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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022

16 बार देखा गया 16

शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लिए भेज दिया था और खुद अब एक स्काँच की बोतल लिए लौटा था। वैसे तो उसकी भी यही इच्छा थी कि जाकर मस्त खर्राटे भरी निंद लेगा।....परन्तु उससे पहले जानना जरूरी था कि न्यूज डिबेट में आखिर हुआ क्या? बस यही सोचता हुआ उसने अपार्ट मेंट के अंदर कदम रखा, तो देखा कि लाइटें जली हुई थी।
                          जरूर रोमील ने जलाया होगा और अब बेडरूम में चादर तान कर सो रहा होगा। सलिल मन ही मन बुदबुदाया और किचन की तरफ बढ गया और जब लौटा, हाथ में आईश बाऊल एवं गिलास लिए था।.....फिर तो उसने शराब की बोतल, आईश बाऊल एवं गिलास को टेबुल पर टिकाया और सोफे पर बैठ गया।....लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे उसे कोई जल्दी नहीं हो,.....या उसके ऊपर हावी थकावट के कारण ऐसा था। इसके बाद उसने एक बार भरपूर नजरों से हाँल को देखा, सुख- सुविधा से युक्त, लेकिन जहां-तहां बिखरे हुए समान। यही तो "बैचलर लाइफ" की विशेषता है।
                            हाँल में फैली हुई अव्यवस्था को देख कर सहज ही उसके होंठों पर मुस्कान आ गई। इसके बाद तो उसने रिमोट से टीवी आँन की और फिर अपने लिए पैग बनाने लगा। लेकिन उसकी आँखें तो टीवी स्क्रीन पर ही टिकी हुई थी। टीवी स्क्रीन जैसे ही आँन हुई, न्यूज तक के "लोगो दिखाई देने लगा"। तब तक सलिल ने अपने लिए पैग भी तैयार कर लिया था और अब उठाकर होंठों से लगा चुका था। जबकि टीवी स्क्रीन पर न्यूज एंकर "अभीताभ संथाल" आ चुका था और अपने चीर-परिचित अंदाज में दर्शकों का अभिनंदन कर रहा था। ....सलिल जानता था कि अब "अभीताभ संथाल" अपने लच्छेदार वक्तव्यों से न्यूज देखने बालों को मोहित करेगा और यही साबित करने की कोशिश करेगा कि "उसका न्यूज चैनल" सबसे सुपिरियर है।
                        अतः उसने थामे हुए प्याले से शराब को अपने हलक में उड़ेल लिया और फिर अपने लिये दूसरा पैग बनाने लगा। तभी उसकी नजर फिर से टीवी स्क्रीन पर गई और उसने देखा कि "डिबेट के लिए" पैनल जुड़ चुके थे। ऐसे में सलिल ने दूसरा पैग भी गटक लिया और तीसरा पैग भी बनाने में जूट गया। तब तक टीवी स्क्रीन पर डिबेट शुरु हो चुका था और "अभीताभ संथाल ने एस. पी. मृदुल शाहा को संबोधित करके प्रश्न पुछा।.....सर! शहर में इस तरह से सरेआम हत्याएँ हो रही है। इस बारे में आपकी क्या सोच है? देश की जनता जानना चाहती है। अपनी बातें खतम करके अभीताभ संथाल ने अपनी नजर एस. पी. साहब के चेहरे पर टिका दी।
                         जबकि सलिल ने अपनी नजर टीवी स्क्रीन पर टिका दी। अब वो सब कुछ भूल चुका था और बस अब यही जानने के लिए बेचैन हो चुका था कि "बाँस इस केस के बारे में आँन स्क्रीन क्या कहते है। सलिल इस बारे में सोच ही रहा था कि तभी टीवी स्क्रीन पर प्रभावशाली स्वर उभड़ा। "मिस्टर अभीताभ" इस घटना के बारे में अभी ज्यादा कहना तो उचित नहीं होगा।...... परन्तु इतनी बातें कहूंगा कि पुलिस इस वारदात को बहुत गंभीरता से ले रही है। हम इस केस में सभी कोण से सोच रहे है और उम्मीद है कि हमें जल्द ही इस केस में सफलता मिलेगी और जल्द ही अपराधी चाहे कोई भी हो," पुलिस के गिरफ्त में होगा"।
लेकिन सर!.....जब आप लोग इस केस को आपराधिक दृष्टिकोण से देख रहे है,....तो फिर तांत्रिक भूत नाथ का आना और तांत्रिक क्रियाएँ करना?.....मतलब नहीं समझ में आ रहा है? एस. पी. साहब के चुप्पी साधते ही टीवी स्क्रीन पर "अभीताभ संथाल" का स्वर गुंजा और उसके इस आवाज ने सलिल की भी उत्तेजना बढा दी। अब वो जानने को बेचैन हो उठा था कि एस. पी. साहब इस प्रश्न का उत्तर क्या देते है।
मिस्टर अभीताभ.....इस बारे में अभी ज्यादा कुछ तो बता नहीं सकता,....परन्तु यह किसी प्रेतात्मा का भी काम हो सकता है। सलिल सोच ही रहा था, तभी टीवी स्क्रीन पर एस. पी. साहब का गंभीर स्वर उभड़ा और सलिल ने देखा कि एस. पी. साहब कुछ पल के लिए रुके, फिर आगे बोले। मैंने आपको पहले ही कहा "अभीताभ" कि पुलिस इस केस में अलग-अलग दृष्टिकोण से जाँच कर रही है और अब तक मिले सबूत से तो यही लगता है कि इस केस में "ऊपरी हवा" के हाथ होने की संभावना ज्यादा है, बस हम उसी संभावना को तलाश रहे हैं।
तो सर!.....मैं यह मान कर चलूं कि पुलिस भूत-प्रेत के अस्तित्व पर विश्वास करती है?....एस. पी. साहब की बातें खतम होते ही अभीताभ ने दूसरा प्रश्न दाग दिया।
नहीं, ऐसी बात है-ही नहीं मिस्टर अभीताभ।...बात विश्वास करने या नहीं करने की नहीं है, बात है संभावनाओं की और.....पुलिस को ये अधिकार है कि वो केस को "हर एक एंगल" से जांचे। फिर तो..... जो सत्य है, वही छन कर आएगा न। अभीताभ के प्रश्न का एस. पी. साहब ने समुचित उत्तर दिया और फिर उन्होंने चुप्पी साध ली। तब अभीताभ दूसरे पैनलिश्टों से इस संदर्भ में बातें करने लगा और जबाव सुनने लगा।
                               परन्तु सलिल को तो जो सुनना था, जानना था, उसे जान लिया था। इसके बाद उसने अपने लिये तैयार तीसरे पैग को भी हलक में उतार लिया और चौथे पैग की तैयारी करने लगा। साथ ही सोचने लगा, अपने बाँस के बारे में। उसका बाँस कितना तेज-तर्रार है, जो जबाव देने से पहले ही तैयारी कर ली थी। शायद उसके बाँस की यही कोशिश है कि इस सीरियल हत्याकांड का शहर के रहवासी पर नकारात्मक असर नहीं पड़े। लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि उसका बाँस इस केस को दूसरी ओर "मूव" करने की तो नहीं सोच रहे।....नहीं-नहीं ऐसा नहीं हो सकता कि बाँस इस प्रकार के भूल करें। बाँस को जरूर पता होगा कि "ऐसा करने पर, इसके परिणाम कितने भयावह हो सकते है।
                                सलिल इन बातों को सोच रहा था और साथ ही दूसरे पैनलिश्टों की बातें भी सुनता जा रहा था। साथ ही यह भी सोचता जा रहा था कि आखिर इस केस के कारण क्या है और यह वारदात "आखिर कहा जाकर रुकेगी"। फिर तो....इस केस को वह किस प्रकार से हैंडल करें कि अपराधी कानून के शिकंजे में जकड़ लिया जाए। कार्य अति दुष्कर था, परन्तु करना तो था ही। लेकिन कैसे?.....इस सवाल के जबाव को ढूंढने के लिए वो मनो-मंथन कर रहा था और जब उसे समझ नहीं आया....उसने चौथे पैग को भी हलक में उतार लिया। उफ!.....पुलिस की नौकरी में कितनी जिम्मेदारी है,..... शहर में चाहे जो भी घटना घटित हो, उसकी जिम्मेदारी उठाओ, अपराधी को पकड़ो।
                               सलिल इन बातों को सोच ही रहा था, तभी टीवी स्क्रीन अचानक ही झिलमिल होने लगी। अचानक से कनेक्शन कटने के कारण को सलिल समझ भी नहीं पाया था, तभी टीवी स्क्रीन पर एक विशाल हाँल की तस्वीर उभड़ी। रोशनी से नहाई हुई और अचानक ही उस रूम की रोशनी जलने-बुझने लगी। सलिल तो समझ ही नहीं पा रहा था कि चलते न्यूज प्रोग्राम के बीच अचानक से यह क्या लाइव प्रसारित होने लगा। तभी टीवी स्क्रीन पर "रति संवाद-रति संवाद" का रहस्यमयी स्वर गुंजने लगा। अचानक ही लाइव न्यूज में इस प्रकार के प्रसारण से सलिल बौखला उठा।
                              उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अचानक ही न्यूज एजेंसी बालों को क्या सूझी कि इतने "सेंसेटिव वीडियो" को लाइव प्रसारित कर दिया। उफ!...
मीडिया बाले भी न, बिना मतलब की बातों को तूल देने में कोई कसर नहीं छोड़ते। उनका बस चले, तो टी आर पी के लिए कुछ भी "लाइव" प्रसारित कर सकते है। सलिल इस बात को सोच ही रहा था कि तभी टीवी स्क्रीन पर से वह वीडियो गायब हो गया और टीवी डिबेट के पेनलिश्ट दिखने लगे। साथ ही अभीताभ संथाल भी दिखा और स्पष्ट दिखी उसके चेहरे की बौखलाहट। लेकिन कुछ पल बाद ही उसने अपने-आप पर नियंत्रण कर लिया और बीच न्यूज में आए रुकावट के लिए उसने दर्शकों से माफी मांग ली। लेकिन सलिल को इससे कोई मतलब नहीं था, वो तो एस. पी. साहब के चेहरे को देख रहा था, जो भाव-विहीन था।
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क्रमश-:


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

16 सितम्बर 2022
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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

16 सितम्बर 2022
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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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