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राजीव सिंघला.......

16 सितम्बर 2022

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता सूर्य की प्रथम किरणों के आगमन के साथ ही निखर आई थी। परन्तु राजीव सिंघला का चेहरा कुछ गंभीर था, कुछ गंभीर से मतलब कि मुरझाया हुआ। राजीव सिंघला इन दिनों अपने "बेटी सान्या सिंघला" की हरकतों को समझ नहीं पा रहे थे।
                    वैसे तो उन्होंने "सान्या" के परवरिश में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं की थी। उसे जो चाहिए, पल भर में हाजिर हो जाता था, उसकी सेवा में नौकरों की फौज लगी हुई थी और उसे जितनी आजादी चाहिए थी, उसको मिली हुई थी। फिर भी पता नहीं क्यों?......वह उनसे कटी-कटी सी रहती थी। यह बात उनके अंतर्मन को चुभता था, उनके हृदय को कचोटता था।....परन्तु वे कभी हिम्मत नहीं जुटा पाते थे कि सामने से "सान्या" से पुछे कि आखिर बात क्या है?.....वैसे ही वे अच्छी तरह से जानते थे कि सान्या बिन मां के पली-बढी है। भले ही उन्होंने कितनी ही कोशिशें की हो, परन्तु एक "मां" का प्यार और "मां" के समान देख-रेख तो नहीं दे सकते थे, क्योंकि वो मां नहीं बन सकते थे।
                               उनके मन की उलझन भी तो यही थी कि वे संभवतः एक दूरी सी अनुभव करते थे "सान्या" के साथ। भले ही वो कितनी ही कोशिशें कर लेते, परन्तु फिर भी समीपता लाने में खुद को असमर्थ पा रहे थे। शायद यह "सान्या" के स्वभाव के कारण था, अथवा तो उनके बिजनेस में तल्लीन दिमाग के कारण। लेकिन कमी तो थी ही, जो उनको उलझाए हुए थी।....राजीव सिंघला, सूर्य के उदित होते किरणों के साथ ही जग गए थे और अब हाँल में बैठकर सान्या के आने का इंतजार कर रहे थे, या तो गरमागरम काँफी के आने का इंतजार कर रहे थे। उनका यह विशाल बंगला, यह विशाल हाँल उनके अकेले पन की गवाही देता था और कभी-कभी तो उन्हें काट खाने को दौड़ता था।
सर!.....आपका गरमागरम काँफी। हाँल में कदम रखते ही उनका चालीस वर्षीय नौकर सुंदर बोला और उनके करीब पहुंच कर टेबुल पर काँफी का कप टिका दिया और उलटे पांव लौट गया।
                      हूं....शब्द निकला उनके कंठ से और होंठों पर आकर फंसकर रह गया। शायद वे नौकरों से बात नहीं करना चाहते थे.....अथवा तो उनका हृदय इस बात की गवाही नहीं दे रहा था।....लेकिन कब तक, कब तक इंसान किसी से बिना बात किए रह सकता है?....आँफिस में तो उनका दिल बहल जाता था, क्योंकि वहां तो उनसे बात करने बालों की पूरी फौज थी। परन्तु जब वो बंगले पर आते थे, सान्या कहीं निकल जाती थी और रह जाता था उनका वीराना पन। शायद यह उनकी ही कमी थी कि उन्होंने इस संदर्भ में सान्या से कभी बात ही नहीं की थी। कभी उससे पुछा ही नहीं था कि एक वर्ष हो गए उसे, वो अपने रात कहां बिताती है, रात के अंधकार में वह आखिर किस प्रकार के गुल खिलाती है?
                               नहीं-नहीं, इस प्रकार से अक्खड़ बन कर पुछना शायद ठीक नहीं होगा, नहीं तो इसके परिणाम भयावह भी हो सकते है।....आखिरकार "सान्या " जवान हो चुकी है और उसके साथ उसी प्रकार का व्यवहार करना उचित होगा। सोचकर राजीव सिंघला ने काँफी का मग उठाया और होंठों से लगाकर घूंट भरने लगे। परन्तु कहते है न कि जब मानव मन किसी उलझन में हो, उसका विचार उसे छोड़ता ही नहीं। यह विचार ही तो है, जो मानव मन को "आंदोलित" किए रहता है। इस विचार की ही महिला है कि या तो "मानव को नैतिकता के श्रेष्ठ शिखर पर ले जाती है, नहीं तो फिर उसको पतन के गहरे गर्त में डूबा देती है।
                                विचारों के श्रृंखला में डूबे-डूबे ही राजीव सिंघला ने अपनी काँफी खतम की और जैसे ही उन्होंने खाली मग को टेबुल पर रखा, उनकी नजर हाँल में कदम रख रही सान्या पर टिक गई।...."गुलाब के पंखुड़ी सी सान्या”, लेकिन इस समय उसके चेहरे पर थकावट के भाव परिलक्षित हो रहे थे।....ऐसे में राजीव सिंघला की इच्छा हुई कि वो सान्या को रोक ले और पुछे कि "पूरी रात "बीता कर कहां से आ रही है। ....परन्तु उनकी यह इच्छा, उनका यह प्रश्न उनके हृदय में ही रह गया। क्योंकि सान्या ने हाँल में कदम रखा और फिर तेजी से चलती हुई किचन की ओर बढ गई।
                     आज तो बात करना ही होगा, अन्यथा कहीं देर न हो जाए।....राजीव सिंघला के अंतरात्मा की आवाज उभड़ी। परन्तु कैसे?....वो किस प्रकार से बातों की शुरुआत करें?....जो अब तक नहीं लगाया था, उन बंदिशों को "सान्या" पर किस तरह से लागू करें। सोचने लगे राजीव सिंघला, लेकिन उन्हें "वह राह" नजर नहीं आ रहा था, जिसपर वे ढृढता से कदम बढाते। ऐसे में वो अपने हृदय के उलझन से दो-दो हाथ करने लगे, तभी सान्या हाथ में काँफी का मग थामे किचन से निकली और उनके सामने बाले सोफे पर आकर बैठ गई।....उसे करीब आया देखकर राजीव सिंघला "ममत्व" से उसके चेहरे को निहारने लगे। लगा कि उनके हृदय सागर में प्रेम का ज्वार -भांटा उमड़ आया हो और अब वे उस प्रेम के उफान को सान्या पर लुटा देना चाहते हो।
पापा!....लगता है कि आप किसी विचार में डूबे हुए है। सान्या काँफी के घूंट भरती हुई बोली। जबकि सान्या की बातें सुनकर राजीव सिंघला की इच्छा " बलवती" होने लगी कि अपने मन की दुविधा को सान्या के साथ साझा करें।.....परन्तु हृदय के किसी कोने में भय ने भी डंख मारा कि कही सान्या उनके बातों का बुरा मान गई तो?... ऐसे में उन्होंने शांत होकर कहा।
नहीं!....ऐसी कोई बात नहीं है बेटा।....वैसे मैं थोड़ा उलझन में हूं....वह भी तुम्हारे कारण।
वह किसलिये पापा? सान्या चौंक कर बोली, जबकि उसके प्रश्न सुनकर राजीव सिंघला थोड़ी देर के लिए मौन हो गए, फिर बोले।
सान्या बेटा!.....!यह जीवन बहुत कठिन है और इसका कोई भरोसा नहीं। बोलने के बाद राजीव सिंघला थोड़ी देर के लिए चुप हो गए, फिर बोले।....बेटा, जीवन में बहुत सी जिम्मेवारी होती है, इसलिये अब चाहता हूं कि तुम्हारे हाथ पीले करके फ्री हो जाऊँ और फिर तो मेरे विशाल एंपायर को आखिर में संभालना तो तुम्हें ही है।
पापा!.....आप छोड़ो भी न, अभी तो मेरी उम्र ही क्या है। "शादी" ही तो है, समय आने पर कर लूंगी।
                         राजीव सिंघला की बातें खतम होते ही सान्या ने तुनक कर जबाव दिया। जबकि उसके जबाव सुनकर फिर राजीव की हिम्मत ही नहीं हुई कि बात को आगे बढा सके। इसलिये वे उठे और अपने रूम की ओर बढे।.....आखिर उन्हें तैयार होकर आँफिस के लिये भी तो निकलना था।.....फिर तो आज उनको "यंग लाइफ" सेमिनार को संबोधित भी करना था। वैसे तो यह उनके बिजनेस स्ट्रैटजी का हिस्सा था और इसलिये उनकी कंपनी इस प्रकार के प्रोग्राम का आयोजन करती थी।.....बस इस कारण से ही वे ज्यादातर बीजी ही रहते थे। परन्तु अब कभी-कभी उनका ये "अपना लाइफ स्टाइल" खुद उनको ही चुभने लगता था।....उन्हें कभी-कभी तो प्रतीत होने लगता था कि "दौलत के प्रति उनकी यह हवस" कहीं उनको डूबो न दे।
                       परन्तु मानव मन का लालच और श्रेष्ठ बनने की इच्छा, मानव के अंतरात्मा की आवाज को दबा देती है। यही तो राजीव सिंघला के साथ था। उसके मन की इच्छा ही इतनी विशाल थी कि कभी-कभी उन्हें ऐसा प्रतीत होता था कि उनकी "बलवती इच्छा" ही न कभी उनका दम घोंट दे। बात गलत भी तो नहीं था, उन्होंने जमाने के रहन-सहन को करीब से देखा था और उनकी आशंका ऐसे में गलत तो नहीं हो सकती। सोचते हुए वे तैयार हुए और बंगले के बिल्डिंग से बाहर निकले" अपने विचारों के जाले को झटक कर।....परन्तु इंसान इतना समर्थ कहां कि अपने विचारों से मुक्ति पा सके? उसमें न तो ऐसी योग्यता विकसित हुई है और न कभी हो सकती है। बस अपने मन के भार उठाते हुए "राजीव सिंघला" अपने कार के करीब पहुंचे, कार में बैठे और कार श्टार्ट होकर आगे बढ गई।
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क्रमशः-


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रचनाएँ
रति संवाद
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन नहीं कर पाता, तो फिर औरो के लिए नुकसान देय बन जाता है। जीवन जितनी सरल है, हमने अगर जीना नहीं सीखा, यह उतना ही दु:ष्कर बन जाता है। जब हम बिना बजह ही सपनों के पीछे दौङते है, वह सपना भार रुप हो जाता है। प्रारंभ:-
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रति संवाद( जीवन के अनछुए पहलू की कहानी)........

16 सितम्बर 2022
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कहानी के मुख्य शब्द, यानी कि रति संवाद, मानव मन की वेदना का आकलन है। जब कोई किसी के द्वारा छला जाता है, किसी के द्वारा धोखा खाता है, तो उसके हृदय में कुंठा जागृत होती है। जब वह अपने मन की कुंठा का समन

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रोहिणी पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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इंस्पेक्टर सलिल वैभव! नाम के ही अनुरूप शालीनता थी, लेकिन वह तभी तक, जब तक कि उसके मातहत उसके अनुरूप कार्य करते थे। अन्यथा तो थोड़ी सी गलती हुई नहीं कि सलिल से तूफान बनते देर नहीं लगती थी। फिर तो मत पुछ

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होटल सांभवी........

16 सितम्बर 2022
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रात के आठ बज चुके थे! यूं तो शहर रात के आगोश में समा चुका था, परन्तु शहर रोशनी में पूरी तरह नहा चुका था। होटल "सांभवी" को दुल्हन की तरह सजाया गया था। काफी क्षेत्रफल में फैला हुआ होटल "सांभवी", आगे विश

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सलिल का होटल पहुंचना और लाश का मुआयना करना......

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रोहिणी पुलिस स्टेशन! इंस्पेक्टर सलिल ने फोन पर बात करके अभी काँल को डिस्कनेक्ट कर दिया था।.....परन्तु अभी भी सलिल शांत नहीं हुआ था, उसकी धड़कन धौंकनी की मानिंद चल रही थी। उसके चेहरे पर आश्चर्य के भाव ग

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नंदा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजना और सलिल की मीडिया बालों से झरप.....

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श्रेयांश के पास से उठने के बाद सलिल होटल के अंदर की तरफ बढा। होटल पांच मंजिला था, इसलिये सलिल को पूरा होटल खंगालने में करीब एक घंटे का समय लग गया। परन्तु क्या मजाल कि उसके चेहरे पर हल्की सिकन भी आई हो

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सान्या सिंघला......

16 सितम्बर 2022
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रात के करीब एक बजने को थे। अमूमन तो इस समय तक दिल्ली की सड़क की रफ्तार बहुत धीमी हो जाती थी। परन्तु कमर्शियल वाहन की बाढ सी आ जाती थी। जिसमें से अधिकतर बड़ी गाड़ियां होती थी। आज भी सड़क पर बड़ी- बड़ी गाड़िया

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पुलिस स्टेशन.......

16 सितम्बर 2022
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रात के एक बजे के करीब पुलिस काफिला रोहिणी पुलिस स्टेशन पहुंची। इसके बाद वे लोग उतरे और आँफिस की ओर बढे। चलते-चलते सलिल ने रोमील को समझाया कि भल्ला एवं श्रेयांश को लाँकअप में डालो, इससे हम बाद में पूछत

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लवण्या आर.......

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सुबह की प्रभात किरणें फूटने को आतुर हो चली थी। चारों तरफ उजाला फैल चुका था और अंधेरे का साम्राज्य छिन्न -भिन्न हो चुका था।.....तो सहज ही था कि चिड़िये के कलरव से वातावरण गूंज उठे। "यूं तो शहर में कंकरी

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भाव्या बिला.....

16 सितम्बर 2022
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सुबह की किरण ने जैसे ही धरती के आँचल को छूआ, चारों ओर प्रकृति खिल सी गई। ऊँची-ऊँची इमारतें अपने बुलंदी पर इतराने लगी। शहर का कोना-कोना प्रकाश से खिलकर इतराने लगा।.....फिर तो इंडिया गेट की चमक तो विशेष

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सलिल का भागदौङ.......

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सुबह के सूर्य उदय होने के साथ ही सलिल आँफिस से बाहर निकला। उसे बाहर निकलता देखकर रोमील भी उसके साथ निकल पड़ा। वे दोनों प्रांगण में खड़ी स्काँरपियों में बैठे, कार श्टार्ट की और आगे की ओर बढा दी। स्काँरपि

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मुक्ता अपार्ट मेंट......

16 सितम्बर 2022
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अब दिन के दस बज चुका था और इसके साथ ही शहर की गतिविधि अधिक तेज हो गई थी। रोजी-रोटी के लिए भागता शहर, यहां हर एक मानव आगे की ओर निकलने की होड़ में लगा हुआ था। सभी अपने-अपने तरीके से रोजगार उपार्जन में ल

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पुलिस की खोजबीन......

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होटल “सांभवी” से लौटने के बाद पहले तो सलिल एवं रोमील ने पेट- पुजा की।.....उसके बाद सलिल ने रोमील को निर्देशित किया कि टाँर्चर रूम में लेकर आए। दिन के ठीक बारह बजे सलिल भल्ला के साथ टाँर्चर रूम में था।

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होटल मृणालिका.......

16 सितम्बर 2022
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अपने- आप में बहुत सुंदर, नाम के ही अनुरूप "होटल" मृणालिका। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दुल्हन की तरह सजाया गया हो।....गेट पर खड़े दरबान आने बाले ग्राहकों का विनम्रता से स्वागत कर रहे थे। अंदर कंपाऊंड, जि

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सलिल का होटल मृणालिका पहुंचना......

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सलिल वापस तो पुलिस स्टेशन लौटा, परन्तु आँफिस के काम निपटाने के बाद बोर होने लगा। दूसरे शाम के आलम ने ढलते-ढलते रात का रुप ले लिया था।.....जी हां, अब रात के आठ बज चुके थे, इसलिये सलिल को भूख भी लग गई थ

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उन्नति वियर बार......

16 सितम्बर 2022
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रात के दस बजने के साथ ही उन्नति वियर बार का जलवा अपने चरम पर पहुंचने लगा था।....वियर बार होने के कारण यहां जमकर शराब परोसा जात था। साथ ही यहां ग्राहकों के द्वारा जमकर चरस को धुएँ में उड़ाया जाता था। उस

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सलिल का एस. पी. साहब से मिलना......

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होटल मृणालिका से लौटने के बाद जब सलिल अपने आँफिस में पहुंचा, काफी थक चुका था। उसकी आँखें लाल-लाल हो चुकी थी और सांसें चढने लगा था। ऐसे में उसने कुर्सी के पीछे दीवाल पर सिर टिकाया और कुर्सी पर निढाल हो

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पुलिस मुख्यालय......

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एस. पी. साहब रात के इस समय लैपटाँप पर डटे हुए थे। उनकी आँखों में देखकर ऐसा लगता था कि निंद उनसे कोसो दूर है।....आखिर उन्हें निंद आता भी कैसे? जब उनके इलाके में लगातार दूसरे दिन ही नवजवान लड़की की निर्म

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होटल पृथा......

16 सितम्बर 2022
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रात के तीन बज चुके थे और रात्रि के इस पहर में नीरव शांति छा चुकी थी। हां, इस नीरव शांति को कभी-कभी शहर के आवारा कुत्ते, तो कभी-कभी सड़क पर गुजरती बड़ी गाड़ियों की आवाज तोड़ देता थी। इन आवाज से ऐसा प्रतीत

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इंस्पेक्टर सलिल.......

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होटल पृथा से निकलने के बाद स्काँरपियों ने रफ्तार पकड़ लिया और सड़क पर सरपट दौड़ने लगी।....परन्तु न जाने क्यों सलिल को कुछ न कुछ अजीब लग रहा था। वो जब होटल पृथा में गया था और जबतक वहां पर रहा था। उसे इस ब

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राजीव सिंघला.......

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सूर्य की प्रथम रश्मि ने धरती के आँचल को छू लिया था। ऐसे में धरती खिलखिला उठी थी.....!....मंद-मंद मुस्करा उठी थी। तो फिर शहर की गलियां भी खिलखिला उठे,.... लाजिमी ही था। तभी तो "भाव्या बिला" की सुंदरता

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तांत्रिक भूतनाथ......

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सुबह के आठ बज चुके थे। प्रभात किरण और भी प्रखर हो चुकी थी, परन्तु तेरह अक्तुबर की सुबह, वातावरण में फूल गुलाबी ठंढी का एहसास घुला हुआ था। ऐसे में सलिल पुलिस स्टेशन लौट आया था और अब फाइलों में उलझा हुआ

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सेमीनार.......

16 सितम्बर 2022
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दिल्ली का वह “इंजीनियरिंग एण्ड डेवलपमेंट फाँर यूथ” का विशाल हाँल। गोलाकार शेप में बना हुआ हाँल काफी भव्यता लिए हुए था। उसमें भी बड़ी बात कि यहां “यंग लाइफ” सेमिनार आयोजित होना था,….इसलिये अभी यहां काँल

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होटल सांभवी में तंत्र साधना.....

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दिन के तीन बजने के साथ ही " होटल सांभवी" के आस- पास चहल-पहल बढ गई थी। वैसे तो इस होटल में अपराध घटित हुआ था, यह पुलिस के द्वारा शील कर दिया गया था और इसके रक्षा की जिम्मेदारी सब- इंस्पेक्टर राम माधवन

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न्यूज डिबेट.....

16 सितम्बर 2022
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शाम के छ बजते ही सलिल अपने अपार्ट मेंट पर पहुंच गया था। वैसे ही वो बहुत ही थका हुआ था और दूसरी ये बात थी कि उसे पता नहीं था कि कितनी रातें जागकर बितानी पड़े।.....इसलिये उसने रोमील को पहले ही सोने के लि

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चंद्रिका वन फार्म हाउस......

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शाम के छ बज चुके थे और ढलती हुई सूर्य लालिमा के बीच चंद्रिका वन फार्म हाउस की छटा और भी निखर उठी थी। साथ ही निखरने लगा था बिल्डिंग का रंगत। उस बिल्डिंग के अंदर बेडरूम में सोया हुआ वही सुन्दर युवक, नित

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लवण्या एवं सम्यक का मिलन.......

18 सितम्बर 2022
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लवण्या कार को यूं ही भगाये जा रही थी, बेतहाशा, बिना किसी मकसद के। उसका तो रोज का ही काम था, दिल्ली की सड़क को छानना। बस वह एक झलक पाना चाहती थी और अचानक ही उसकी कार एक्सीडेंट होते-होते बची। उसे तो लगा

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तीसरी हत्या होटल सन्याल में.......

18 सितम्बर 2022
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रात के नौ बज चुके थे, इसलिये आस-पास के इलाके में अब धीरे-धीरे शांति पसरने लगी थी। उसी शांति के आभास में तो सभी जीते है,.....परन्तु हाँल में अभी शांति नहीं थी, क्योंकि टीवी मध्यम आवाज में अभी भी चल रही

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वियर बार में सम्यक एवं लवण्या......

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रात के ग्यारह बज चुके थे। अब तो वियर बार में भीड़ छंटने लगी थी और संभवतः घंटे भर बाद बंद भी होने बाला था। ऐसे में सम्यक ने लवण्या के आँखों में देखा, फिर गंभीर स्वर में बोला। लवण्या.....मेरे विचार से र

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सम्यक की खुशी और ईश्वर आराधना.......

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रात के बारह बजने को ही था, तभी सम्यक की कार अपार्ट मेंट के अहाते में आकर लगी। फिर वो तेजी से बाहर निकला और अपने फ्लैट की ओर बढा, लाँक खोली और अंदर प्रवेश कर गया। अंदर धूप्प अंधेरा था, ऐसे में हाथ को ह

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सलिल का तांत्रिक भूत नाथ से मिलना और भूत नाथ की तांत्रिक क्रिया.......

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एस. पी. साहब के जाने के बाद सलिल गहरी निंद में सोया था और इसके कारण ही उसको राहत की अनुभूति हो रही थी। उसने देखा कि रोमील के चेहरे पर भी ताजगी थी और उस ताजगी को देखकर समझ गया था कि उसके सोने के बाद वह

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पुलिस को कोर्ट की नोटिश........

18 सितम्बर 2022
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अपने आँफिस में लौटते-लौटते सलिल को दस बज गए। करीब दस बजे वह अपने आँफिस में पहुंचा और पहुंचते ही चौंक गया। उसने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, अपने टेबुल पर रखे हुए लिफाफे को देखकर उसे चार सौ चालीस बोल्ट क

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कोर्ट रुम........

18 सितम्बर 2022
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दिन के बारह बजे। रोहिणी कोर्ट का प्रांगण, हलचल होता हुआ, वहां हर एक को जल्दी थी। किसी को अग्रिम जमानत चाहिए था, इस कारण से वकीलों से उलझा हुआ था। तो किसी के केस तारीख की पेशी थी। ऐसे में कोर्ट रूम के

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