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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022

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इंस्पेक्टर सलिल वैभव!
नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछो, जिससे भी गलती हुई, उसकी तो बन आती थी। फिर तो उस पूरे दिन को सलिल उसके ही पीछे हाथ धो कर पड़ जाता था।... लंबा कद, भरा हुआ चेहरा और शरीर, कड़क मूंछ और बिल्लौरी आँखें। उसपर गोरा रंग, काफी आकर्षक व्यक्तित्व था, सलिल का।
                            इस समय शाम के आठ बज चुके थे और रात का अंधेरा ढलने के साथ ही पूरा पुलिस स्टेशन रोशनी से नहा गया था।....दिल्ली का पाँस इलाका होने के कारण यहां के स्टाफ की जिम्मेदारी भी अधिक थी। दूसरे सलिल किसी भी कार्य को टालने बालों में से नहीं था। इस कारण से यहां के स्टाफ अपने कार्य को निपटाने में मुस्तैद रहते थे।.....यही कारण भी था कि रात के आठ बजने के बाद भी यहां फरियादियों की भीड़ लगी हुई थी। जबकि सलिल वैभव इधर-उधर घूम रहा था।...परन्तु उसकी तेज नजर वहां पर कार्य कर रहे स्टाफ पर ही टिकी थी।
                        उसके व्यवहार का ही खौफ था कि पुलिस बाले मुस्तैदी के साथ अपने कार्य को अंजाम दे रहे थे। वैसे भी अभी सलिल वैभव के पास कोई काम नहीं था और खाली दिमाग तो शैतान का घर होता ही है। लेकिन कब तक? आखिर कब तक वो हाँल में चक्कर लगाता। एक समय ऐसा भी आया कि उसके पांव थकने लगे और फिर वो उस तरफ बढा, जिधर खाली बेंच थी। बेंच पर बैठने के साथ ही उसने सिगरेट की पैकेट निकाली और फिर सिगरेट सुलगा कर होंठों में फंसा लिया। फिर हल्का कश लेकर सोचने लगा।
                               आजकल उसके इलाके में शांति का साम्राज्य है, नहीं तो क्राइम घटित होने पर उसकी परेशानी बढ जाती है। लेकिन आजकल उसके इलाके में छिटपुट अपराध को छोड़ कर कोई वारदात नहीं हो रहा। "क्या यह उसके लिए कम राहत की बात है" अन्यथा तो उसे पता ही नहीं चलता कि दिन कब हुआ और रात कब हुई। हाश! अब रोमील आ जाए, तो आज की कोई खास योजना बनाए।" वैसे भी उसको बहुत दिन हो गए, इस शहर का भ्रमण किए हुए, इसकी खुली हवा में सांस लिए हुए। अब बस रोमील के आने की देर है! वह उसके साथ निकलेगा और सब से पहले किसी फेमश वियर बार में जाएगा। वहां छक कर शराब को गटकेगा, उसके बाद किसी मल्टीप्लैक्स में जाकर सिनेमा देखेगा, नहीं तो ऐसे ही शहर की सड़कों को नापेगा।
                             सलिल अभी तक कुँवारा था, हां गांव में उसकी एंगेजमेंट हो चुकी थी।.....परन्तु अभी तक वो अपनी होने बाली दुल्हनियां से एक तरह से अंजान ही था। बनारस के ठेठ देहात की रहने बाली उसकी होने बाली दुल्हनियां शर्माती बहुत थी। ऐसे में सलिल का उसके करीब जाना, बस एक ख्वाब के समान ही था। परिस्थिति ऐसी थी कि रोमील ही उसे ऐसे समय में सहारा प्रतीत होता था।" रोमील उसका मातहत था और उसके साथ सलिल की अच्छी-खासी जमती थी"। या फिर यूं कहा जा सकता था कि सब इंस्पेक्टर रोमील उसके हर एक राज का राजदार था।
                         उफ! सहसा ही सलिल के होंठों से हल्की आह सी निकली।....कारण कि सिगरेट जलता हुआ उसके अंगुली के पास पहुंच गया था और उसे जलन महसूस हुई थी। विचारों में वो ऐसा खोया था कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी सिगरेट जल कर उसके अंगुली तक पहुंच गई।" होता है, कभी-कभी इंसान अपने बीते दिनों अथवा आने बाले कल को लेकर इस प्रकार उलझता है कि उसके साथ ऐसी छोटी-मोटी घटनाएं घटित हो-ही जाती है। उसको जलन महसूस होना और तभी रोमील ने हाँल में कदम रखा। उसने देख लिया, सलिल को चौंकते हुए और उसके अंगुली तक जली सिगरेट पहुंचते हुए। इसलिये उसके होंठों पर सहज ही मुस्कान थिरक उठी।
                 जबकि उसे मुस्कराता देखकर सलिल थोड़ा सा आवेशित हुआ। एक तो उसके एक छोटी सी भूल ने उसके अंगुली को तपिश दे-दी है। उसपर रोमील मुस्करा रहा है” तो उसे लगा कि उसके जले पर नमक छिड़क रहा हो।.....परन्तु कोई बात नहीं, उल्लू के पट्ठे को समय आने पर सबक जरूर सिखाएगा “ऐसा सबक सिखाएगा कि फिर कभी रोमील ऐसी हिमाकत नहीं करेगा। सोचता हुआ सलिल उठा और अपने आँफिस की ओर बढा। ...रोमील तो बस उसकी परछाईं मात्र था, तो उसका अनुसरण करने लगा। दोनों जैसे ही आँफिस में पहुंचे, सलिल ने आँफिस को अंदर से लाँक किया और रेफ्रीजरेटर की ओर बढा। जबकि रोमील पेंट्री की ओर बढा।
                              करीब पांच मिनट बाद ही दोनों आँफिस चेयर पर बैठे थे, जबकि उनके सामने टेबुल पर रम की बोतल, स्नेक्स और दो गिलास के साथ पानी की जग रखी हुई थी। यह तो उनका प्रतिदिन का नियम था कि आँफिस से निकलने से पहले दो-दो पैग हलक में उतार ले। वैसे भी दोनों एक ही बंगले में रहते थे।" फिर तो आज सलिल ने वैसे ही आज जमकर पीने का मुड बना लिया था"। तो स्वाभाविक ही था कि दोनों वहां से गला तर कर के ही निकलते। अब शराब सामने रखी थी, तो रोमील जानता था कि उसे क्या करना है। अतः वह जाम तैयार करने लगा, जबकि सलिल उसके चेहरे को देखने लगा। अभी उसके नजर में गंभीरता थी, परन्तु उसके हावभाव में कोई तबदीली नहीं थी। उसके हावभाव से पता नहीं चल सकता था कि वह रोमील के चेहरे को देख भी रहा है, वह भी तिरछी नजरों से।
रोमील! सहसा ही सलील धीमे स्वर में बोला।
यश सर! रोमील ने भी पुरी तत्परता के साथ जबाव दिया। जबकि उसकी तत्परता देखकर सलिल के होंठों पर सहज ही मुस्कान आ गई, फिर वह बोला।
रोमील! आजकल शहर में शांति-शांति है, है न।
मैं आपके बोलने का तात्पर्य नहीं समझ सका। रोमील चौंक कर बोला, जबकि सलिल अपनी ही रौ में बोला।
मेरे कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि आजकल अपने इलाके में वारदात का ग्राफ घटा है। छोटे-मोटे अपराध को छोड़ दे, तो कोई बड़ी घटना नहीं हुई है। सलिल बोलकर चुप हुआ ही था कि रोमील ने तैयार हो चुके जाम की ओर इशारा किया। फिर दोनों ने गिलास उठाया और एक स्वर में बोले।
चियर्स!
               इसके बाद दोनों ने हलक में जाम को उड़ेल लिया। कड़वा सा मुंह बना दोनों का, लेकिन कोई फर्क नहीं। उन्होंने तत्काल ही दूसरा जाम भी बनाया और पी गए। हलांकि रोमील कहना ही चाहता था कि सर, आप चाहते हो कि यह शांति नहीं रहे?" आपका इरादा तो नहीं कि अपने इलाके में वारदात का सिलसिला शुरु हो? लेकिन उसने अपना इरादा बदल लिया। जबकि सलिल ने घड़ी देखी" रात के दस बजने बाले थे"। समय देखते ही सलिल अपनी शीट से उठा, तभी उसके मोबाइल ने वीप दी। “इस वक्त कौन हो सकता है? “सोचकर उसने काँल रीसिव किया और उधर से जो कहा गया" उसे लगा कि उसके कान के पास किसी ने बम फोड़ा हो और जोरदार धमाका हुआ हो। एक पल में ही सलिल के सभी मसामों ने पसीना छोड़ दिया, वो पसीने से पूरी तरह भीग गया।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

18 सितम्बर 2022
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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022
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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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