आज का टॉपिक देख
हमें वह जमाना याद आया,
वह दिन रंगते जुनून का सोच
अजीब सा नशा छाया
खो गए उन पुरानी यादों में
जब अक्सर बातें हुआ करती थी वादों में
तब बातें नहीं अक्षर बयां करते थे प्यार
पहले दोस्ती फिर ख्वाहिश
मिलने की और फिर इजहार
तब पत्र के लिए होता था कई दिनों का इंतजार
ऐसा नहीं कि हर पत्र डाकिया ही ले जाता था
कुछ के प्यार के किस्से तो
कोई अपना ही सुनाता था
वह शब्द में ख्वाहिशें लिखना
जिनमें झलकता था सच्चा प्यार
और मिलने की खातिर कईयों को
करना होता था वर्षों का इंतजार
लेकिन तब प्यार सच्चा था वह नहीं था बनावट
बिना किसी इमोजी या व्हाट्सएप मैसेज
या चुराया गया या मिलावटी
पत्र में लिखा हुआ हर वाक्य सच्चा होता था
और किया गया हर वादा तब पक्का होता था
पत्र में लिखी गई आखिरी लाइन की
खत पढ़कर जला देना
बेशक यही दुआ करते थे कि
हे ईश्वर बहुत हुआ अब जल्दी मिला देना
इतना कहने पर भी पत्रों को संभाल कर रखना
कितना जोखिम भरा और प्यार दर्शाता था
चुपके से एक ही खत को कई बार पढ़ना
रह-रहकर तड़पाता था
बंद हुआ वह किस्सा जिसमें होता था
सच्चे प्रेम का हिस्सा
अब व्हाट्सएप चैटिंग और इमोजी का जमाना आया
खत्म हुआ इंतजार पल भर में मिलना मिलाना
वफ़ा वादे सब काफ़ूर हो गए
जो आज मिले वह जाने कब दूर हो गए
प्यार सिर्फ एक मजाक बनकर रह गया
जाने कब हो जाए कल जो आज मिलकर खो गया
जो भी कहो वह प्रेम पत्र ही अच्छा था
जो लिखा होता था वह सच्चा था।