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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नितांत घोड़े बेच कर सो रहा था। लेकिन म्यूजिक सिस्टम चालू था और उसपर मुहम्मद रफी के नगमें गुंज रहे थे। बीतते समय के साथ ही सूर्य की किरणें क्षीण होती जा रही थी और लग रहा था कि कभी भी सूर्य देव विश्राम करने को अस्ताचल में चले जाएंगे।
                               उस युवक का चेहरा निंद्रा अवस्था में और भी मासूम लग रहा था, इतना मासूम कि किसी की भी नजर लग सकती थी।....परन्तु वो ज्यादा देर तक नहीं सोया रह सका, क्योंकि अलार्म की आवाज ने अचानक ही उसके निंद में खलल डालने को उद्धत हो गया.....और उसकी आँख खुल गई। उसने आँख खुलते ही सबसे पहले कलाईं घड़ी को देखा, शाम के छ बजकर दस मिनट हो चुके थे।....उफ! वो तो बहुत देर तक सोया ही रह गया, इस प्रकार के विचार सहज ही उसके मन में उभड़े और वो फुर्ती के साथ बेड पर उठकर बैठ गया,....साथ ही उसने अपनी नजर रूम में चारों ओर फैलाई। कहीं किसी प्रकार का बदलाव नहीं था, मतलब कि सामान्य ही था। ऐसे में अब उसे बाहर निकलना चाहिए।
                                सोचते ही वह उठा और चलता हुआ हाँल में आ गया और जैसे ही उसने हाँल में कदम रखा, उसकी नजर टेबुल पर रखी भरी हुई शराब की बोतल पर गई। ओह!.....फेनी, मजा आ जाएगा। सहसा ही उसके मुख से निकला, क्योंकि टेबुल पर "फेनी" की ही बोतल थी और यह उसके लिए सब से उम्दा शराब की क्वालिटी थी।.....इसलिये फिर तो वो अपने-आप को रोक नहीं सका और दो ही कदमों में टेबुल के पास पहुंच गया "और दूसरे ही पल शराब की बोतल उसके हाथ में थी"। फिर देर किस बात की, क्योंकि वह तो उतावला हो चुका था पीने के लिए, इसलिये उसने दांतों से काँक को खोला और गट- गट पीने लगा।
                            मानव मन बहुत ही अजीब है, जिसको आज तक न तो कोई समझ सका है और न ही कोई इसपर लगाम ही लगा सका है। इस "मन" ने सृष्टि के शुरु से लेकर अब तक, इसके जी में आया है, वही किया है। भले ही उसके परिणाम फिर दुख-दाई ही क्यों नहीं हो। बस यही हाल उस नौजवान की थी जो अभी सोकर उठा ही था और शराब को शर्बत की भांति पीए जा रहा था। यहां तक कि उसकी सांसें फूलने लगी थी,.....परन्तु उसने पीना नहीं छोड़ा और बोतल को तभी अपने मुंह से हटाया, जब वह पूरी तरह से खाली हो गई। हां, बोतल खाली होते ही उसके आँखों में संतुष्टि के भाव दृष्टिगोचर हुए। फिर तो उसने खाली बोतल को टेबुल पर रखा और वही रखे सोफे पर बैठ गया। इसके बाद सहसा ही उसे जैसे कुछ याद आया हो, उसने दीवाल पर लगी टीवी को आँन किया और "न्यूज तक “चैनल को लगा दिया।
                                परन्तु जैसे ही उसकी नजर टीवी पर होते डिबेट पर गई, उसके चेहरे पर मुस्कान उभड़ आई। ओह!....यह न्यूज बाले भी न, बिना मतलब के ही कोई कार्यक्रम तड़का लगाकर जनता के सामने प्रस्तुत कर देते है और जनता देखकर पागल होती रहती है। इन बातों को सोचकर फिर उसके होंठों पर मुस्कान आई,....साथ ही उसे तलब भी लगी। इसलिये उसने जेब से चरस की पुड़िया निकाल ली और बनाकर चिलम भरने लगा। लेकिन उसकी नजर अनवरत ही टीवी स्क्रीन पर टिकी रही, मानो वो न्यूज समझने की कोशिश कर रहा हो। परन्तु उसके चेहरे के हाव-भाव से ऐसा नहीं लगता था कि उसके पल्ले कुछ पड़ रहा हो।.....हां, यह अलग बात थी कि उसका चिलम तैयार हो चुका था, इसलिये उसने सुलगा ली और कश खींचने लगा।
                               गाढे धुएँ की मोटी परत हाँल में फैल गई, लेकिन उससे-उसको क्या? उसे तो बस तसल्ली चाहिए थी और इसलिये वो तबतक कश खिंचता रहा, जब तक कि "चिलम में रखी वस्तु" राख में नहीं बदल गई। इसके बाद आँखों में संतुष्टि का भाव लिये उसने लैपटाँप उठाया और उसके की-बोर्ड से छेड़छाड़ करने लगा। इसके साथ ही उसके चेहरे पर गंभीरता छा गई। लगा कि जैसे कोई बहुत ही महत्वपूर्ण बिजनेस डील हो, जिसे वो लैपटाँप के द्वारा निपटा रहा हो। उसके चेहरे पर नितांत शांति पसरा हुआ था, चिर परिचित शांति का साम्राज्य। लेकिन आँखें, उसकी आँखें बिल्कुल भी शांत नहीं थी और लैपटाँप के स्क्रीन पर दौड़ रही थी।
                                  समय बीतता जा रहा था और वो अपने काम की गति को बढाए जा रहा था। तभी अचानक ही उसके मोबाइल ने वीप दी और इसके साथ ही हाँल की लाइट जलने-बुझने लगी। इसके साथ ही वह रहस्यमयी शब्द "रति संवाद-रति संवाद" हाँल में गुंजने लगा। इसके साथ ही उस नौजवान के चेहरे के भाव भी परिवर्तित हो गए। ऐसा लगा कि.....उसके मासूम चेहरे पर पलक झपकते ही "खौफ" ने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया हो। उसके आँखों के चारों ओर स्याह परत सी फैल गई और पल भर में ही वो पसीने से नहा उठा। फिर तो वो एक पल भी बैठा नहीं रह सका। उसने तेजी से सोफे को छोड़ा और उठ खड़ा हुआ, एवं तेजी से मोबाइल की ओर लपका एवं काँल रीसिव किया।
                            इसके साथ ही रूम की स्थिति सामान्य हो गई। फिर तो वो फोन पर बात करने में उलझ गया और जब काँल कट हुई, उसके चेहरे पर निश्चिंतता के भाव थे। इसके बाद तो उसने तेजी से अपने कपड़े बदले और तेजी से बाहर निकला। बाहर बिल्डिंग के अहाते में उसकी फिएट कार खड़ी थी, जिसमें बैठने के साथ ही उसने कार श्टार्ट करके आगे बढा दी। कार जैसे ही फार्म हाउस के गेट से निकली, सड़क पर आते ही रफ्तार पकड़ लिया। फिर तो पांच मिनट भी नहीं बीते होंगे कि कार जंगल से निकल कर दिल्ली की मुख्य सड़क पर दौड़ने लगी। तब उस नौजवान ने कार के शीशे से बाहर देखा, बाहर अंधेरा ढल चुका था और इसके साथ ही शहर रोशनी से जगमग करने लगी थी।
                             परन्तु उस नौजवान को जैसे इन बातों से कोई मतलब न हो। हां, उसे बिल्कुल भी मतलब नहीं था, क्योंकि उसे भूख लगी हुई थी और अपनी क्षुधा शांत करने के लिए वो किसी ढाबे की तलाश में था। वो ऐसे ढाबे की तलाश में था,....जहां स्वादिष्ट भोजन की सुगंध आती हो और वो जी भर कर भोजन कर सके। बस इसी तलाश में वो "कार" को फूल रफ्तार में भगाये जा रहा था। परन्तु.....उसके मन में एक बात बार-बार घूमर कर आ रही थी कि आखिर न्यूज बाले को क्या-क्या सूझता रहता है। बात-बे बात के भी "डिबेट" आयोजित कर देते है और "तुक्का" लगाने की कोशिश करते है। लेकिन जब सारे काम यही कर लेंगे, तो फिर पुलिस बाले की जरूरत ही क्या है?
घर्रर्रर्र......घर्र!
                    सहसा ही टायरों के घिसटने की आवाज से इलाका गुंज उठा। क्योंकि अचानक ही उसको तेजी से ब्रेक दबाने पड़े थे, जिसके कारण उसकी कार "कुछ दूर" तक सड़क पर घिसटती चली गई थी और ऐसा इसलिये हुआ था कि अचानक ही उसके सामने दूसरी कार आ गई थी और उसने ब्रेक न लगाए होते,....भयावह टक्कर हो जाती। लेकिन जैसे ही उसने सामने बाली कार में ड्राइविंग शीट पर बैठी हुई लड़की को देखा,...उसके हौसले पस्त हो गए। फिर तो उसने तेजी से कार पीछे ली और बगल से बड़ी सफाई से कार आगे निकाल ली। जब कार आगे निकली, उसके चेहरे पर राहत के भाव दृष्टिगोचर हुए। फिर तो उसने कार की रफ्तार बढा दी और अपनी उखड़ी हुई सांसों को नियंत्रित करने लगा। साथ ही सोचने लगा कि आज वो बाल-बाल बचा।
                                   उस नौजवान को शांत होने में करीब पांच मिनट लग गए। उसके बाद वो सोचने लगा। उफ!.....आज तो वो बाल-बाल बचा, नहीं तो उससे सामना हो जाती। फिर तो वह उसके बेतुके सवालों के जबाव किस प्रकार से देता? ओह गाँड!.....भला वो उस लड़की के चेहरे को किस प्रकार से भूल सकता है, उसका चेहरा तो लाखों में पहचान लिया जाए,...."ऐसी है"। परन्तु गनीमत है कि आज वो बच गया। इतनी बातें सोचने के बाद उस नौजवान ने राहत की सांस ली और फिर कार को उस सड़क से दूसरी सड़क की तरफ दौड़ा दिया, तभी थोड़ी दूर पर ही उसकी नजर "ढोला दी ढाबा" पर गई और उसने कार रोक दिया।
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क्रमश:-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

16 सितम्बर 2022
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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

16 सितम्बर 2022
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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

16 सितम्बर 2022
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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022
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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

18 सितम्बर 2022
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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

18 सितम्बर 2022
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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022
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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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