शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लिए भेज दिया था और खुद अब एक स्काँच की बोतल लिए लौटा था। वैसे तो उसकी भी यही इच्छा थी कि जाकर मस्त खर्राटे भरी निंद लेगा।....परन्तु उससे पहले जानना जरूरी था कि न्यूज डिबेट में आखिर हुआ क्या? बस यही सोचता हुआ उसने अपार्ट मेंट के अंदर कदम रखा, तो देखा कि लाइटें जली हुई थी।
जरूर रोमील ने जलाया होगा और अब बेडरूम में चादर तान कर सो रहा होगा। सलिल मन ही मन बुदबुदाया और किचन की तरफ बढ गया और जब लौटा, हाथ में आईश बाऊल एवं गिलास लिए था।.....फिर तो उसने शराब की बोतल, आईश बाऊल एवं गिलास को टेबुल पर टिकाया और सोफे पर बैठ गया।....लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे उसे कोई जल्दी नहीं हो,.....या उसके ऊपर हावी थकावट के कारण ऐसा था। इसके बाद उसने एक बार भरपूर नजरों से हाँल को देखा, सुख- सुविधा से युक्त, लेकिन जहां-तहां बिखरे हुए समान। यही तो "बैचलर लाइफ" की विशेषता है।
हाँल में फैली हुई अव्यवस्था को देख कर सहज ही उसके होंठों पर मुस्कान आ गई। इसके बाद तो उसने रिमोट से टीवी आँन की और फिर अपने लिए पैग बनाने लगा। लेकिन उसकी आँखें तो टीवी स्क्रीन पर ही टिकी हुई थी। टीवी स्क्रीन जैसे ही आँन हुई, न्यूज तक के "लोगो दिखाई देने लगा"। तब तक सलिल ने अपने लिए पैग भी तैयार कर लिया था और अब उठाकर होंठों से लगा चुका था। जबकि टीवी स्क्रीन पर न्यूज एंकर "अभीताभ संथाल" आ चुका था और अपने चीर-परिचित अंदाज में दर्शकों का अभिनंदन कर रहा था। ....सलिल जानता था कि अब "अभीताभ संथाल" अपने लच्छेदार वक्तव्यों से न्यूज देखने बालों को मोहित करेगा और यही साबित करने की कोशिश करेगा कि "उसका न्यूज चैनल" सबसे सुपिरियर है।
अतः उसने थामे हुए प्याले से शराब को अपने हलक में उड़ेल लिया और फिर अपने लिये दूसरा पैग बनाने लगा। तभी उसकी नजर फिर से टीवी स्क्रीन पर गई और उसने देखा कि "डिबेट के लिए" पैनल जुड़ चुके थे। ऐसे में सलिल ने दूसरा पैग भी गटक लिया और तीसरा पैग भी बनाने में जूट गया। तब तक टीवी स्क्रीन पर डिबेट शुरु हो चुका था और "अभीताभ संथाल ने एस. पी. मृदुल शाहा को संबोधित करके प्रश्न पुछा।.....सर! शहर में इस तरह से सरेआम हत्याएँ हो रही है। इस बारे में आपकी क्या सोच है? देश की जनता जानना चाहती है। अपनी बातें खतम करके अभीताभ संथाल ने अपनी नजर एस. पी. साहब के चेहरे पर टिका दी।
जबकि सलिल ने अपनी नजर टीवी स्क्रीन पर टिका दी। अब वो सब कुछ भूल चुका था और बस अब यही जानने के लिए बेचैन हो चुका था कि "बाँस इस केस के बारे में आँन स्क्रीन क्या कहते है। सलिल इस बारे में सोच ही रहा था कि तभी टीवी स्क्रीन पर प्रभावशाली स्वर उभड़ा। "मिस्टर अभीताभ" इस घटना के बारे में अभी ज्यादा कहना तो उचित नहीं होगा।...... परन्तु इतनी बातें कहूंगा कि पुलिस इस वारदात को बहुत गंभीरता से ले रही है। हम इस केस में सभी कोण से सोच रहे है और उम्मीद है कि हमें जल्द ही इस केस में सफलता मिलेगी और जल्द ही अपराधी चाहे कोई भी हो," पुलिस के गिरफ्त में होगा"।
लेकिन सर!.....जब आप लोग इस केस को आपराधिक दृष्टिकोण से देख रहे है,....तो फिर तांत्रिक भूत नाथ का आना और तांत्रिक क्रियाएँ करना?.....मतलब नहीं समझ में आ रहा है? एस. पी. साहब के चुप्पी साधते ही टीवी स्क्रीन पर "अभीताभ संथाल" का स्वर गुंजा और उसके इस आवाज ने सलिल की भी उत्तेजना बढा दी। अब वो जानने को बेचैन हो उठा था कि एस. पी. साहब इस प्रश्न का उत्तर क्या देते है।
मिस्टर अभीताभ.....इस बारे में अभी ज्यादा कुछ तो बता नहीं सकता,....परन्तु यह किसी प्रेतात्मा का भी काम हो सकता है। सलिल सोच ही रहा था, तभी टीवी स्क्रीन पर एस. पी. साहब का गंभीर स्वर उभड़ा और सलिल ने देखा कि एस. पी. साहब कुछ पल के लिए रुके, फिर आगे बोले। मैंने आपको पहले ही कहा "अभीताभ" कि पुलिस इस केस में अलग-अलग दृष्टिकोण से जाँच कर रही है और अब तक मिले सबूत से तो यही लगता है कि इस केस में "ऊपरी हवा" के हाथ होने की संभावना ज्यादा है, बस हम उसी संभावना को तलाश रहे हैं।
तो सर!.....मैं यह मान कर चलूं कि पुलिस भूत-प्रेत के अस्तित्व पर विश्वास करती है?....एस. पी. साहब की बातें खतम होते ही अभीताभ ने दूसरा प्रश्न दाग दिया।
नहीं, ऐसी बात है-ही नहीं मिस्टर अभीताभ।...बात विश्वास करने या नहीं करने की नहीं है, बात है संभावनाओं की और.....पुलिस को ये अधिकार है कि वो केस को "हर एक एंगल" से जांचे। फिर तो..... जो सत्य है, वही छन कर आएगा न। अभीताभ के प्रश्न का एस. पी. साहब ने समुचित उत्तर दिया और फिर उन्होंने चुप्पी साध ली। तब अभीताभ दूसरे पैनलिश्टों से इस संदर्भ में बातें करने लगा और जबाव सुनने लगा।
परन्तु सलिल को तो जो सुनना था, जानना था, उसे जान लिया था। इसके बाद उसने अपने लिये तैयार तीसरे पैग को भी हलक में उतार लिया और चौथे पैग की तैयारी करने लगा। साथ ही सोचने लगा, अपने बाँस के बारे में। उसका बाँस कितना तेज-तर्रार है, जो जबाव देने से पहले ही तैयारी कर ली थी। शायद उसके बाँस की यही कोशिश है कि इस सीरियल हत्याकांड का शहर के रहवासी पर नकारात्मक असर नहीं पड़े। लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि उसका बाँस इस केस को दूसरी ओर "मूव" करने की तो नहीं सोच रहे।....नहीं-नहीं ऐसा नहीं हो सकता कि बाँस इस प्रकार के भूल करें। बाँस को जरूर पता होगा कि "ऐसा करने पर, इसके परिणाम कितने भयावह हो सकते है।
सलिल इन बातों को सोच रहा था और साथ ही दूसरे पैनलिश्टों की बातें भी सुनता जा रहा था। साथ ही यह भी सोचता जा रहा था कि आखिर इस केस के कारण क्या है और यह वारदात "आखिर कहा जाकर रुकेगी"। फिर तो....इस केस को वह किस प्रकार से हैंडल करें कि अपराधी कानून के शिकंजे में जकड़ लिया जाए। कार्य अति दुष्कर था, परन्तु करना तो था ही। लेकिन कैसे?.....इस सवाल के जबाव को ढूंढने के लिए वो मनो-मंथन कर रहा था और जब उसे समझ नहीं आया....उसने चौथे पैग को भी हलक में उतार लिया। उफ!.....पुलिस की नौकरी में कितनी जिम्मेदारी है,..... शहर में चाहे जो भी घटना घटित हो, उसकी जिम्मेदारी उठाओ, अपराधी को पकड़ो।
सलिल इन बातों को सोच ही रहा था, तभी टीवी स्क्रीन अचानक ही झिलमिल होने लगी। अचानक से कनेक्शन कटने के कारण को सलिल समझ भी नहीं पाया था, तभी टीवी स्क्रीन पर एक विशाल हाँल की तस्वीर उभड़ी। रोशनी से नहाई हुई और अचानक ही उस रूम की रोशनी जलने-बुझने लगी। सलिल तो समझ ही नहीं पा रहा था कि चलते न्यूज प्रोग्राम के बीच अचानक से यह क्या लाइव प्रसारित होने लगा। तभी टीवी स्क्रीन पर "रति संवाद-रति संवाद" का रहस्यमयी स्वर गुंजने लगा। अचानक ही लाइव न्यूज में इस प्रकार के प्रसारण से सलिल बौखला उठा।
उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अचानक ही न्यूज एजेंसी बालों को क्या सूझी कि इतने "सेंसेटिव वीडियो" को लाइव प्रसारित कर दिया। उफ!...
मीडिया बाले भी न, बिना मतलब की बातों को तूल देने में कोई कसर नहीं छोड़ते। उनका बस चले, तो टी आर पी के लिए कुछ भी "लाइव" प्रसारित कर सकते है। सलिल इस बात को सोच ही रहा था कि तभी टीवी स्क्रीन पर से वह वीडियो गायब हो गया और टीवी डिबेट के पेनलिश्ट दिखने लगे। साथ ही अभीताभ संथाल भी दिखा और स्पष्ट दिखी उसके चेहरे की बौखलाहट। लेकिन कुछ पल बाद ही उसने अपने-आप पर नियंत्रण कर लिया और बीच न्यूज में आए रुकावट के लिए उसने दर्शकों से माफी मांग ली। लेकिन सलिल को इससे कोई मतलब नहीं था, वो तो एस. पी. साहब के चेहरे को देख रहा था, जो भाव-विहीन था।
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क्रमश-: