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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत होने लगता था कि शहर अभी भी सजीव है। ऐसे में रोहिणी जिले का विजय विहार इलाका, इसके अंतर्गत इंडस्ट्रियल एरिया भी आता था, परन्तु पाँश इलाका होने के कारण इस इलाके में ज्यादातर शांति ही रहता था।
                 इसी इलाके में होटल "पृथा" थी, दुल्हन की तरह सजी-धजी। इस होटल में "चौबीस" घंटे ग्राहकों को सर्विस दिया जाता था, इसलिये इस होटल में ज्यादा ही चहल-पहल रहती थी। पाँश इलाके में होने के कारण इस होटल में ज्यादातर ग्राहक अमीर ही होते थे। फिर भी कम शुल्क एवं अच्छी सर्विस के कारण यहां मध्यम वर्गीय परिवार के ग्राहकों की तादाद भी आमद होती रहती थी। तभी तो रात के इस समय "होटल के हाँल" में बलजीत बैठा हुआ शराब पी रहा था। सभी आधुनिक सुविधा से लैस इस होटल एवं इसके हाँल में इस समय ग्राहकों की संख्या कोई ज्यादा नहीं थी।
                             इस समय हाँल में कुल पांच ग्राहक बैठे हुए थे और भोजन के साथ ही शराब की भी चुस्की ले रहे थे। परन्तु होटल के वेटरों के चेहरे ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी हो। वे तो उतनी ही तन्मयता से ही ग्राहकों को "आँडर" सर्व करने में लगे हुए थे। इधर बलजीत के टेबुल पर स्काँच की दो बोतल, जिसमें से एक पी चुका था और खाने के लिए आईटम रखा हुआ था। परन्तु वो खा कम रहा था और पीने में ज्यादा लगा हुआ था।.....हाँल की जलती हुई दुधिया रोशनी में स्पष्ट देखा जा सकता था कि उसकी आँखें क्रोध के आवेश में जल रही थी।
                            हां, ऐसा भी बिल्कुल नहीं था कि उस पर सिर्फ क्रोध ही हावी था। उसने नशा भी बहुत कर लिया था और क्रोध एवं शराब "दोनों का मिला-जुला असर था उसपर। उसे जब से सान्या सिंघला ने तिरस्कृत किया था, वो अपमान की आग में जल रहा था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि भला उसमें ऐसी क्या कमी थी कि सान्या ने उसके साथ ऐसा किया?.....बस इसी अपमान की ज्वाला में जलते हुए उसने सान्या का पीछा किया था। उसने देखा था कि सान्या दो घंटे पहले इसी होटल के रूम में उस युवक को लेकर गई थी।.....बस उसने खतरनाक फैसला कर लिया था और कहीं से "देशी कट्टा" उठा लाया था कि आज सान्या का काम ही तमाम कर देगा।
                       इसलिये ही तो वो इस होटल में ग्राहक बना बैठा था और इंतजार कर रहा था कि "सान्या" कब उस युवक के साथ बाहर निकले और कब वो उसको ठिकाने लगा दे।.....बलजीत ने देख लिया था कि सान्या की कार होटल के कंपाऊंड में ही लगी थी, इसलिये वो बड़े आराम से शराब के प्याले को होंठों से लगाकर गटक रहा था। परन्तु उसकी आँखें चौकन्नी थी और वो हाँल में देख रही थी। तभी तो अचानक ही वह चौंका, क्योंकि रात के इस समय वहां, होटल के इस हाँल में सलिल एवं रोमील ने कदम रखा।.....उनको यहां आए हुए देखकर बलजीत की भँवें तन गई। रात के इस समय पुलिस का यहां क्या काम? 
                     प्रश्न स्वाभाविक ही था, जो कि बलजीत के मन में उठा था। परन्तु सलिल एवं रोमील को उनके प्रश्न से किसी प्रकार का मतलब नहीं था। वे तो अपना समय निकालने और रुटिन चेकिंग के लिए ही इस होटल में आए थे। वैसे भी "दो दिन और हुई दो हत्याओं " ने उनके दिमाग को घुमाकर रख दिया था। इसलिये वे आराम करने की बजाय पेट्रोलिंग पर निकले थे और निंद लग रही थी, इसलिये इस होटल में काँफी पीने आ गए थे। इसलिये वे दोनों आगे बढे और खाली टेबुल पर बैठ गए, साथ ही वेटर को दो गरमागरम काँफी लाने के लिए आदेश दिया। फिर वे दोनों काँफी सर्व होने का इंतजार करने लगे। जबकि बलजीत, उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करें।
                       उसके आवेशित आँखों में अब निराशा के बादल मंडराने लगे थे। कहां तो उसने सोचा था कि वह सान्या सिंघला से बदला ले-लेगा और कहां पुलिस बाले अचानक ही टपक पड़े थे। उफ! इसे ही तो कहते है कि " सिर मूंडाते ही ओले पड़े", यह मुहावरा उसके ऊपर चरितार्थ होती हुई सी प्रतीत हो रही थी।.....परन्तु बलजीत दिल्ली का रहवासी था, अतः उसके अंदर हौसला कूट-कूट कर भरा हुआ था। इसलिये उसने मन ही मन फैसला कर लिया कि चाहे जो हो जाए,.....आज वो अपना बदला लेकर ही रहेगा। फिर तो इतनी बातें सोचने के बाद बलजीत अपने लिए पैग तैयार करने लगा, जबकि उसकी तिरछी नजर सलिल एवं रोमील पर ही टिकी रही।
                           उधर सलिल एवं रोमील के आगे काँफी सर्व हो चुका था। इसलिये दोनों काँफी के चुस्की लेने लगे थे,....परन्तु इस बात से अनभिज्ञ कि कोई उनको चोर नजरों से देख रहा है। समय अपनी रफ्तार से आगे की ओर बढता जा रहा था और बीतते समय के साथ ही बलजीत के चेहरे पर बेचैनी परिलक्षित होने लगी थी। लेकिन उसे अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा, क्योंकि उसकी आँखों ने देखा कि सान्या सिंघला सीढ़ियों से उतर रही है और उसके पीछे-पीछे वो नौजवान भी उतर रहा है। फिर क्या था,.....बलजीत भी अपनी जगह से उठा और कैश काउंटर की ओर बढा। लेकिन उसकी नजरें सान्या सिंघला पर ही टिकी रही। बलजीत ने मन ही मन फैसला कर लिया था कि चाहे जो हो जाए, "वो आज अपने शिकार को बचकर नहीं जाने देगा"।
                          बलजीत ने जबतक बील के पैसे चुकाये, सान्या सिंघला उस युवक के साथ होटल गेट से बाहर निकल चुकी थी। अतः उसने भी पैसे चुकाने के बाद बाहर की ओर कदम बढा दिए।....परन्तु वो कहां जानता था कि आज उसके नियति में निराशा ही हाथ लगना लिखा है।.....जब वो होटल गेट से बाहर निकला, उसने सान्या को कार की ओर बढते देखा और फिर बस। उसने अंधेरे की ओट ली और हथियार निकालना ही चाहता था। तभी उसकी नजर बाहर की ओर आ रहे सलिल एवं रोमील पर गई।....उसके हौसले ही पस्त हो गए, उसने जो हिम्मत संजोया था, टूट-टूट कर बिखर गये। अब इस परिस्थिति में शिकार पर वार करना, "मतलब कि खुद ही शिकार हो जाने के बराबर था" और वो कदापि नहीं चाहता था कि ऐसे किसी झमेले में फंसे।
                             इसलिये उसने फिलहाल अपने इरादे को बदल दिया और नजर उधर ही टिका दी, जिधर सान्या सिंघला गई थी। बलजीत की सजग नजर देख रही थी कि सलिल एवं रोमील भी उधर ही बढा था, क्योंकि उनकी स्काँरपियों उधर ही पार्क थी। सलिल एवं रोमील कार में बैठे, श्टार्ट की और बाहर की ओर बढा दी। बलजीत की आँखें देख रही थी कि पुलिस की कार होटल के गेट से निकली और सड़क पर फिसलती चली गई। हाश!....... अब वो अपनी योजना को अंजाम दे सकता है। सोचकर बलजीत ने जैसे ही "देशी कट्टे" को बाहर निकाला, तभी अफसोस, सान्या सिंघला की कार भी गेट से बाहर निकल गई और मिनट भी नहीं लगा,...आँखों से ओझल हो गई। अब तो बलजीत और भी निराश हो गया।
                         उफ!......जिंदगी कितनी हैरान करती है। एक तो वो शांत स्वभाव का था,....परन्तु जीवन में पहली बार उसने कुछ सोचा था और उसकी भावना पर तुषारापात हो गए थे।....कभी-कभी मानव के जीवन में ऐसी घटनाएँ भी घटित हो जाती है, जिसका बेवजह का दंश उसे सालता रहता है।....तभी तो वह शांत चित रहने बाला, अचानक ही क्यों सान्या सिंघला से मिला और उस काली नागिन ने उसके पौरुष को ललकार दिया? आखिर वह भी तो पुख्त वय पुरुष है,...."अपने साथ हुए इस अपमान को कैसे सह सकता है?....इतनी बातें सोचने के बाद बलजीत ने मन ही मन फैसला किया कि आज तो नाकामी मिली, परन्तु सान्या का हिसाब वो कल करेगा। इतनी बातें सोचकर वो अपनी कार की तरफ बढा।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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