*सृष्टि के प्रारम्भ में मानव का सृजन करते हुए सबसे पहले ब्रह्मा जी ने अपने अंश से जब मनुष्य बनाया तो वह ब्राह्मण कहलाया | अपने सत्कर्मों के कारण ब्राह्मण सदैव से पूज्यनीय रहा है | वेदमंत्रों के
ज्ञान से तपश्चर्या करके आत्मिक एवं आध्यात्मिक बल प्राप्त कर ब्राह्मण आकाशमार्ग में तो विचरण करता ही था बल्कि वह समुद्रों की तलहटी तक की
यात्रा करके नये - नये ज्ञान अर्जित करके मात्र का कल्याण करता है | वेद - वेदांग , शास्त्र , उपनिषदों का अध्ययन कराके व शिष्यों को ज्ञान वितरित करके ब्राह्मण ने सम्मान प्राप्त किया | ब्राह्मण मानव -
समाज में सर्वोपरि माने जाते थे। देवता तक इनका मुँह ताकते थे और तीनों लोक में ब्राह्मणों की धाक जमी थी | समस्त संसार में ब्राह्मण का आदर होता था और देश-विदेशों में ये गुरु मान कर पूजे जाते थे | ब्राह्मण का कार्य था अन्धकार में प्रकाश करना , सोते हुओं को जगाना , प्राणहीनों में जीवन डाल देना आदि | यह ब्राह्मण ही थे जे बिगड़ों को बना देते थे, गिरे हुओं को उठाते थे, भूले हुओं को राह पर लाते थे | किसी भी धूर्त या चालाक व्यक्ति का आत्मबल इतना प्रबल नहीं था कि किसी सच्चरित्र सदाचारी ब्राह्मण के समक्ष खड़ा हो जाय | छोटे बड़े सभी लोग ब्राह्मण की कृपा-कटाक्ष के लिए लालायित रहते थे | अपनी इसी महत्ता के कारण ब्राह्मण इस पृथ्वी का देवता कहा गया है |* *आज ब्राह्मण यदि अपमान सहन कर रहा है तो उसका कारण कहीं न कहीं से स्वयं ब्राह्मण ही है | आज ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर ब्राह्मणोचित कर्म का त्याग कर देने के बाद भी सम्मान की आशा रखना मूर्खता के अतिरिक्त क्या कहा जा सकता है | ऐसा नहीं है कि सभी ब्राह्मण आज कर्महीन हो गये हैं परंतु जिस प्रकार एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देने का कार्य करती है उसी प्रकार कुछ तथाकथित पथभ्रष्ट ब्राह्मण आज आमिषभोगी एवं मदिरापायी होकर ब्राह्मण समाज को अपमानित कर रहे हैं | जिस ब्राह्मण को पृथ्वी का देवता कहा गया है वहीं कुछ ब्राह्मण आज मनुष्य कहे जाने के योग्य भी नहीं रह गये हैं | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" आज की युवा पीढी को देख रहा हूँ जो ब्राह्मण की पहचान के चिन्ह "शिखा" - "जनेऊ" एवं तिलक - मुद्रा से दूर तो हो ही रहे हैं साथ ही अपने ज्ञान के मुख्य स्रोत वेद - पुराणों से भी दूरी बना रहे हैं | इन्हीं तथाकथित लोगों के कारण ब्राह्मणत्व को स्वयं में बचाये हुए ब्राह्मणोचित कर्म कर रहे बचे हुए कुछ ब्राह्मणों का सम्मान भी दाँव पर है | जो अपने ब्राह्मणत्व को बचाये हुए हैं उनका आज भी सम्मान है | मनुष्य का जन्म बड़े भाग्य से मिलता है , वह भी ब्राह्मणकुल में जन्म लेना परम सौभाग्य है | इस सौभाग्य को बनाये रखने की आवश्यकता है |* *अपना सम्मान बनाना या मिटा देना स्वयं मनुष्य के हाथ में होता है | यदि आपके कर्म अच्छे हैं तो आपका सम्मान अवश्य होगा |*