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आशातीत मां

9 नवम्बर 2024

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यह बात बिल्कुल सत्य की एक मां के लिए उनके बच्चों से बढ़कर इस दुनिया में कुछ नहीं होता है। लेकिन क्या एक बच्चे भी अपने माता-पिता को उतना ही प्यार करते है,,,,,,

हां, वह तो ठीक है चाचा जी, लेकिन आपने मानस को तो फोन नहीं किया था ना, प्लीज मानस को कुछ मत बताना वह बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। मैं उनको समझा बुझाकर दो-चार दिन में ले आऊंगी। 
           
सुनकर जैसे मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और मैं समझ गया कि, मैंने फिर पूछा, तुमने पिछले चार दिनों में जो बात हुई बताया था ना मानस को ? 
        
" चाचा जी मैं बताना तो चाह रही थी लेकिन समय ही ना बना"..... अच्छा तो ठीक है बेटा फिर यह भी मत बताना और आना ना हो तो तब भी चलेगा ,क्योंकि तुम लोग खुश रहो, यही बहुत है.... और फिर हुआ ही क्या है। परेशान मत हो, भाई साहब अग्नि दे देंगे, फिर छोटा तो है ना वह संभाल लेगा।
और हां तकलीफ की कोई बात नही, मैं मानस की कंपनी में ही फोन लगा कर बात कर लेता हूं और तुम्हें  परेशान नहीं करूंगा"
मगर चाचा जी....

मैंने बिना देर किए मानस की कंपनी के मालिक को फोन करके उससे बात करने की गुजारिश की। तब पता चला कि उसे कोई खबर नहीं। वह तो नाराज था, घर वालों ने उससे पिछले सप्ताह से कोई बात नहीं की। जब मैंने यह कहा तुम ही बात कर लेते। अगर उनका फोन नहीं आया तो आखिर माता-पिता है वह तुम्हारे .....
तुम्हारी भी कुछ जिम्मेदारियां है तो, उसने बताया कि निरुपमा ने उसे बताया कि उसकी बात निरंतर होती रहती थी और सब कुछ ठीक है, और केमिकल फैक्ट्री होने के कारण एवं मोबाइल से होने वाले एक्सीडेंट को देखकर यहां मोबाइल मना है, इसलिए घर पर ही अपना मोबाइल छोड़ कर आते हैं।
          
मेरा मन खिन्न हो गया और मैंने गुस्से से कहा, छोड़ो यार सफाई मत दो। पिछले 4 दिनों से मां बीमार है और तुमको समय ही नहीं कि पूरे दिन में एक बार मां-बाप से बात कर लो। तुमने बात की नहीं, निरुपमा ने बताया ही नहीं, यह हां क्या हो रहा है। आखिर क्या चाहती है तुम्हारी पीढ़ी। क्या यही आजादी है या जिम्मेदारी से भागने का बहाना जैसी तुम्हारी मर्जी, लेकिन याद रखना जो सिखा रहे हो, वही मिलेगा। ज्यादा नहीं कहूंगा, गलती हो गई,अगर बुरा लगा हो तो।
           
काम की बात यह है कि पिछले 4 दिनों से भाभी बीमार थी। बहू से कहती रही बात कराने का, लेकिन शायद तुम्हें डिस्टर्ब ना हो इसलिए वह बात ना करा पाई। आज सुबह 5:30 पर उन्होंने अंतिम सांस ली। अगर थोड़ा समय हो तो बताओ हम अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करें कि नहीं। 
निरुपमा ने तो कहा है कि तुम्हें मना कर ले आएगी तीन-चार दिन में,,उसकी तो बात मान लोगे ना, यदि ना भी आए तो भी चलेगा। वह कुछ ना बोल पाया। सिर्फ इतना रूहासे स्वर में बोला....चाचा जी आ रहा हूं, हो सके तो इंतजार करना।
               
मैंने तमतमाते हुए फोन रख दिया। शायद भाभी  का दर्द और गुस्सा आज भी मेरी वाणी के रूप में उभर रहा था। इसमें दोष भाई साहब का भी था। जब भी फोन आता था उनकी शुरुआत......."हां बोलो क्या बात से होती" अब क्या समझाना कितनी बार बोला....थोड़े प्यार से भी बोल सकते हो या फिर भाभी को ही फोन उठाने दिया करो। वैसे भी वह बैठी रहती है और आप अपनी बात कर फोन रख देते हो।
            
कभी तो भाभी को देखकर पुरुष प्रधान समाज से घृणा सी आने लगती है। सोचता था कि क्या स्त्री का अस्तित्व मात्र अपनी भावनाओं को छुपाना और परिवार की सेवा करने तक ही सीमित है। बस यही हमारे विचार मेल नहीं खाते और और बहश छिड़ जाती और इसका अंत भाई साहब के इन वचनों से होता था। " हां, देवर जी ठीक है, ऐसा ही करेंगे।"..... बस याद रखिएगा कि आपके विचार से चले तो एक दिन अस्थि विसर्जन की खबर भी ना मिले.... यह उलाहना बहुओं को इंगित करते हुए देते थे जो वाकई आज सार्थक होता नजर आया। 
         
वर्तमान युग में नारी का यह स्वरूप अत्यंत चौकाने वाला लगता है। पहले पूरे परिवार को एकजुट करने वाली स्त्री ना जाने कब अपने स्वार्थ पूर्ति और कमजोरी को आजादी का नाम देकर अपनी मनमानी के लिए परिवार से अलग होती जा रही है। आज उसे ना रिश्तो की चिंता ना भविष्य का डर और जवाब सीधा साधा घर में बैठे रहने से तो होगा नहीं। 
         
आज अपने वर्तमान पर और हमारी खुद की परवरिश पर क्रोध आ रहा था। हमने ही तो बच्चों को अकेला रहना, हॉस्टल में पढ़ना, गर्व से सिखाया था और जब वह माता-पिता से ज्यादा मिनिस्ट्री तो जो पहले वार्डन किया करता था, उसकी बात पर ज्यादा भरोसा करना सीख गया। फिर हमारा पछतावा करना लाजमी नहीं है जो कभी हमारा अहंकार था। वही आज हमारे आंसुओं में झलकता है। सोचते हुए पास पड़ी आराम कुर्सी पर बैठ गया। आंखों में आंसू लिए अपने अतीत में खोता चला गया। 

कैसे जब मात्र मैं 16-17 का रहा होगा, बड़े भाई की शादी होकर जब पहली बार भाभी हमारे घर आई तो पूरा परिवार खुशियों से भरा था। तभी ठीक 15 दिनों बाद अचानक हमारी माता जी का देहांत हार्टअटैक के कारण हो गया। सारे परिवार ने भी बहू के कदम को अशुभ माने। अपने आप को हमारे परिवार से अलग कर लिया या यूं कहे कि बहाना बनाकर हम से छुटकारा पाना चाहा।
         
सबकी  बातों को अनदेखा कर हम दोनों छोटे भाइयों की भाभी ना जाने कब भाभी मां बन गई, पता ही ना चला। हमें हमारी मां की तरह ही देखभाल और विचार मिले। यहां तक कि जब तक हम दोनों की शादी नहीं हुई, खुद की संतान का भी विचार ना किया। 
           
मेरे बेटे से एक महीने छोटा है मानस । पूरा परिवार संयुक्त था और बच्चे हमउम्र थे और उन सबकी लाडली "बड़ी मां".... हमारी पत्नियों ने तो जैसे जन्म ही दिया था उनको, उन दोनों को भी बड़ी बहन का प्यार मिला था। वक्त का पंख उड़ा कर चला गया। हमारे पिताजी गुजरने से पहले... बाद में कोई कलह ना हो के डर से सोचकर बटवारा करके स्वर्गवासी हो गए।
           
शायद यह उनका अनुभव रहा होगा लेकिन आंगन बच्चों के नाम ही रखा। आज भी हम एक ही आंगन और भाभी के साथ ही उनकी छोटी बहन ने (हमारी पत्नियों) की जोड़ी को नमन करते..... लेकिन दुख होता है हम यह भावनाएं अपने बच्चों को ना दे पाए। 
 चाचा जी के स्वर जैसे मुझे नींद से जगाया।देखा तो मानस का छोटा भाई रोहित खड़ा था। वह बोला क्या करें चाचा.......
पापा की हालत तो ठीक नहीं है। भाई से कुछ बात हुई क्या? मैंने बीच में ही रोकते हुए हैं, वह आ रहा है, बात हुई है। रिश्तेदारों को भी बता दो। फिर शाम में अंतिम संस्कार के लिए जाएंगे। भाई साहब को संभालो और फिर भाभी की भी तो इच्छा यही थी। बोलते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गए जिसका वह सामना ना कर पाया और तुरंत पलट कर चला गया। मैं भी अन्य तैयारियों में जुट गया। 
          
अंततः मानस अपने अपराध बोध के साथ दुखी चेहरा उपस्थित हुआ, जिसे देखकर कुछ लोगों उसको देखकर बहुत गुस्सा आया, तो कुछ को उस पर दया आई। लेकिन अब बचा क्या था, उसके आंसू को देख कर मन भर आया और जैसे ही  कहा.. बेटा है हमारा।
 संपूर्ण क्रोध भूल कर हम घाट की ओर बढ़े और अंतिम संस्कार के लिए वहां पहुंचकर किसी ने श्रद्धा, तो किसी ने भावपूर्ण होकर, तो किसी ने आत्मग्लानि और  मिश्रित भाव में अपनी अंतिम विदाई दी, और इसी के साथ  ताउम्र विश्वासी बने रहने की उम्मीद की जाती है उसी ने उन्हें मुखाग्नि दी। अपने अंतिम वचनों के साथ भाभी मां ने भी शायद मानस को क्षमा कर दिया होगा.....क्योंकि मां तो आखिर मां होती है। 
  
अंत में दहकती चिता के साथ मातृप्रेम ने भी अपनी आहुति प्रदान की।

  " समाप्त "

🙏🏻काल्पनिक🙏🏻


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रचनाएँ
डायरी और कलम
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अकेलापन भी दूर हो जाता है, अगर साथ में डायरी और कलम हो....
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🪔दीपोत्सव🪔

23 अक्टूबर 2022
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दीप चाहे जो जले उजाला होना चाहिए घर तेरा हो या मेरा दीपावली होना चाहिए तू बाँट मेरी खुशी मैं तेरे गम बाँट लु त्यौहार तो है सबका पहले मैं और क्या पहले तू तू भी है हकदार हर खुशी का तेरी भी है दि

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बाल दिवस

14 नवम्बर 2022
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मेरी आँखों से गुजरी जो बीते लम्हों की परछाईं न फिर रोके रुकी ये आँखें झट से भर आयीं वो बचपन गुजरा था जो घर के आंगन में लुढ़कता सा मैं भीगा करती थी जिसमें वो सावन बरसता सा याद आई मुझे माँ ने थी जों

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नए वर्ष की शुभकामनाएं

1 जनवरी 2023
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नए साल के स्वागत में नई खुशी नई उमंगे लाएंगे हो नया सवेरा जीवन में निराशा के अंधेरों को मिलकर दूर भगाएंगे नए ख्वाब नए अरमान ले नूतन स्वप्न सजाएंगे भूल पुरानी बातों को नव उत्सव उत्साह मनाएंगे जिंदगी

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विश्व हिंदी दिवस

10 जनवरी 2023
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हिंदी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में काफी अधिक है। हिंदी भाषा भारत देश का गौरव है। भारत की राजभाषा

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राष्ट्रीय बालिका दिवस

24 जनवरी 2023
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दोस्तों आइये आज हम बेटियों के ऊपर चर्चा करते हैं । आज भी हमारे देश में ऐसे सोच वाले लोग है जो बेटे और बेटी में भेदभाव करते हैं , क्योकि ऐसे लोगों को लगता है कि बेटे पूरी जिंदगी हमारे साथ रहकर हमारी से

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बिना शर्त का प्रेम

9 फरवरी 2023
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दुर्बलता, उदासीनता और निराशा जैसे उसके जीवन का अंग बन चुका था, ना जाने क्यों इतनी प्रसिद्धि पाने के बाद जिस कारण से कुछ दिनों से जिस भी प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लेता, उसे निराशा ही हाथ लगती है,

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जीवन में कुछ नया

16 मार्च 2023
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जीवन में कुछ नया नया हो तो कुछ बात अच्छी लगे पुराने ज़ख्मों पे मरहम नया लगे तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,किसी को खाना हज़म नहीं तो किसी को रोटी न मिलेये भेद अगर मिट जाये तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,द

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नवरात्र

22 मार्च 2023
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माँ एक बार फिर सेधरती पर उतरकर देखोआप देख नहीं पाओगी डरी सहमी बेटियों के चेहरेनहीं मिटा पाओगी आप भी मानस पटल पर अंकितउन बेटियों के जख्म गहरेमाँ आप उन्हें गोद में लेकरसहला लोगी थोड़ी देर बहला

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रामनवमी

30 मार्च 2023
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केवट की भक्ति भरी गगरीफल मीठे बेर लिए शबरी,है धन्य अयोध्या की नगरी,अवसादों में जब घिरना,न्याय नीति पर राम अड़े,संग सखा वीर हनुमान खड़े,पशु-पक्षी तक हैं युद्ध लड़े,धन्य हुआ उनका तरना,जो राम नाम रघुराई&

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मजदूर दिवस

1 मई 2023
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मजदूर हूं मैं मजबूर नहीं हां मैं तुमसा नशे में चूर नहीं,निर्माता तो हूं मैं इस जग का,है फक्र मुझे कुछ गुरुर नहीं ईश्वर का दिया वरदान हूं मैं, हर प्रलय परतः निर्माण हूं मैं,नल नील सा बन

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ओडिशा ट्रेन दुर्घटना

3 जून 2023
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किसी की आशा उम्मीदें और वह प्यार रहा होगा, रही होगी किसी की छुट्टी, जुदाईया इतवार रहा होगा, किसी को मिलन की आस होगी तो किसी को अपनों से मिलने का इंतजार रहा होगा,घर से कोई अपने

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विश्व पर्यावरण दिवस

5 जून 2023
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वृक्षारोपण कर करे ,उत्सव की शुरुआत , पर्यावरण की सुरक्षा ,सबसे पहली बात । 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳नदियाँ मुझसे कह रही,चुभता एक सवाल , कहाँ गया पर्यावरण, जीना हुआ मुहाल । 🌲🌲🌲🌲🌲

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उत्सव

8 जून 2023
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जिंदगी को कुछ इस तरह से सजाए,हर दिन नए नए उत्सव मनाए ,चलो सबको मिलकर गले से लगाए ,मधुर स्वर सरगम का साज फैलाए,हर दिन दिवाली के दीप जलाए,होली के रंगों से सबको हम रंगाए,सारे ग़म भुला कर खुशी को अपनाए ,ग

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Father's day 💐

18 जून 2023
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मैं अपने पापा की प्यारी सी परी हूंपापा अपने जज्बातो को आँसूओ मे बहा नहीं पाते पापा हैं न प्यार जता नहीं पाते...मेरी खुशी में खुश बहुत होते हैं लेकिन खुशी जता नहीं पाते पापा है

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Friendship day

5 अगस्त 2023
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अजब सी है यारी हमारी कभी होती है कड़वी तो कभी फूल से भी प्यारीज़िन्दगी के इन सालों में कुछ रिश्ते हैं ऐसे बुनेजैसे काँटों में से हमने हैं फूल चुनेयारों ने दी इस दिल को कुछ ऐसी खुशीजिसका रहेग

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रक्षाबंधन

29 अगस्त 2023
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यह भाई बहन का रिश्ता बडा प्यारा हैयह ना बधां होता किसी डोर से हैयह दिल से दिल का रिश्ता हैमन को उमंग से भरने का किस्सा हैना इसमें कोई छोटा बड़ा हैयह दोस्ती का एक रिश्ता हैहां इसमें नोकझोंक भी हो

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी

6 सितम्बर 2023
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मिलता है सच्चा सुख केवल कृष्ण तुम्हारे चरणों में, यह विनती है पलपल छिन छिनरहे ध्यान तुम्हारे चरणों में, मिलता है सच्चा सुख केवल कृष्ण तुम्हारे चरणों में,चाहे संकट ने आ घेरा हो&nbsp

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हिंदी दिवस

13 सितम्बर 2023
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अपनों में अपनों से तिरस्कृत, इसी व्यथा में जीती हिंदी भाषा पुरातनों से मिली तू स्वर्ण धरोहर,छोड़ तुझे अपनाएं पीतल और कासा पाठ्यक्रमों में भी खूब पढ़ाए, अंग्रेजी जिंगल बेल पहेली&nbs

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बेटियां

24 सितम्बर 2023
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कभी अपने आप में शून्य नजर आती है बेटियां !कभी अपने आप को भीड़ में पाती है बेटियां!कभी किसी गिरे को संभालती है बेटियां!कभी किसी टूटी पतंग सी खुद गिर जाती है बेटियां!कभी अपने आप को बोझ सा पाती है बेटिया

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श्री राम

22 जनवरी 2024
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श्री राम नाम का महत्व है क्या, हर संघर्ष में राम-रामत्व है क्या,कभी अगर तुम संकट में फंस जाओ,एक बार रामचरितमानस पढ़ जाओ।श्री राम नाम रघुराई है। हमारे जीवन की यही दवाई है। सारे महामंत्र

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वो यादगार गणतंत्र दिवस

26 जनवरी 2024
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26 जनवरी 2013,,, हां बिल्कुल ठीक 11 वर्ष पूर्व नौकरी के शुरुआती कुछ साल काटने के बाद, संडे और पब्लिक हॉलिडे के चक्कर से ऊब चुका मेरा विद्यार्थी जीवन फिर से एक बार उन दिनों में लौट जाना चाहता था, जहां

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एक दोस्ती ऐसी भी..

3 अगस्त 2024
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अरे यह क्या, भला यह कैसे संभव है, ऐसा तो नहीं हो सकता। लेकिन मंडल साहब माता बंगलामुखी के अनन्य भक्त होने के साथ-साथ अदृश्य शक्तियों को बहुत मानते थे। लेकिन आज तो जैसे उन्होंने अपने खुली आंखों से चमत्क

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अनेकता में एकता 🇮🇳

15 अगस्त 2024
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सोनम..... सोनम.......सुनकर तुम्हारा नाम सोनम ही है ना? सुनकर अचानक वह चौंक पड़ी, पलट कर देखा लेकिन उसके पहले वह कुछ समझ पाती एक जोरदार झटके ने उसे अपनी ओर खींच लिया। &nb

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दर्द भरी पुकार

16 अगस्त 2024
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बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा अब बंद करो, क्या कुछ पल के लिए सोना उसकी इतनी बड़ी भुल है, क्या सच में बेटियां स्वतंत्र है, इसका क्या कोई जवाब है? यह कैसी चीत्कार है कैसी दर्द भरी पुकार है इसमें वेदना

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नारी का सम्मान

24 अगस्त 2024
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दुनिया कहती है अक्सर ये कुछ नहीं आता उस महिला को, झूठी रश्मों में बंधी है धारी तलवार है वो महिला, संसार का यही दस्तूर है अबला नारी का कौन हुआ हो जाता शून्य वजूद है उसका जब जब जो भी मौन हुआ, अगर वो श

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी

26 अगस्त 2024
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कब तक भटके श्याम मेरे इस कालचक्र के पथ पर काले बादल घुमड़ रहे हैं भावों के अध्यात्मिक रथ पर।छाया चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा हमें अर्जुन सा पथ दरसा दो खाली पड़ी मन की भूमि,निर्म

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हमारा सतरंगी प्यार

30 अगस्त 2024
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मैं हृदय की पीड़ा सी तुम इश्क सुहाने से मैं प्रेम में खोयी सी तुम मस्त मौला से मैं भावना में बही सी तुम भाव के स्वप्न से।मैं पौधो में कांटो सी तुम प्रेमरस कलिका सेम

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सपनों की किताब

2 सितम्बर 2024
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मैं तुम्हारे सपनों की किताब जैसे हुं,तुम कभी मुझे एहसासों में पढ़ो,तुम कभी मुझे जज्बातों में पढ़ो ,तुम हर शब्द में मुझे पढ़ो,मैं तुम्हारे सपनों की किताब जैसे हुं।तुम कभी मेरी खुशी को पढ़ो,तुम कभी मेरे

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शिक्षक दिवस

5 सितम्बर 2024
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गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।आप सभी को शिक्षक दिवस की ढेरों शुभकामनाएं🙏💐भारत में सबसे पहले शिक्षक दिवस 5 सितंबर, 1962 को मनाया गया था।

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हिंदी दिवस

13 सितम्बर 2024
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हिंदी तु भाग्यशालीजन-जन की परिभाषामुख वाचाल क्यानेताओं को भी तुमसे आशासंस्कृत वृहद रूपजिसे जनमानस ने अपनायासमस्त भाषाओं को समेट अपने मेंएक नया रूप दिखलायाक्या शास्त्र क्या उपन्यासतेरी सेवा में किये कव

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पुरानी यादें

14 सितम्बर 2024
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कभी हमें भी याद किया तो होता,हमारे भी जज़्बात को पढ़ा तो होता।तुमसे है यह शिकायत शिकवा हमें,हमसे कभी बात करके देखा तो होता।वो गुजरी पुरानी यादें मोहब्बत की,कभी प्यार का इज़हार किया तो होता।आके द

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समय और जीवन

16 सितम्बर 2024
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अमनोल है ये जीवन और समय आज जीने का मौका है इस जिन्दगी को खुलकर जी लो,तुमको किसने रोका है, यही जीवन की एक यात्रा है, जिंदगी एक सांस का झौंका है,न जानें किस समय ये सांस रुख जाये,ना इ

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मेरी मां

19 सितम्बर 2024
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माँ, जननी, अम्मा, अम्मी, आईइन शब्दों मे पूरी दुनिया समाई अपने पराए सारे रिश्ते धोखा दे देएक मां ही है जो अपने आंचल की छांव दे।जिस दिन मैं धीमी स्वर में बात करूंपता नही मां कैसे पहचान लेते है&nbsp

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ईर्ष्या और लालच

24 सितम्बर 2024
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तुम इस ईर्ष्या लालच को पहचानते हैं,फिर क्यों तुम इस लालच को अपनाते हैं।लालच देकर झूठी फ़ाईलो में छिपा कर, गरीबों की जिन्दगी बहुत महंगी तोलते हैं।चुनाव करीब आते तब याद इनको आती,हमें लालच देकर नये

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जय माता दी

3 अक्टूबर 2024
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हे माँ दुर्गा श्रोत्र व धारा , हे माँ दुर्गा तुम महाशक्ति स्वरूपा,हे नवरात्रि की नवो शक्ति माँ,हे माँ दुर्गा देर भई अब तुम्हें पुकारे,अब तो देखो हमारे मन के द्वारे,हे माँ अब तुम ना दे

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पहला प्यार

7 अक्टूबर 2024
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मां नर्मदा के पावन दर्शन सदा ही सुखमय होता है लेकिन जैसे आज उसे कुछ ज्यादा ही सुखद अनुभव हो रहा था, उसे मैं लगातार देख रही थी, वह अपनी धुन में नमामि देवी नर्मदा की बांसुरी बजा रही थी, लेकिन चौंकाने वा

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सबसे अनमोल है माता पिता

8 अक्टूबर 2024
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माता पिता के प्यार का कोई मूल्य नहीं होता,इनकी सेवा करने से बड़ा कोई तीर्थ स्थल नहीं होता,जिसके होने से मैं खुद को मुकम्मल मानती हूं,मेरा पहला दूसरा सारा प्यार मेरे माता पिता को ही मानती हूं।माता-पिता

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दुनियां

25 अक्टूबर 2024
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कश्मकश में जी रही थी न खुशी थी न रो रही थी यूँ समझ लो कि बंदिशों में जी रही थी मेरा भी हसीन सपना थागैर नहीं वो मेरे दिल में बसा अपना थाकद्र उनको मेरी न थीवो बेफिक्र से लगते थे

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पर्यावरण अनुकूल जीवन

26 अक्टूबर 2024
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मिलकर करे पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत , पर्यावरण की सुरक्षा यह ही सबसे पहली बात।नदियाँ हमसे कहती है चुभता हमेशा एक सवाल,कहाँ गया पर्यावरण अब कैसा जीना हुआ मुहाल।बादलों से पूछो जरा क्या है पानी की

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सच्चा प्रेम पत्र

4 नवम्बर 2024
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आज का टॉपिक देखहमें वह जमाना याद आया,वह दिन रंगते जुनून का सोच अजीब सा नशा छाया खो गए उन पुरानी यादों में जब अक्सर बातें हुआ करती थी वादों मेंतब बातें नहीं अक्षर बयां करते थे प्या

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आशातीत मां

9 नवम्बर 2024
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यह बात बिल्कुल सत्य की एक मां के लिए उनके बच्चों से बढ़कर इस दुनिया में कुछ नहीं होता है। लेकिन क्या एक बच्चे भी अपने माता-पिता को उतना ही प्यार करते है,,,,,,हां, वह तो ठीक है चाचा जी, लेकिन आपने मानस

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