतान -भाग 19

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अनन्या ने कहा और शिवा ने फोन रख दिया और सुबोध चंद्र राव के कमरे के सामने जाकर खडी़ हो गई।श्रीनिवास को होश आया तो वो हड़बडा़कर कमरे से निकलते हुए बाहर आया तो देखा कि शिवा बडे़ सर के कमरे के बाहर ,हाथ म

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शापित संतान -भाग 20

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गधे की औलाद, मुझसे प्रश्न करेगा!!चटाआक !! गाल सहलाना छोड़ और कान खोलकर सुन ले मैं जो करने जा रहा हूँ उसमें अगर मेरे साथ रहने में आनाकानी की तो तेरी चमडी़ उधेड़कर कुत्तों को खिला दूँगा,, अब

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शापित संतान -भाग 21

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सर ने बडे़ सर को फिर मेरे स्नानागार में बाँध कर रखा और फिर अगले दिन उन्हें लुधियाना जाने वाली बस में बैठा दिया ,, बडे़ सर इस घटना से इतना टूट चुके थे कि उन्होने बिना कोई क्रिया,प्रतिक्रिया किए लुधियान

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शापित संतान - भाग 22 अंतिम भाग

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छमिया ये सब देखकर समझ गई कि ये सब भाऊ के घरवाले हैं और भाऊ किसी वजह से अपना घर छोड़कर आए थे और ये लोग उन्हें मनाने आए हैं ।वो बैठे बैठे सब सुनने लगी।"उठो,उठो,उठो,श्रीनिवास।" श्रीनिवास को उठाते हुए सुब

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