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इंस्पेक्टर सलिल.......

16 सितम्बर 2022

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस बात की अनुभूति हो रही थी कि उसके आस-पास कोई अजीब करेक्टर है। लेकिन क्या और किस तरह का? यह सवाल ही था जो उसके अंतरमन में द्वंद्व कर रहा था। .......परन्तु कितने भी मंथन कर लेने के बाद भी वह किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाया था। यही दुविधा शायद उसे बेचैन किए हुए थी।
                             इसलिये अब, जब वो होटल से निकल चुका था और उसकी कार सड़क पर फर्राटे भरती जा रही थी, वो अपने इस द्वंद्व का मंथन कर रहा था। उसकी आँखें ड्राइव कर रहे रोमील पर ही टिकी थी, लेकिन रोमील के चेहरे पर किसी प्रकार के भाव नहीं थे। वह तो बिल्कुल शांत था और ड्राइविंग में ध्यान पिरोएँ था। उसके शांत मन स्थिति को देखकर सलिल को जलन की भी अनुभूति होने लगी थी।.....एक वो है कि इस केस में सोच-सोच कर दुबला होता जा रहा है। उसे बीतते समय के साथ अजीब-अजीब अनुभूति हो रही है और एक रोमील है,...."दुनिया के टेंशन से अछूता और बेफिक्र"। सलिल ने मन ही मन गालियां दी रोमील को। साला! मेरी तरह आँफिसर होता तब न, तब उसको लगता कि बाँस होना अपने-आप में कितनी तकलीफदेह है। "साला" बिना वजह के भी टेंशन के पहाड़ को सिर पर उठाए घूमो और जिम्मेदारी का बोझ भी उठाओ।
                          रोमील का इस तरह से बेफिक्र होकर ड्राइव करना,......सलिल को "फूटी आँख नहीं सुहा रहा था"। परन्तु वो कर भी क्या सकता था रोमील का। रोमील तो डियूटी निभा ही रहा था, वह कोई कोताही तो कर नहीं रहा था।....ऐसे में उसको डांटना भी " मुश्किल " ही था। परन्तु इच्छा की बात है!....बस उसकी इच्छा हो रही थी कि रोमील को डांट की घुट्टी पिलाए। वैसे भी वह जब से पुलिस मूख्यालय से लौटा था, बिल्कुल ही अशांत था। वह अशांत था, इसलिये कि "बाँस ने उसे अजीवो-गरीब आदेश दे दिया था और यह उस व्यक्ति का अंतरात्मा ही महसूस कर सकता है" जब उसे उसके इच्छा के विरुद्ध कार्य करना पड़े।
स्काँरपियों किसी वियर बार के सामने या फिर अंग्रेजी शराब की दुकान के सामने रोकना। सहसा ही सलिल ने धीर-गंभीर स्वर में बोला। क्योंकि उसे लग रहा था कि अब शराब के दो-चार घूंट नहीं लिए न, उसके दिमाग की बत्ती गुल हो जाएगी। जबकि उसकी बातें सुनकर रोमील सहज ही बोला।
यश सर.....! फिर एक पल रुकने के बाद रोमील आगे बोला। ......वैसे सर, मुझे लग रहा है कि आप उलझे हुए है और कोई ऐसी बात है, जो आपको अंदर ही अंदर खाए जा रही है।
हूं, जनाब....अब जाकर आपको ध्यान आया है कि मैं थोड़ा उलझा हुआ हूं। सलिल तनिक चिढ कर बोला। जिसके जबाव में रोमील ने उसकी ओर देखा एवं शांत चित होकर जबाव दिया।
सर....!आप तो खामखा ही नाराज हो रहे हो। मैंने आपको परेशान देख लिया था, परन्तु पुछने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी।....क्योंकि आप तो बिना बात के भी नाराज हो जाते हो।
नहीं.....ऐसी बात नहीं है रोमील। तुम जिस प्रकार से सोच रहे हो, इस प्रकार की बात बिल्कुल भी नहीं है। रोमील की बातें सुनकर सलिल तपाक से बोला, फिर एक पल रुककर फिर बोला।....मैं भी इंसान ही हूं और मेरे पास भी भावनाएँ है। ऐसे में कोई मुझे हर्ट करें,...स्वाभाविक ही-है कि गुस्सा आएगा।
                       बोलने के बाद सलिल ने रोमील के चेहरे की ओर देखा, जहां किसी प्रकार के भाव नहीं थे। सलिल ने अपनी बात खतम की और रोमील उसके बातों का जबाव देना ही चाहता था....तभी उसकी नजर आगे "शराब के दुकान पर गई"....जो सुबह के चार बजे भी खुला हुआ था। बस फिर क्या था, रोमील ने गाङी की रफ्तार धीमी की और सड़क किनारे रोक दी। बस फिर क्या था, स्काँरपियों के रुकते ही सलिल तेजी से बाहर निकला और शराब के दुकान की ओर बढ गया। जबकि रोमील बैठा-बैठा सोचने लगा।
                                     बाँस का व्यवहार कितना अजीब है!.....कभी तो मोम सा नर्म, तो कभी पत्थर से भी अधिक कठोर। उसको दो वर्ष बीत गए थे उनके साथ रहते हुए,....परन्तु अब तक उसे बाँस को समझने में सफलता हासिल नहीं हुई थी। वैसे तो साथ रहना, साथ खाना और साथ घूमना भी था। उसके बिना "बाँस" कहीं नहीं जाते थे, किसी काम को अंजाम देने की बात तो दूर है। परन्तु गाहे-बगाहे डांट देना और किसी के सामने भी जलील कर देना, बाँस के स्वभाव की खासियत थी। इसलिये तो कभी -कभी रोमील की इच्छा होती थी कि किसी दूसरे पुलिस स्टेशन में अपना तबादला करवा ले।....उसने एक दो बार कोशिश भी की थी, परन्तु सलिल ने उसका तबादला होने ही नहीं दिया था।
क्या सोच रहे है जनाब?.....सलिल ने कार का गेट खोलकर बैठते हुए पुछा। फिर साथ लाए हुए शराब की बोतल, गिलास एवं चखने को शीट पर रख दिया। जबकि उसे आया देखकर रोमील की तंद्रा जैसे टूटी। फिर उसने कार श्टार्ट करके आगे बढाया और सधे हुए स्वर में सलिल के प्रश्न का उत्तर दिया।
ऐसी कोई बात नहीं है सर!.....बोलने के बाद रोमील ने अपना ध्यान ड्राइव पर केंद्रित कर दिया। जबकि सलिल ने गाड़ी के आगे बढते ही जाम बनाने की शुरुआत कर दी। फिर गंभीर स्वर में बोला।
अब छोड़ो भी इन बातों को और आओ, दो-दो घूंट शराब पीते है। बोलने के बाद सलिल थोड़ी देर के लिए रुका और जाम बनाने में जुटा रहा, फिर बोला। वैसे रोमील.....बाँस लोगों को पता नहीं, क्या-क्या सूझता रहता है कि जो मन में आया, योजना बना डाली और फैसला सुना दिया। अब इसके पीछे चाहे कितने ही पापड़ बेलने पड़े, या परेशानी उठानी पड़े। बोलने के बाद सलिल रोमील के चेहरे की ओर देखने लगा।
                       सलिल रोमील के चेहरे पर उभड़े भावों को पढना चाहता था,.....परन्तु उसे इसमें सफलता नहीं मिली। क्योंकि रोमील भी तो पूरा "घाघ" था, क्या मजाल जो उसने मन के भाव उसके चेहरे पर प्रदर्शित हो। जबकि रोमील मन ही मन सोच रहा था कि जब आप पर बाँस का अत्याचार होता है, परेशान हो उठते हो।....लेकिन जो आप अपने अधीनस्थ के ऊपर अत्याचार करते हो, उसका क्या? भले ही रोमील मन ही मन इन बातों को सोच रहा था, परन्तु उसका चेहरा सपाट था, भाव रहित। ऐसे में सलिल के हाथों निराशा लगी, तब उसने तैयार हुए "जाम" को रोमील के हाथ में थमाया, दूसरा पैग खुद उठा लिया और टकरा कर एक स्वर में बोले।
चियर्स.....!
                  फिर दोनों ने शराब गटक ली, फिर रोमील ने कार की रफ्तार धीमी कर दी। इसके बाद तो दोनों ने स्काँच की पूरी बोतल गटक ली। इसके बाद सलिल ने कलाईं घड़ी में देखा, सुबह के साढे़ चार बज चुके थे। अब वह पुलिस स्टेशन लौटेगा अपने काम की खाना पूर्ति करेगा। सलिल ने सोचा, फिर उसने रोमील के चेहरे की ओर देखा, रोमील शायद बात करने के मुड में नहीं था और ड्राइविंग में तल्लीन था। ऐसे में सलिल ने भी बात करने की इच्छा टाल दी और सोचने लगा कि आज उसे क्या-क्या करना है।.....वैसे ही बाँस के दिए हुए आदेश के अनुसार उसे किसी तांत्रिक को ढूंढना था।....फिर आगे क्या-क्या करना है, उसकी प्लानिंग करनी थी। सलिल इन बातों को सोच रहा था, जबकि स्काँरपियों फूल रफ्तार से पुलिस स्टेशन की ओर भागी जा रही थी।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

16 सितम्बर 2022
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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

16 सितम्बर 2022
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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

16 सितम्बर 2022
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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022
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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

16 सितम्बर 2022
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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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