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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

16 सितम्बर 2022

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल होकर पसर गया।....आँखें बंद और दिमाग में विचारों के झंझावात। आखिर ऐसा हो भी क्यों नहीं, बीते दो दिन, दस अक्तुबर एवं ग्यारह अक्तुबर "और दो हत्याएँ " वह भी इस प्रकार से कि उलझन में डाल दे। वैसे भी आज तक उसने न जाने कितने ही केस साँल्व किए थे,.... परन्तु "मर्डर का यह केस" मानो उसके लिए सिर दर्द के समान था।
                        वह सोच ही रहा था कि अब वो किस प्रकार के "कदम" उठाए कि मामला सुलझाने में उसे सफलता मिले। तभी आँफिस में रोमील ने भी कदम रखा और आकर धम्म से सामने बाली कुर्सी पर बैठ गया। उसके आने से सलिल की तंद्रा टूटी, फिर तो उसने कलाईं घड़ी पर नजर डाली, रात के बारह बज रहे थे। रात के बारह बज चुके थे, ऐसे में थोड़ा सो लेना चाहिए, क्योंकि अगले दिन भी तो भागदौड़ रहने बाली ही-है। ऐसा सोचकर सलिल अपने शीट पर से उठा और आँफिस को अंदर से बंद कर अपनी शीट पर पूर्ववत आकर बैठ गया। परन्तु निंद आए तब न, हृदय में तो विचारों के झंझावात चल रहे थे, तो आँखों में निंद कहां से आती।
                        दिमाग में तो नंदा एवं नंदिनी के हत्या का "दृश्य " घूमने लगता था। वह आवाज "रति संवाद- रति संवाद" एक शोर सा बनकर उसके कान में गूंज रहा था। उसे इस प्रकार की अनुभूति हो रही थी कि "उसके सामने ही, अभी-अभी ही जैसे घटना घटित हुई हो"। उफ!.....कितना भयावह दृश्य होगा, “जब नंदा एवं नंदिनी ने तड़प- तड़प कर दम तोड़ा होगा।.....परन्तु क्यों? इस घटना के पीछे कारण क्या है और इसका सूत्रधार कौन हो सकता है? ऐसे ढेर सवाल थे। जिसका उत्तर उसको ही ढूंढना था,....परन्तु उससे पहले जानना जरूरी था कि इस हत्याओं के कारण क्या है। इस "वीभत्स" हत्या प्रकरण को अंजाम देने बाला आखिर लड़का है, या फिर लड़की है? इन दो प्रश्न के उत्तर मिल जाने पर बाकी के प्रश्न स्वतः ही हल हो जाने थे। इसी दो प्रश्न में तो पूरा का पूरा केस उलझा हुआ था। ऐसे में उसको यही प्रयास करना था कि इन दोनों प्रश्नों के करीब पहुंच जाए।
                           परन्तु उससे पहले....उसको इस सिलसिलेवार होते हत्याकांड को रोकने के लिए भी प्रयास करना था। क्योंकि लगातार इसी क्रम में शहर में हत्याओं को अंजाम दिया गया, तो शहर में एक अराजकता सी छा जाएगी। ऐसे में एक तो मीडिया बाले इस घटना का जमकर फायदा उठाना चाहेंगे। वो अपने टी.आर. पी. को बढाने के चक्कर में अपनी "सीमा" को भूलने से भी गुरेज नहीं करेंगे। दूसरे लोगों का "पुलिस डिपार्ट" से विश्वास उठने लगेगा और दोनों ही स्थिति में उसकी परेशानी बढ जाएगी।.....सलिल अच्छी तरह से जानता था कि वो इन दोनों परिस्थितियों पर नियंत्रण नहीं कर सकता। क्योंकि मीडिया बालों से उलझने की भूल वो अब कर नहीं सकता। क्योंकि मीडिया से उलझकर उसने देख लिया था कि इसका परिणाम क्या होता है।
                            सोचते-सोचते सलिल ने करवट बदला, तभी उसकी नजर रोमील पर गई। रोमील तो आँखें बंद कर कुंभकर्ण की तरह निंद खींच रहा था। उसे इस तरह से निंद खिचता देखकर सलिल को चिढ हुई,.....उसके दिल में हुआ कि खींच कर लात मारे,....परन्तु ऐसा वो अभी तो नहीं कर सकता था। जानता था कि दो दिनों की थकावट उसको भी है, इसलिये उसे सोने देना चाहिए। सोच कर उसने अपनी नजर रोमील पर से हटा ली और फिर वो सोचा कि "खुद भी थोड़ी निंद खींच ले।...परन्तु शायद उसके नसीब में निंद नहीं लिखा था, क्योंकि उसने जैसे ही आँखों को बंद की,....वैसे ही उसके मोबाइल ने वीप दी।
                रात के इस समय कौन हो सकता है? सहसा ही उसके दिमाग में प्रश्न उभड़ा और जैसे ही उसने मोबाइल उठाकर देखा...."एस. पी. साहब सामने फोन लाइन पर थे। बस फिर क्या था, सलिल संभल कर कुर्सी पर बैठ गया और फिर उसने काँल रीसिव की। उधर से साहब ने उसका हाल-चाल पुछा और सीधे पुलिस मूख्यालय आने के लिए कहा। बाँस के आदेश सुनकर सलिल ने सिर्फ हां में सिर हिलाया, फिर तो फोन कनेक्शन कट गया।.....परन्तु बहुत देर तक सलिल फोन को ही घुरता रहा, मानो कि बाँस फोन में ही घुसे बैठे हो। एक तो रात का आलम, दूसरे थकावट, ऐसे में उसकी इच्छा एक कदम चलने की नहीं थी। लेकिन इस स्थिति में वो कर भी क्या सकता था, "बाँस का आदेश आखिरकार पालन करने के लिए होता है"। इसमें मनाही अथवा कोताही करने की छूट नहीं होती।
                            सोचकर वह अपने शीट से उठा, फिर उसने रोमील को उठाया।.....रोमील तो अचानक ही इस प्रकार से निंद से जगाने पर हकबका कर उठा। उसकी सांस तेज-तेज चल रही थी और ऐसे में उसने परेशान नजरों से सलिल को देखा, जिसमें शिकायत के भाव थे। जबकि सलिल ने पहले तो आँफिस में जलते हुए बल्ब को देखा, फिर रोमील को ऊँचे स्वर में सुना दिया कि अभी पुलिस मूख्यालय चलना है, क्योंकि बाँस का आदेश है। सुनकर रोमील मन ही मन चिढा, परन्तु आखिरकार वो कर भी तो कुछ नहीं सकता था, इसलिये मन को मार कर सलिल के पीछे-पीछे आँफिस से बाहर निकला। फिर दोनों स्काँरपियों के पास पहुंचे, सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाल ली और रोमील बगल में बैठा। इसके बाद तो स्काँरपियों श्टार्ट होकर पुलिस स्टेशन के गेट से निकली और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।
                         लेकिन सलिल, वो अपने विचार को किस प्रकार से रोके। जिस रफ्तार से कार सड़क पर भागी जा रही थी, उसी रफ्तार से उसके विचार भी भागे जा रहे थे। पीछे छूटती शहर की ऊँची-ऊँची बिल्डिंगे और पीछे छूटता सड़क। हलांकि सलिल पूरी सावधानी के साथ कार ड्राइव कर रहा था। वैसे तो रात के इस समय सड़क पर ट्रैफिक न के बराबर थी, फिर भी तनिक भूल होने पर परिणाम भयावह हो सकते थे। इसलिये वो सावधान होकर ड्राइव करना चाहता था। लेकिन वो अपने विचारों का क्या करें, जो उसे बार-बार अपने लपेटे में ले रही थी, उसको उलझाए जा रही थी। जबकि बगल बाले शीट पर बैठा हुआ रोमील झपकी लेने में व्यस्त था।
                            उसे इस तरह से निंद लेता देखकर सलिल चिढ गया। परन्तु न जाने क्या सोचकर उसने रोमील को सोने दिया। जबकि आधे घंटे का सफर कब बीत गया, उसे पता ही नहीं चला। पुलिस मूख्यालय आ चुका था, इसलिये उसने कार गेट से अंदर लिया और पोर्च में खड़ी की, फिर रोमील को निंद से जगा दिया। फिर दोनों कार से बाहर निकले और मूख्यालय बिल्डिंग की ओर बढे, मन में संशय लिए हुए। आखिर रात के इस समय मूख्यालय बुलाने का कारण क्या हो सकता है? प्रश्न सहज ही दोनों के मन में उठ रहे थे। रात के इस समय बुलाने का मतलब खास ही हो सकता है। सोचते हुए वे बिल्डिंग के गलियारों से गुजर रहे थे और एस. पी. साहब के आँफिस की ओर बढ रहे थे।
                                    रात के इस समय भी मूख्यालय में काफी चहल-पहल थी। पुलिस अधिकारी पूरी मुस्तैदी के साथ अपने कार्य का संपादन कर रहे थे, जबकि चप्पे- चप्पे पर तैनात सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मी पूरी मुस्तैदी के साथ अपनी डियूटी को निभा रहे थे। गलियारों से गुजरते हुए सलिल की आँखें इन सभी चीजों को देखती जा रही थी। जबकि रोमील, वह तो चलते हुए भी ऊँघ रहा था। उसे ऊँघता देखकर सलिल को अंदर से कुढ़न हो रही थी। उसे अफसोस हो रहा था कि बेकार में ही उसने रोमील को साथ आने के लिए कह दिया। खैर!.....अब क्या हो सकता था, वे दोनों तो एस. पी. साहब के आँफिस के करीब पहुंच चुके थे और जैसे ही उन्होंने अंदर कदम रखा।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022
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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022
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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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