जीवन में कुछ नया नया हो तो कुछ बात अच्छी लगे
पुराने ज़ख्मों पे मरहम नया लगे तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,
किसी को खाना हज़म नहीं तो किसी को रोटी न मिले
ये भेद अगर मिट जाये तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,
दिन रात चोरी हत्या बलात्कार की खबरों से रंगे
अखबारों में अब कुछ सुखद छपे तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,
खुले आसमां के नीचे कैसे कटती हैं सर्द भरी रातें
फुटपाथ पे सोए को आसरा मिले तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,
कहीं बाढ़ कहीं अकाल ये कैसे करिश्में हैं सब
अगर ये सब बाज़ी पलटे तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,
कहर बहुत बरपाया कुदरत ने पिछले सालों में,
ख़ौफ़नाक मंज़र अब कभी न हो तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,
बिन माँ बाप कैसे गुज़रती होगी ज़िन्दगी उनकी
किसी मासूम पर से साया नहीं उठे तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,
वही शहर वही गाँव वही सबकुछ दहशत भरी दिखे
अमावस की रात में चाँद निकले तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,
भीड लगी हैं फरिश्ता बन दिखावा करने की यहाँ लोगो की
आदमी पहले इंसान बने तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,