मिलकर करे पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत ,
पर्यावरण की सुरक्षा यह ही सबसे पहली बात।
नदियाँ हमसे कहती है चुभता हमेशा एक सवाल,
कहाँ गया पर्यावरण अब कैसा जीना हुआ मुहाल।
बादलों से पूछो जरा क्या है पानी की औकात,
बूंद - बूंद के लिऐ न तरसे ये पर्यावरणी बात ।
ग्रीष्म , शरद , वर्षा ये सब हमारे जीवन के आधार,
स्वस्छ रहे पर्यावरण मन में हमेशा ये रखो विचार ।
हरियाली के गीत में गुनगुनाओं प्यारा सा पैगाम ,
पर्यावरण संरक्षण सुधारिए हमेशा स्वस्थ रहे हम।
क्यों फेकते हो कूड़ा- कचरा नदियों में सामान ,
फिर सबको हम ही बांटते फिरते पर्यावरणीज्ञान ।
वृक्ष हमारे मित्र है और ये ही वृक्ष हमारी जान ,
वृक्ष की हमेशा रक्षा कर बनाओ पर्यावरनी शान।
जगत की माता धरती और हम सब उनकी संतान ,
पर्यावरण को संवार माता धरती का करो सम्मान।
पर्यावरण के रक्षक बनो कर लो आज ये संकल्प ,
अपनी धरती को हरा- भरा करो पर्यावरण प्रकल्प।
हमें प्राण वायु देकर ये वृक्ष हमारी बचाएं जान ,
पर्यावरण को सुधारते है ये जैवविविधता मान ।
कुल्हाड़ी चले अगर जंगल पर ये तो पर्यावरणी घात ,
कोरोना काल में सबको चीखते देखे चिंता है दिन रात ।
धरा पर जल , वायु , पर्यावरण , वृक्ष , जीव , इंसान,
पर्यावरण संरक्षण हमारा करो तभी बचेगी कीमती जान ।