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कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022

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दिन के बारह बजे।
रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के बाहर वकील भी अपने-अपने सेटिंग में लगे हुए थे। अंदर कोर्ट रूम में अभी सन्नाटा पसरा हुआ था, क्योंकि लंच टाइम का ब्रेक जो हुआ था।
                  लेकिन वकीलों को इससे क्या? जिसकी चलती थी, वो अपने क्लाइंट से पैसे के लेन-देन के बारे में बातें कर रहा था। तो जिसकी चलती नहीं थी, वह क्लाइंट यानी कि मुल्ले की तलाश कर रहा था। अजीब सा हलचल मचा हुआ था चारों तरफ।....तभी कोर्ट रूम के मुख्य द्वार से सलिल की स्काँरपियों ने प्रवेश किया और पार्किंग में आ कर लगी।....फिर तो सलिल एवं रोमील कार से बाहर निकले और वकील राघव जुनेजा के आँफिस की ओर बढे।....उस राघव जुनेजा के आँफिस की ओर बढे, जिनके बारे में कहावत थी कि वो "केस हारते नहीं"। ऐसे में दोनों चलते हुए जुनेजा के आँफिस में पहुंचे और वहां पहुंचते ही चौंके।
                     .....उनके चौंकने का कारण भी तो विशिष्ट था, क्योंकि वकील जुनेजा, दुनिया से बेफिक्र होकर गहरी निंद में सोया हुआ था। उसके पैर टेबुल पर रखे हुए थे और सिर कुर्सी पर टिकी हुई थी। सामने वीजिटिंग चेयर खाली ही थी, जिससे प्रतीत होता था कि उसके पास कोई काम नहीं हो।.....परन्तु ऐसी बात तो बिल्कुल भी नहीं थी, जुनेजा का तो सिर्फ नाम बिकता था। भरा-भरा गोल चेहरा, आँखों पर चश्मा, घुंघराले बाल और गठा हुआ शरीर, उसपर नीली आँखें और कड़क मूँछें। राघव जुनेजा की यही विशिष्ट पहचान थी। लेकिन उसमें एक खासियत थी कि वो बिना मतलब के केस हाथ में लेता ही नहीं था। इसलिये ही उसके आँफिस में अनावश्यक भीड़ जमा नहीं होती थी।
                   उसे इस प्रकार से गहरी निंद में खोया हुआ देखकर सलिल और रोमील सकते में आ गए। उन्हें इस परिस्थिति में समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें। अगर उन्होंने जुनेजा को कच्ची निंद से जगा दिया और वो खामखा ही बुरा मान गया तो।.....सलिल जानता था कि इस बात की संभावना ज्यादा थी,....क्योंकि जुनेजा मूडियल इंसान था। ऐसे में सलिल उलझन में फंसा हुआ था कि अब क्या करें?....तभी आँफिस में मृदुल शाहा ने कदम रखा और उन्होंने एक बार गहरी नजरों से राघव जुनेजा को निंद में खोए हुए देखा और मुस्कराए,...फिर ऊँचे स्वर में बोले।
मिस्टर जुनेजा.....अब निंद से जगो भी!....देखो, हम लोग आ चुके है। एस. पी. साहब ने कहा और उसकी प्रतिक्रिया भी हुई। जुनेजा की आँख खुल गई और जब उसने उन लोगों को खड़े देखा, हकबका कर संभल कर बैठ गया और खुद पर नियंत्रण करके बोला।
साँरी सर.....आप लोग आए और मैं सो गया था।.....आप लोग बैठिए न। बोलने के बाद जुनेजा एस. पी. साहब के चेहरे को देखने लगा। जबकि तीनों आगे और बैठ गए, तब मृदुल शाहा बोले।
मिस्टर जुनेजा.....इसमें साँरी कहने जैसी कोई बात नहीं है। मैं आपके व्यक्तित्व और कार्य करने के तरीकों से पूर्ण परिचित हूं। बोलने के बाद एस. पी. साहब एक पल के लिए रुके और जुनेजा के चेहरे को देखते हुए थोड़ा आगे झुके, फिर बोले। वैसे मिस्टर जुनेजा.....आप से बात की थी, उसी कार्यवाही के सिलसिले में हम लोग आए हैं।
नो टेंशन सर.....मैं हूं न, देख लूंगा। आप चिन्ता मत कीजिए और निश्चिंत रहिए। कोर्ट का तो काम ही है, फटी में टांग अड़ा देना,.....लेकिन हम वकील लोग है न उस समस्या के निवारण के लिए। एस. पी. साहब की बातें खतम होते ही जुनेजा तपाक से बोला।
                           फिर अचानक ही उसने कलाईं घड़ी को देखा, जो दिन के साढे़ बारह बजने की सूचना दे रही थी। बस जुनेजा अपनी शीट से उठकर आँफिस से बाहर निकला और कोर्ट रूम की ओर बढ गया। तो तीनों ने भी जुनेजा का अनुसरण किया और वे लोग कोर्ट रूम में आ गए। कोर्ट रूम में पहुंच कर एस. पी. साहब ने देखा कि कोर्ट रूम की कार्यवाही शुरु ही होने बाली थी। दर्शक दीर्घा पूरी तरह से भर चुका था और वकील भी अपने-अपने शीट पर बैठ चुके थे। अतः एस. पी. साहब सलिल और रोमील के साथ राघव जुनेजा के बगल में बैठ गए। तभी जज वाय. एस. सिंन्हा ने कोर्ट रूम में कदम रखा और सभी ने उनका उठकर स्वागत किया, इसके बाद कोर्ट कार्यवाही की शुरुआत हुई और जज साहब ने स्वतः संज्ञान का नोटिस उठाकर बोला।
कोर्ट ने शहर में हो रहे तात्कालिक अपराध के संदर्भ में पुलिस को नोटिस दिया था, उसपर ही सुनवाई होनी है। तो .....पुलिस विभाग के तरफ से इस नोटिस का जबाव कौन देगा?.....जज साहब ने अपनी बात कही और नजर उठाकर कोर्ट रूम में देखा। जबकि उनकी बातें सुनने के बाद राघव जुनेजा अपनी जगह से उठा और आगे बढकर जज साहब के सामने पहुंचा,....फिर अपने शब्दों में दुनिया भर की मिठास भरकर बोला।
मिलार्ड....कोर्ट नोटिस का जबाव देने के लिए पुलिस विभाग द्वारा मुझे हायर किया गया है। बोलने के बाद जुनेजा ने अपने हाथों में थामी हुई फाइल को जज साहब की ओर बढाया, फिर पूर्ववत बोला।....मिलार्ड!...पुलिस इन अंधविश्वास पर कभी भी विश्वास नहीं करती और न ही चाहती है कि " अंधविश्वास" का फैलाव जन मानस के बीच हो।
तो फिर शहर में हो रहे अपराध पर "तांत्रिक भूत नाथ" को हायर करना और इस तांत्रिक क्रियाओं का मीडिया कबरेज करवाना? इसके मतलब क्या है? इसपर आप स्पष्टीकरण करेंगे। जुनेजा की बातें खतम होते ही जज साहब तनिक तल्ख लहजे में बोले। जबकि जुनेजा के चेहरे पर इन बातों की कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई हो जैसे, वो पूर्ववत ही बोला।
मिलार्ड!.....इस संदर्भ में पुलिस विभाग ने स्पष्टीकरण कर  दिया है, जो कि आपको दी गई फाइल में मौजूद है। बोलने के बाद जुनेजा एक पल के लिए रुका, फिर आगे बोला। मिलार्ड....जहां तक "तांत्रिक भूत नाथ" की बात है, तो कभी-कभी ऐसी परिस्थिति भी बन जाती है, कि न चाह कर भी हमें ऐसे कार्य करने पड़ते है, जिसे हम कभी स्वीकार नहीं कर सकते।
फिर भी.....मिस्टर जुनेजा,.....इस केस को सुलझाने की अपेक्षा पुलिस "तंत्र-मंत्र" का सहारा लेकर इस केस पर लीपा पोती- कर रही है। जो कि कानून की दृष्टि से अनुचित है और इसलिये कोर्ट पुलिस को आदेश देती है कि इस केस को जल्द से जल्द सुलझाए और इस केस में जो भी "अपराधी" है, उसे जकड़ कर कोर्ट के सामने पेश करें। जुनेजा की बात खतम होते ही जज साहब तल्ख लहजे में बोले और फिर वो नोट-पेड पर इस संदर्भ में आदेश लिखने लगे।
                       ऐसे में जुनेजा समझ चुका था कि जज साहब आगे किसी भी बात को सुनने के मुड में नहीं है। अतः वह पलटा और कोर्ट रूम से बाहर निकल गया। उसे जाते देखकर एस. पी. साहब भी उसके पीछे-पीछे चल दिए। ऐसे में सलिल समझ चुका था कि यहां अब रुके रहने का कोई फायदा नहीं।  इसलिये वो रोमील के साथ कोर्ट रूम से बाहर निकला और कार के पास पहुंचा। फिर तो रोमील ने ड्राइविंग शीट संभाल ली, जबकि सलिल बगल बाली शीट पर बैठ गया। इस विचार में उलझा हुआ कि अब आगे क्या होगा?.....सवाल तो उसका सही ही था, परन्तु इसका उत्तर देने के लिए वो खुद ही जिम्मेदार था। अब वो बाँस से तो नहीं कह सकता था कि तंत्र क्रिया करवा कर आपने जान परेशानी में ला दी।
                            बाँस को तो जो करना था, उन्होंने कर दिया था।....परन्तु इस उलझे हुए मामले को किस प्रकार से सुलझाना है, उसे ही सोचना था और प्रयास भी करना था। साथ ही नितांत जरूरी हो गया था कि "अपराधी" को जल्द ही पकड़ लिया जाए। अन्यथा कोर्ट और मीडिया बालों के सामने पुलिस की किरकिरी होने से कोई नहीं बचा सकता था और उसकी जिम्मेदारी भी उसके माथे ही आनी थी।....फिर बाँस के क्रूर चेहरे से टपकता हुआ आग। उफ!....सोच कर ही सलिल का रोम-रोम सिहर उठा। तब तक रोमील ने स्काँरपियों श्टार्ट करके आगे बढा दी थी और गाड़ी ने सड़क पर आते ही फूल रफ्तार पकड़ लिया था।
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क्रमश:-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

16 सितम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022
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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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