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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

18 सितम्बर 2022

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को हाथ नहीं दिखाई दे रहे थे। ऐसे में सम्यक ने आँखों को अंधेरे में देखने का अभ्यस्त बनाया, फिर स्वीच बोर्ड के सभी बटन को आँन कर दिया। फिर तो झबाका हुआ और पूरी फ्लैट रोशनी से नहा गई।
                           परन्तु वह कुछ मिनटों तक ऐसे ही हाँल में खड़ा रहा, शायद खुद पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा था,....क्योंकि लवण्या से मिलने के बाद उसको जो खुशी हुई थी, उसने उसके शरीर में "बाईब्रेशन" पैदा कर दिया था। जिसकी धमक अब तक थी और उसकी धमनियां अभी तक कंपित हो रही थी। ऐसे में जब उसे थोड़ी शांति महसूस हुई, वह किचन में जाकर अपने लिए गरमागरम काँफी बना लाया और हाँल में रखे सोफे पर बैठकर चुस्की लेने लगा।....परन्तु उसका मन तो कहीं और था,...."हां, लवण्या के पास"। तभी तो वो जब से उससे जुदा हुआ था, उसके बारे में ही सोचे जा रहा था। उफ!....वह तो जिंदगी की त्रासदी से तंग ही हो चुका था, तभी उसको आज लवण्या मिला, “सावन के मीठे-मीठे शीतल फुहारों की तरह"।
                                उसका यूं अचानक ही मिलना और वो अपने जीवन की सारी तपिश, सारे दुःख पल भर में ही भूल गया। आज जो अचानक ही उससे लवण्या मिली, लगा कि उसके जख्मों पर नर्म-नर्म मक्खन लग गए हो और उसे "परम शांति मिल गई हो"। बात सही भी था, क्योंकि लवण्या के बिना उसका जीवन अधूरा- अधूरा लगता था और जब वो मिल गई है,....."उसके जीवन में सतरंगी इंद्रधनुष अपने-आप सज कर निखर जाएंगे। सोचते-सोचते उसने काँफी खतम की, तभी उसके मन में खयाल आया कि लवण्या का मिलना महज संयोग ही नहीं। यह जरूर ईश्वर की असीम अनुकंपा है, जिसने मेरे विरह वेदना से द्रवित होकर ऐसे परिस्थिति बना दिए कि लवण्या "वर्षों बाद अचानक मिल गई।
                              इतनी बातें दिमाग में आते ही उसने ईश्वर को मन ही मन धन्यवाद कहा। सम्यक ईश्वर में सच्ची आस्था रखता था और उसे प्रतीत हो रहा था कि आज जो भी कुछ हुआ, वह ईश्वर की ही कृपा थी। अन्यथा तो ऐसे लवण्या का अचानक से मिल जाना, वर्षों बाद हुआ, जो कि महज संयोग नहीं हो सकता। यह तो उसके दिल को पता था कि "लवण्या की अहमियत उसके लिए कितनी थी"। वह तो कोई उससे पुछे कि उसके जुदा हो जाने पर न जाने कितनी रातों तक सम्यक ने जाग कर गुजारे थे। उसे लगने लगा था कि उसकी जिंदगी वीरान हो गई है। ऐसे में वह काँफी और पुस्तकों के टेबुल तक सिमट कर रह गया था।....लेकिन अब लवण्या मिल गई है, तो ईश्वर कृपा से सब कुछ अच्छा ही होगा।
                            सम्यक ने काँफी खतम कर लिया था और यह सोचने के बाद कि "ईश्वर कृपा से सब कुछ अच्छा ही होगा “अपनी जगह से उठा और वाथरुम मे चला गया। फिर दस मिनट बाद बाहर निकला, तो उसके वदन भीगे हुए थे, यानी कि उसने स्नान किया था। फिर तो वो पुजा रूम की ओर बढा, उस रूम की ओर, जहां उसके बेचैन मन को शांति मिलती थी।....पुजा रूम की सजावट बेहतरीन तरीके से की गई थी और उसमें एक छोटा सा मंदिर स्थापित था। जिसमें "भगवान राम" की प्रतिमा रखी हुई थी, जिनका कि सम्यक आराधना करता था। तभी तो उसने मंदिर के आगे दीप प्रज्वलित किए, अपने कपड़े बदले और फिर ध्यानस्थ मुद्रा में मंदिर के सामने बैठ गया और भगवान की आराधना करने लगा।
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रात के बारह बज चुके थे, जब सलिल पुलिस स्टेशन लौटा और कार पार्क होते ही अपने आँफिस की ओर बढ गया, जबकि रोमील गिरफ्तार आरोपियों को लेकर लाँकअप की ओर बढ गया। सलिल ने आँफिस में पहुंचते ही फ्रीजर खोला और ठंढा पानी की बोतल निकाल कर होंठों से लगा लिया।....फिर तो जब बोतल खाली हुआ, तब ही उसके होंठों से हटा।
                    फिर वो अपनी शीट पर आकर बैठ गया और रोमील का इंतजार करने लगा।....वैसे ही लगातार तीन रातों तक जागरण करने के कारण उसकी आँखें लाल थी। उसके चेहरे पर थकावट के चिन्ह थे और इसी इंतजार में था कि रोमील आए, तो वो चैन की निंद ले सके। परन्तु रोमील का अता-पता नहीं था, ऐसे में वो सोचने लगा कि आखिर इस मामले पर नियंत्रण किस प्रकार से करें। वैसे भी उसे कल कई काम निपटाने थे और साथ ही पुलिस मूख्यालय जाकर बाँस से भी मिलना था।.....आखिर तीसरी हत्या हो चुकी थी और अब बाँस आगे क्या आदेश करते हैं, जानना था।
                          सलिल अभी सोच ही रहा था कि तभी आँफिस के गेट पर पदचाप उभड़ी।.....रात के समय कौन हो सकता है? सलिल सोच ही रहा था कि तभी आँफिस गेट पर मृदुल शाहा जिन्न की तरह प्रगट हो गए और फिर तो सलिल हड़बड़ा कर उठ खड़ा हुआ और इतना ही नहीं जोड़दार सैल्यूट दिया। लेकिन शाहा ने उसके सैल्यूट की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और आगे बढ कर कुर्सी पर बैठ गए।.....उनके बैठते ही सलिल भी बैठ गया, तब तक रोमील भी आ चुका था और सैल्यूट देने के बाद बैठ गया। परन्तु आँफिस में शांति छाई रही, न तो एस. पी. साहब ने बात की शुरुआत की और न सलिल एवं रोमील बोलने की हिम्मत कर सके।
                         ऐसे में आँफिस में शांति छा गई, सर्द खामोशी कि अगर सुई भी गिरे, तो जोरदार धमाका हो। समय तेजी से आगे की ओर भागा जा रहा था और इसी के साथ सलिल की बेचैनी बढती जा रही थी। वो सोच रहा था कि बात की शुरुआत हो,.....लेकिन किस प्रकार से? वह जानता था कि अगर उसने सामने से कोई बात अगर कह दी, जानता था कि गलत प्रतिक्रिया भी हो सकती थी। वह जानता था अपने बाँस के स्वभाव को, इसलिये चुप रहने में ही भलाई समझता था।.....जबकि रोमील,....वो तो जानता था कि दो-दो सीनियर अगर सामने हो, वहां चुप्पी साधने में ही भलाई है। परन्तु आँफिस की चुप्पी ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सकी, क्योंकि एस. पी. साहब ने चुप्पी तोड़ी और गंभीर होकर बोले।
सलिल.....आगे क्या करना है? इसका ब्लू-प्रिंट है तुम्हारे दिमाग में?
नहीं तो सर,.....वैसे अभी मैंने इस बारे में सोचा ही नहीं है।  एस. पी. साहब की बातें सुनकर सलिल ने तत्परता के साथ जबाव दिया। जबकि उसके उत्तर सुनकर एस. पी. साहब मुस्कराए, फिर बोले।
तो सुनो,....सबसे पहले तो तुम तांत्रिक भूत नाथ के पास चले जाना और उसको लेकर "होटल" चले जाना। वहां पर मीडिया बाले पहले ही पहुंच चुके होंगे। उसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने के लिए हाँस्पिटल जाना और वहां से सीधे मेरे पास पहुंचना।
यश सर!......एस. पी. साहब ने जैसे ही अपनी बात खतम की, सलिल ने तत्पर होकर बोला। लेकिन एस. पी. साहब ने शायद उसकी बात सुनी नहीं। वे पूर्ववत ही गंभीर होकर आगे बोले।
और सुनो,....पोस्टमार्टम की रिपोर्ट किसी हालत में मीडिया बालों के हाथ नहीं लगना चाहिए, इस बात का ख्याल खासकर रखना।
                            इसके बाद एस. पी. साहब उसे आगे की योजना समझाने लगे। सलिल उनकी बातों को ध्यान पूर्वक सुन रहा था और जहां उसे लग रहा था कि कमी है, वो अपनी शंकाओं को बता रहा था।.....एस. पी. साहब शांत होकर उसके शंका का समाधान करते जा रहे थे और जब उन लोगों के बीच बातचीत खतम हुई, रात के एक बज चुके थे।.....ऐसे में एस. पी. साहब ने वहां से विदा ली, जबकि उनके जाने के बाद सलिल सोचने लगा कि उसका बाँस कितना " काईंया" है। उन्होंने मीडिया बालों को उलझाने के लिए ही "तांत्रिक भूत नाथ" को इस केस में एंट्री करवाया था। सलिल समझता था कि "तांत्रिक भूत नाथ" के एंट्री ने इस केस में ट्वीस्ट उत्पन्न कर दी थी। ऐसे में पब्लिक और मीडिया, दोनों को इसमें ही उलझ जाना था और पुलिस को इस केस को साँल्व करने में अधिक समय मिलना था।
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क्रमश:-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

16 सितम्बर 2022
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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

16 सितम्बर 2022
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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022
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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

16 सितम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

18 सितम्बर 2022
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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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