रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछताछ करेंगे। बाँस का आँडर मिलते ही रोमील भल्ला एवं श्रेयांश को लेकर लाँकअप की तरफ बढ गया, जबकि सलिल अपने आँफिस की ओर। लेकिन आँफिस में पहुंचने से पहले ही उसको एहसास हुआ कि "उससे बहुत बड़ी गलती हो गई है"।....कहां तो उसको होटल शील करनी चाहिए थी और कहां उसने खुला ही छोड़ दिया। ऐसे में कोई भी होटल में घुसकर छेड़छाड़ कर सकता था और यह सही नहीं था।
इसलिये आँफिस में पहुंचते ही उसने सब-इंस्पेक्टर राम माधवन को काँल किया और निर्देशित करने लगा कि वो आज की रात "होटल सांभवी" में ही गुजारे, साथ ही अपने साथ दो सिपाही भी ले-ले। इसके बाद उसने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया और फ्रीजर की और बढा, फिर पानी की बोतल निकाल कर ले आया और अपनी शीट पर बैठकर गला तर करने लगा। सब-इंस्पेक्टर राम माधवन उसका ही मातहत था और उसने एक छोटी सी गलती की थी, जिसके कारण उसे ट्रैफिक कंट्रोल करने का दंड मिला था। ......सलिल अच्छी तरह से जानता था कि अब राम माधवन फिर से कोई गलती नहीं करेगा।
सोचते समय सहज ही सलिल के होंठों पर मुस्कान आ गई।....परन्तु दूसरे ही पल वो थोड़ा गंभीर हो गया और सोचने लगा। उसकी जुवान काली किस प्रकार से हो गई? मतलब, उसने सोचा नहीं और अपराध घटित हो गई।.....यह संयोग मात्र तो हो-ही नहीं सकता, हां अपराधियों का प्रयोग जरूर है। परन्तु जब तक कोई साक्ष्य नहीं मिलता, अपराधी की पहचान मुश्किल है। साथ ही इस अपराध को किस कारण से अंजाम दिया गया है, वह भी तो बिना सुराग के नहीं मिल सकता। वैसे भी " विक्टीम के साथी के कहे अनुसार" कुछ तो अजीब है इस केस में।.....सलिल भूत-प्रेत के अस्तित्व पर विश्वास नहीं करता था" परन्तु श्रेयांश ने जिस तरह से कहा था, बेवजह तो नहीं हो सकता।
वह सोच ही रहा था, तभी रोमील ने आँफिस में कदम रखा और सामने बाली चेयर पर आकर बैठ गया।....परन्तु उसकी हिम्मत नहीं हुई कि सलिल को टोके। उसे आकर बैठते देख तो सलिल ने भी लिया था, परन्तु वह भी अभी बात करने के मुड में नहीं था। उसे अभी जिस चीज की जरूरत थी," वह थी निंद"। वह अच्छी तरह से जानता था कि आने बाला कल बिल्कुल ही आराम नहीं देने बाला है।.....इसलिये दिन भर फुर्ती बनी रहे, इसके लिये अभी थोड़ा निंद ले-लेना जरूरी था और वो जानता था कि बात करने पर रोमील "भल्ला और श्रेयांश के बारे में ही राग छेड़ेगा।....इस कारण से अभी बात करना टालकर उसने अपने शरीर को कुर्सी पर ही ढीला छोड़ दिया और आँखें बंद कर के झपकी लेने की कोशिश करने लगा।
परन्तु निंद तो जैसे उसके नसीब में ही नहीं लिखा था.....क्योंकि बाहर शोरगुल होने लगी। जो कि समय के साथ ही बढने लगी।.....रात के इस समय पुलिस स्टेशन के बाहर यह शोरगुल किसलिये? सहज ही सलिल के मन में प्रश्न उठा और वो इस विषय में आगे कुछ सोचता, इस से पहले ही एक सिपाही दौड़कर आँफिस में आया और ऊँचे स्वर में बोला। "सर मीडिया बालों ने पुलिस स्टेशन को चारों तरफ से घेर लिया है"। सुनकर सलिल एवं रोमील को झटका लगा। हलांकि रोमील ने सिपाही को कहा भी कि इन लोगों को खदेर कर भगा दो। ...परन्तु सिपाही ने जो उत्तर दिया, वो काफी निराशा जनक था। सिपाही के कहे अनुसार मीडिया बालों की तादाद हजारों में थी और ऐसे में उनपर बल प्रयोग उचित नहीं था। सिपाही की बातें सुनकर सलिल एवं रोमील के हाथ-पांव फूल गए।
सिपाही तो कब का आँफिस से बाहर जा चुका था....परन्तु उसके द्वारा कहे शब्द अभी तक दोनों के कान में गूंज रहे थे। "अब क्या होगा”? प्रश्न सहज ही दोनों के चेहरे पर विराजमान हो गए थे। वैसे सलिल जहां अपने उस गलती को याद कर के खुद को कोश रहा था। जब वह होटल में मीडिया बालों से भीर गया था। वही पर रोमील, उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि मामले ने इतना तूल क्यों पकड़ लिया।.....साहब और मीडिया बालों के बीच हल्की धक्का-मुक्की हुई थी...परन्तु मामला तो वही पर खतम हो गया था। फिर पुलिस स्टेशन का घेराव किसलिये?
खैर! जो होना था, वो हो चुका था और अब सिर पर आ चुके परेशानी से दो-चार होना था। इसलिये रोमील ने सलिल को हिम्मत दिया और फिर दोनों उठे एवं आँफिस से बाहर निकले। वे जब बिल्डिंग के बाहर निकले, उनके होश फाख्ता हो गए....क्योंकि बल्ब की रोशनी में उनकी नजर जहां तक जा रही थी, मीडिया बालों का हुजूम ही नजर आ रहा था। अब क्या होगा?.... रात के इस वक्त मीडिया बालों का यहां जमावड़ा होना, उनके स्वस्थ के लिए अच्छा नहीं होना था। उसमें भी सलिल, उसे तो सहज ही अंदाजा हो गया था कि कल बाँस के सामने उसकी जमकर फजीहत होनी है।....परन्तु अभी क्या करें कि मीडिया बाले यहां से शांत होकर चले जाए? सहज ही सलिल एवं रोमील के मन में एक साथ यह प्रश्न उठा।
सलिल एवं रोमील अभी सोच ही रहे थे कि तभी उनकी नजर मीडिया बालों के बीच से आते एस. पी. मृदुल शाहा पर गई।.....लो हो गया काम! सलिल बड़बड़ा उठा खुद से।....घबरा तो रोमील भी गया था उनको देखकर.....क्योंकि एस. पी. साहब का यहां होना, जरूर वे आज की रात उन दोनों का जमकर क्लास लेंगे। अभी दोनों सोच ही रहे थे कि एस. पी. साहब उसके करीब पहुंच गए। दोनों ने उनको सैल्यूट दिया.....परन्तु वे जबाव देने के बजाए मीडिया बालों से मुखातिब हुए और सहज ही उन्होंने विनम्र स्वर में क्षमा मांग ली। उनकी बातों का असर हुआ और दूसरे ही पल मीडिया बाले कंपाऊंड खाली कर के जाने लगे।
करीब दस मिनट बाद ही पुलिस स्टेशन का कंपाऊंड खाली हो चुका था और अब आँफिस में मृदुल शाहा सलिल के चेयर पर बैठे थे। जबकि सलिल एवं रोमील हाथ बांधे खड़े थे। बल्ब की उजली रोशनी में स्पष्ट देखा जा सकता था कि शाहा का चेहरा सपाट है और उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं होना, दोनों के धड़कन को बढाने के लिए काफी था। वैसे तो एस. पी. साहब का नाम भर मृदुल था....बाकी तो वे अपने मातहत के लिए क्रूर बन जाते थे। बस उनका यही स्वभाव उनके मातहत के बीच खौफ का कारण था और अभी भी यही हाल था। सलिल एवं रोमील का हलक सूख रहा था, माथे से पसीना छलक रही थी।
मिस्टर सलिल.....आप पुलिस डिपार्ट मेंट के जिम्मेदार आँफिसर होकर इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकते है? एस. पी. साहब अचानक ही सपाट स्वर में बोले, फिर एक मिनट रुक कर उन दोनों का चेहरा देखा, फिर बोले। आप इस केस के विवेचना अधिकारी हो...फिर ऐसी गलती। वैसे भी आप लोगों को पहले ही बतला चुका हूं कि किसी भी हालत में मीडिया बालों से नहीं उलझना है।
य...यश सर ! सलिल बस इतना ही बोल सका, परन्तु एस. पी. साहब और भी अधिक कठोर शब्द में बोले।
वो तो भला हो कि मुझे समय पर यहां होने बाले हंगामे की जानकारी मिल गई।.....अन्यथा तो आप ने पुलिस स्टेशन में ड्रामे की तैयारी पूरी तरह कर दी थी।
एस. पी. साहब ने अपनी बात खतम की और उन दोनों के चेहरे को देखने लगे।....परन्तु क्या मजाल कि दोनों में से किसी ने भी एक भी शब्द बोलने की हिम्मत की हो।....दोनों को अच्छी तरह से मालूम था कि अगर उन्होंने अपने होंठ से एक भी शब्द निकाला...डाँट के रुप में ही वापस मिलना है। इसलिये दोनों ने ही चुप्पी साधने में भलाई समझी। ऐसे में करीब दस मिनट तक आँफिस में पूर्ण शांति रही, तब मृदुल शाहा ने अपने शब्दों में हल्की मधुरता घोली और इस केस के संदर्भ में दोनों को निर्देशित करने लगे। परन्तु क्या मजाल कि दोनों में से किसी ने प्रतिक्रिया दी हो।
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क्रमशः-