*मानव जीवन बहुत ही दुर्लभ है इसे पा करके सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है | किसी भी इच्छित फल को प्राप्त करने के लिए श्रद्धा एवं विश्वास होना आवश्यक है इससे कहीं अधिक किसी भी कार्य में सफल होने के लिए आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है | यदि मनुष्य का आत्मविश्वास प्रबल होता है तो उसे एक ना एक दिन सफलता अवश्य मिलती है , बिना आत्मविश्वास के कुछ भी नहीं प्राप्त किया जा सकता है | कम संसाधन होने पर भी यदि आत्मविश्वास प्रबल है तो मनुष्य कठिन से कठिन कार्य भी सफलता के साथ संपन्न करते हुए अभीष्ट को प्राप्त कर सकता है | सौ योजन का समुद्र लांघने के लिए अनेक वानर वीरों ने अपने अपने बल का बखान किया परंतु उनका आत्मविश्वास समुद्र को लांघने की बात पर डगमगा गया वहीम पवनपुत्र हनुमान पूर्ण आत्मविश्वास के साथ समुद्र को लाँघ कर सीता जी का दर्शन करके पुनः वापस लौट आए | मनुष्य को किसी अन्य की अपेक्षा अपने ऊपर विश्वास होना चाहिए| स्वयं पर विश्वास ही आत्मविश्वास कहा जाता है और यही सफलता का सर्वोपरि रहस्य है | स्वयं पर स्वयं का विश्वास डगमगा जाना ही असफलता का कारण बनता है | अपने कार्य पर या अपनी कार्यकुशलता पर संदेह करना मनुष्य की निर्बलता है और यही निर्बलता मनुष्य को जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता न मिलने का कारण बनते हुए सबसे बड़ा अवरोध बन जाती है और असफल होने पर मनुष्य नकारात्मक होने लगता है | इसलिए जीवन में सर्वप्रथम आत्मविश्वास का होना परम आवश्यक है | प्रायः मनुष्य को किसी भी कार्य के पूर्ण होने या ना होने में दुविधा होने लगती है और इसी दुविधा में पड़कर मनुष्य या तो कार्य प्रारंभ ही नहीं करता या फिर प्रारंभ करते हुए भी बीच में छोड़ देता है | इस दुविधा का कारण आत्मविश्वास की कमी ही कहा जा सकता है और यह आत्मविश्वास तब कम होता है जब मनुष्य को यह लगने लगता है कि शायद यह कार्य मैं नहीं कर पाऊंगा | यह विचार उठते ही मनुष्य उस कार्य के प्रति समर्पित नहीं हो पाता है और उसका बहुमूल्य समय व्यर्थ में नष्ट हो जाता है | आत्मविश्वास के साथ मनुष्य यदि आगे बढ़ता है तो एक दिन वह सफलता के शिखर पर अवश्य पहुंचता है |*
*आज मनुष्य ने बहुत प्रगति कर ली है आत्मविश्वास के बल पर ही वैज्ञानिकों ने अनेक अनुसंधान किए हैं जिनका लाभ आज संपूर्ण विश्व ले रहा है | परंतु वहीं कुछ लोग आत्मविश्वास की कमी के कारण अपना धन , समय एवं यह अनमोल मानव जीवन व्यर्थ में बर्बाद कर रहे हैं | प्रायः लोग कार्य प्रारंभ करके उसे बीच में ही छोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि मैं इस कार्य को करने में सक्षम नहीं हूं और सारा दोष ईश्वर को देते हैं | ऐसे सभी लोगों को मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" बताना चाहता हूं कि कोई भी कार्य करने के पहले सर्वप्रथम अपने आत्मविश्वास को मजबूत करें और मन में किसी संदेह या नकारात्मक विचार को जन्म नहीं लेने दें | यदि स्वयं की क्षमता पर अटूट विश्वास है तो उसे सफल होने से कोई भी नहीं रोक सकता क्योंकि मनुष्य का सबसे बड़ा साथी उसका आत्मविश्वास ही होता है | अनेक साधन - संसाधन होने के बाद भी मनुष्य के कार्य की सफलता उसके आत्मविश्वास पर ही टिकी होती है | प्राय: चिकित्सालय में देखा जाता है कि चिकित्सक रोगी को मृत्यु के निकट पहुंच जाने की घोषणा तक कर देते हैं परंतु रोगी का आत्मविश्वास उसे पुनः जीवन मार्ग पर वापस ले आता है | मनुष्य के जैसे विचार होते हैं वैसा ही विश्वास उसके हृदय में जमने लगता है विचार का प्रभाव मंडल विचार शक्ति के अतिरिक्त उसके लिए गठित आत्मविश्वास से अधिक बढ़ता है | यदि मनुष्य अपने जीवन में आत्मविश्वास की शक्ति को पहचान ले तो उसे उसके लक्ष्य मार्ग पर पहुंचने से कोई भी नहीं रोक सकता | कुल मिलाकर प्रत्येक मनुष्य को यह समझना चाहिए कि दृढ़ आत्मविश्वास ही मानव जीवन में सफलता का रहस्य है |*
*आत्मविश्वास के बिना मनुष्य किसी भी लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर सकता इसलिए प्रत्येक मनुष्य में पूर्ण आत्मविश्वास का होना परम आवश्यक है |*